
- एशिया कप 2025 के फाइनल में पहली बार भारत और पाकिस्तान चार दशकों बाद खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगे
- टूर्नामेंट में क्रिकेट से ज्यादा विवाद, प्रतिस्पर्धा के सवाल और व्यावसायिक हित प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं
- पाकिस्तानी खिलाड़ियों के अभद्र व्यवहार पर बीसीसीआई ने आईसीसी में शिकायत दर्ज कराई है और सुनवाई जारी है
Asia Cup 2025: एशिया कप 2025 फाइनल उस मुकाम पर पहुंच गया है जिसका सफर और अंजाम दोनों ही ऐतिहासिक होने वाले हैं. टूर्नामेंट के चार दशक के इतिहास में पहली बार भारत और पाकिस्तान खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगे. वैसे तो ये हाई-वोलेटेज फाइनल क्रिकेट की सबसे कड़ी राइवलरी- प्रतिद्वंद्विता का जश्न होना चाहिए. लेकिन क्लाइमेक्स से पहले इस टूर्नामेंट की परत-दर-परत दास्तां इसे दूसरे कई फाइनल से काफी अलग और जटिल बना रही हैं. यकीनन उम्दा क्रिकेट से ज्यादा इस टूर्नामेंट में विवाद, प्रतिस्पर्धा के सवाल और पैसा या क्रिकेट बोर्ड और एशिया क्रिकेट काउंसिल के व्यावसायिक हित इस टूर्नामेंट के मुख्य किरदार बनकर छाये रहे हैं.
चार दशकों बाद होनेवाला ऐतिहासिक फाइनल
बेशक भारत-पाकिस्तान की टीमें 4 दशकों बाद पहली बार फाइनल में आमने-सामने हैं. लेकिन टूर्नामेंट के कार्यक्रम तकरीबन ऐसे तय किये गये कि भारत-पाकिस्तान के तीन मैच के साथ टूर्नामेंट के इस अंजाम तक पहुंचने की उम्मीद शुररुआत से ही रही. इन सबके बावजूद ये टूर्नामेंट खालिस क्रिकेट के लिहाज से एकतरफा और कम रोमांच पैदा करने वाला ही साबित हुआ है.
विवादों का मेला
ये होना ही था. सबको पता था. मगर खेलों की स्क्रिप्ट पहले नहीं लिखी जा सकती. विवाद-दर-विवाद रेगिस्तान में टूर्नामेंट की गर्मी बढ़ाते रहे.
हारिस रऊफ और साहिबजादा फरहान के इशारे असल क्रिकेट पर भारी
पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने हारते मैचों के बावजूद ऐसे अभद्र और खेल भावना को आहत करने वाले इशारे किए कि बीसीसीआई को आईसीसी में शिकायत दर्ज करवानी पड़ी. इसे लेकर सुनवाई भी जारी है.
हैंडशेक गेट विवाद
कप्तान सूर्यकुमार यादव ने मौजूदा हालात में पाकिस्तानी कप्तान से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया. हाथ मिलाना, नियमों के मुताबिक जरूरी नहीं, लेकिन पाकिस्तान ने इसे अपने सम्मान से जोड़ दिया और फिर बात बढ़ती चली गई.
एसीसी के चयरमैन ने बढ़ाया विवाद
पीसीबी और एसीसी के चेयरमैन मोहसिन नकवी पहले तो भारत-पाकिस्तान के सुपर-4 के मैच से पहले प्रैक्टिस ग्राउंड पर पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने सिर्फ पाकिस्तानी टीम से मुलाकात की और विवादों के तवे को और गर्म कर दिया. फिर, क्रिस्टियानो रोनाल्डो का एक वीडियो डालकर ट्वीट कर दिया जिसमें वो अपनी फुटबॉल टीम के लिए इशारों में जश्न मनाते दिख रहे हैं. मौजूदा हालात में ये और भी ज्यादा भड़काऊ साबित हुआ.
