खेली जा रही पांच मैचों की सीरीज के दूसरे मुकाबले में वीरवार को मेहमान दक्षिण अफ्रीका के हाथों मिली 51 रन से हार के बाद तमाम पंडित हैरान हैं. टीम इंडिया ने टॉस जीतने के बाद वह पहले गेंदबाजी करने का फैसला भी किया, लेकिन 214 रनों के लक्ष्य का पीछा करने में तमाम सितारा बल्लेबाज दबाव में टूट गए. यह सही है कि भारत का दोनों ही डिपार्टमेंट में प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा, लेकिन कोच गंभीर (Gautam Gambhir) के फैसले से फैंस और पूर्व क्रिकेटर बहुत ही ज्यादा निराश हैं. वजह यह है कि अगले साल खेले जाने वाले टी20 विश्व कप तक सिर्फ 9 ही मैच बाकी बचे हैं, लेकिन हेड कोच गंभीर जैसे फैसले ले रहे हैं, वह बिल्कुल भी गलत नहीं उतरा.
इस प्रयोग का क्या मतलब?
मु्ल्लानपुर में विशाल स्कोर का पीछा करते हुए भारत को मैच जीतने के लिए हर हाल में पावर-प्ले का फायदा उठाना ही उठना था क्योंकि शुरुआती 6 ओवरों में तय होना था कि मैच किस करवट बैठेगा. और यह तय भी हो गया. शुरुआत 6 ओवरों में ही भारत ने अपने 3 विकेट गंवा दिए, लेकिन किसी को यह समझ नहीं आया कि नंबर-3 पर अक्षर पटेल को भेजने का फैसला क्यों लिया गया? अक्षर पटेल का फैसला कितना बुरा औंधे मुंह गिरा, यह आप इससे समझ सकते हैं कि जब शुरुआती 6 ओवरों में ज्यादा से ज्यादा रन बनाने थे, तब ऐसे समय अक्षर पटेल सिर्फ 21 गेंदों में 21 रन ही बना सके.
शिवम दुबे का इस्तेमाल हो सकता था!
यह हर कोई बेहतर जानता है कि अक्षर पटेल के पास पटेल पावर-प्ले में सर्किल के ऊपर से खेलने की क्षमता नहीं है. बमु्श्किल ही उनका पहले नंबर-3 बल्लेबाज के रूप में इस्तेमाल हुआ. लेकिन नंबर-8 पर आने वाले लेफ्टी शिवम दुबे जरूर हालिया समय में कई बार नंबर-3 पर खेल चुके हैं. दुबे न केवल स्पिनर बल्कि ऊपरी क्रम में पेसरों के खिलाफ भी बड़े शॉट लगाने की क्षमता रखते हैं. लेकिन हेड कोच के इस प्रयोग से जहां अक्षर पटेल को ऊपर भेजने का दांव बुरी तरह फेल हो गया, तो बड़े स्ट्रोक वाले शुभमन गिल को भी बहुत ज्यादा नीचे आने के कारण दम दिखाने का मौका नहीं ही मिल सका.
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