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डकैती और डबल मर्डर के मामले में 41 साल बाद महिपाल सिंह हुए दोषमुक्त, वो कहानी जो डरा देगी

चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने भी 22 नवंबर को शपथ लेने से दो दिन पहले कहा था कि देश में 5 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस न्यायपालिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं.

डकैती और डबल मर्डर के मामले में 41 साल बाद महिपाल सिंह हुए दोषमुक्त, वो कहानी जो डरा देगी
  • फतेहपुर जिले के महिपाल सिंह को 41 साल बाद 1984 की डकैती और हत्या के मामले में दोषमुक्त किया गया
  • 1984 में गया प्रसाद के घर डकैती के दौरान हत्या हुई थी और महिपाल सिंह को फर्जी आरोपों से फंसा दिया गया था
  • कोर्ट ने फर्जी गवाहियों को देख महिपाल सिंह को दोषमुक्त किया, जिससे न्याय प्रणाली की देरी उजागर हुई
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फतेहपुर जिले के गाजीपुर के कुड़वारी गांव के महिपाल सिंह को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने 1984 में डकैती के बाद जीजा साले की हत्या के मामले में भी दोष मुक्त किया है. 41 साल बाद फैसले के बाद जहां महिपाल सिंह के परिजनो ने खुशी जाहिर की. वहीं अधिवक्ता रमा शंकर राव ने बताया कि 22.09.1984 को गया प्रसाद के घर डकैती पड़ी. जहां सूरजभान और झग्गु ने गया प्रसाद और उनके साले भूसा की गोली मारकर हत्या कर दी. इस घटना में गया प्रसाद का बेटा कामता घायल हो गया. इसके बाद गया प्रसाद की पत्नी ने गांव के महिपाल सिंह को फर्जी तरीके से फंसाया था. फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के दौरान फर्जी गवाही को देख कोर्ट ने महिपाल सिंह को 41 साल के बाद दोष मुक्त कर दिया है.

ये घटना बताती है कि कैसे न्याय के लिए एक इंसान को सालों-साल इंतजार करना पड़ता है. एक झूठा केस समाप्त होने में कई साल लग जाते हैं. महिपाल सिंह की पूरी जवानी समाप्त हो गई इस केस के चक्कर में. कई लोग तो ऐसे भी जिनकी मौत तक केस लड़ते-लड़ते हो गई, मगर इंसाफ नहीं मिला. अब दूसरी पीढ़ी केस लड़ रही है. 

देश में कुल कितने पेंडिंग केस

केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि देशभर की अदालतों में कुल 5.49 करोड़ से अधिक केस पेंडिंग हैं. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक लिखित उत्तर में कहा कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ रहा है. सरकार की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 90,897 मामले, देश के 25 हाई कोर्ट में 63,63,406 मामले और निचली अदालतों में 4,84,57,343 मामले लंबित हैं. यह आंकड़े 8 दिसंबर तक के हैं.

चीफ जस्टिस ने भी जताई थी चिंता

कानून मंत्री ने बताया कि न्यायिक देरी कई कारणों की वजह से होती है- मामलों की जटिलता, सबूतों की प्रकृति, वकीलों, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों का सहयोग, तथा अदालतों में पर्याप्त ढांचे और स्टाफ की उपलब्धता जैसे कारक लंबित मामलों को बढ़ाते हैं. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने भी 22 नवंबर को शपथ लेने से दो दिन पहले कहा था कि देश में 5 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस न्यायपालिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. उन्होंने बताया था कि इन बैकलॉग से निपटना और विवाद सुलझाने के लिए मीडिएशन को बढ़ावा देना, उनकी दो प्रायोरिटी होंगी.

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