कहां गई क्रिकेट की क्वालिटी- क्रिकेट पर भारी पड़ता तमाशा
कुछ मैचों को छोड़ दें तो टूर्नामेंट के ज्यादातर मुकाबले तकरीबन एकतरफा साबित हुए. बहुत कम मुकाबलों में टीमें जीत के लिए अच्छा संघर्ष करती नजर आई हैं. इसके बावजूद भारत-पाकिस्तान के मैच और मैदान के बाहर के ड्रामा की वजह से टूर्नामेंट को लेकर सुर्खियां लगातर बनती रही हैं. मतलब साफ है कि क्रिकेट के ऐसे टूर्नामेंटों में तमाशा, असल क्रिकेट पर पर भारी पड़ता नज़र आता है.
प्रशासक चाहते हैं टकराव भरा रोमांचक आयोजन
एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) और प्रसारकों के लिए, भारत-पाकिस्तान के बीच का मैच जबरदस्त पैसा बनाने की मशीन है- क्रिकेट का एटीएम. दोनों देशों के बीच मैच को लेकर स्टेडियम में दर्शकों की संख्या और टीवी और इंटरनेट पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए मैच देखने वाले रिकॉर्डतोड़ दर्शक इन मुकाबलों की जान होते हैं. लेकिन इस बार हालात अलग हैं और एशिया कप के अन्य मुकाबलों की तुलना में दर्शकों का रुझान इस टूर्नामेंट के लिए बहुत कम है.
स्पॉन्सर्स और विज्ञापनदाता इन खेलों के दौरान स्लॉट के लिए प्रीमियम देने को तैयार होते हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत-पाकिस्तान का एक मैच पूरे ग्रुप स्टेज के बाकी के मैच का तकरीबन 50 फीसदी रिवेन्यू बनाता है. इन मुकाबलों के सांस्कृतिक और सामाजिक के साथ राजनीतिक पहलू भी मजबूत होते हैं. ऐसे में आयोजक (यानी यहां एसीसी) का लालच अकसर क्रिकेट की क्वालिटी पर भारी पड़ता नजर आता है.
कैसे तय होगा फाइनल- कौन जीतेगा
पाकिस्तान की कमजोर कड़ी मैदान के बाहर के ड्रॉमा से ज्यादा फाइनल का फैसला मैदान पर टीमों के दम से ही तय होगा. पाकिस्तान का सबसे मजबूत पहलू उनकी गेंदबाजी है. उनके गेंदबाज टीम इंडिया के विकेट लेकर उन्हें दबाव में लाने के लिए पुरजोर प्लान तैयार करेंगे. लकिन पाकिस्तान की बल्लेबाजी पूरे टूर्नामेंट में उनकी कमजोर कड़ी साबित हुई है.
टीम इंडिया के कई मैच विनर
वहीं टीम इंडिया अपनी बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही पहलू में पाकिस्तान से बहुत आगे नजर आती है. टीम में एक साथ कई मैच विनर हैं और सभी फॉर्म में भी दिख रहे हैं. लेकिन छोटी-मोटी गलतियों को दूर करना भारतीय टीम के लिए अब भी एक टास्क जरूर है.
दबाव और फोकस का खेल
एक बार फिर फाइनल की जीत का हकदार वही टीम रहेगी जो बेइंतहा दबाव को दूर रखककर क्रिकेट पर फोकस कर सकेगी. ये भी उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों टीमें विपक्षी टीम के फोकस को तोड़ने के लिए भी प्लान बनाकर आएंगी.
फाइनल के बाद भी जारी रहेगा मैच
दिलचस्प बात ये है कि एशिया कप के फाइनल के बाद भी इसकी कहानियां इस टूर्नामेंट को जिंदा रखेंगी. इसके विवाद लंबे समय तक क्रिकेट फैंस और एक्सपर्ट को झकझोरते रहेंगे. इस टूर्नामेंट की विरासत कितनी सकारात्मक या नकारात्मक रहेंगी इसका जवाब आने वाले क्रिकेट टूर्नामेंट में ही मिल सकेगा.
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