- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल का 90 वर्ष की आयु में लातूर स्थित अपने घर में निधन हो गया है
- शिवराज ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान गृह मंत्री के पद से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था
- उन्होंने लातूर से विधायक और सांसद के रूप में कई बार चुनाव जीतकर देश के कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली थी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल का निधन हो गया है. पूर्व गृहमंत्री ने 90 साल की उम्र में सुबह करीब 6.30 बजे लातूर में अपने घर में अंतिम सांस ली. शिवराज पाटिल का लंबी बीमारी के कारण घर पर ही उनका इलाज चल रहा था. महाराष्ट्र से आने वाले शिवराज पाटिल चाकूरकर मराठवाड़ा के लातूर से सांसद रह चुके हैं. साल 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले के समय शिवराज पाटिल ही देश के गृह मंत्री थे. शिवराज पाटिल ने अपने राजनीतिक करियर में देश के लिए कई प्रतिष्ठित पदों की जिम्मेदारी संभाली. लातूर ग्रामीण सीट से शिवराज पाटिल 1973 से 1980 तक विधायक रहे. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए 1980 में उन्हें लातूर संसदीय सीट से चुनाव लड़वाया गया, यहां भी उन्हें जीत मिली. साल 2008 में मुंबई में जब आतंकवादी हमले हुए, तब शिवराज पाटिलल ही देश के गृह मंत्री थे. मुंबई हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने तब अपना पद छोड़ दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवराज पाटिल के निधन पर शोक प्रकट किया है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में उनके साथ की एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, 'शिवराज पाटिल एक अनुभवी नेता थे, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे वर्षों के दौरान विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. उन्हें समाज के कल्याण में योगदान देने का जुनून था. पिछले कुछ वर्षों में मेरी उनसे कई बार बातचीत हुई है, सबसे हालिया बातचीत तब हुई जब वह कुछ महीने पहले मेरे आवास पर आए थे. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं.'
Saddened by the passing of Shri Shivraj Patil Ji. He was an experienced leader, having served as MLA, MP, Union Minister, Speaker of the Maharashtra Assembly as well as the Lok Sabha during his long years in public life. He was passionate about contributing to the welfare of… pic.twitter.com/muabyf7Va8
— Narendra Modi (@narendramodi) December 12, 2025
कई वर्षों से राजनीतिक जीवन से दूर थे
शिवराज पाटिल चाकूरकर जीवन भर कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहे. पिछले कई वर्षों से राजनीतिक जीवन से दूर थे. उन्हें राजनीति में एक अत्यंत अध्ययनशील और स्वच्छ छवि वाले राजनेता के रूप में देखा जाता था. शिवराज पाटील का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकूर में हुआ था. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक (ग्रेजुएशन) और मुंबई विश्वविद्यालय से कानून (लॉ) की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने 1967-69 के दौरान लातूर नगरपालिका में काम करते हुए राजनीति में कदम रखा.
1980 में शिवराज पाटिल लातूर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।इसके बाद, उन्होंने 1999 तक लगातार सात चुनाव जीते और लोकसभा में एक प्रभावी नेता के रूप में उभरे. उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में रक्षा राज्य मंत्री, वाणिज्य, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली. 1991 से 1996 तक देश के 10वें लोकसभा अध्यक्ष रहे.
2004 में चुनाव हारने के बावजूद मिली बड़ी जिम्मेदारी
शिवराज पाटिल ने लोकसभा के आधुनिकीकरण, कम्प्यूटरीकरण, संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण और नई पुस्तकालय इमारत जैसे पहलों को गति दी. उन्होंने देश-विदेश के कई संसदीय सम्मेलनों में भारत का नेतृत्व किया. उन्हें देश में उत्कृष्ट संसदपटु पुरस्कार शुरू करने का श्रेय भी दिया जाता है. सोनिया गांधी के नेतृत्व में, उन्होंने घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सहित कांग्रेस पार्टी में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं. 2004 में चुनाव हारने के बावजूद, उन पर विश्वास करते हुए उन्हें केंद्र में गृह मंत्री का पद दिया गया.
परिवार में कौन-कौन?
हालांकि, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद, उन्होंने सुरक्षा में खामियों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 30 नवंबर 2008 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 2010 से 2015 तक, उन्होंने पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में कार्य किया. वह लिंगायत समुदाय से संबंधित थे. उन्होंने 1963 में विजया पाटिल से विवाह किया. उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. उनकी बहू डॉ. अर्चना पाटिल चाकूरकर राजनीति में सक्रिय हैं. उनके दो नाती-पोते हैं. लगभग पांच दशकों के संसदीय और प्रशासनिक अनुभव, विभिन्न मंत्रालयों में कार्य और लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनका योगदान रहा.
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