NZ vs IND: पृथ्वी शॉ की फाइल फोटो
क्राइस्टचर्च: वेलिंग्टन में पहले टेस्ट में मिली हार में मेजबान तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी ने भारतीय ओपनर पृथ्वी शॉ को सस्ते में आउट कर चलता किया, लेकिन भारतीय कप्तान विराट कोहली उनकी तकनीक में किसी भी तरह के सुधार करने के प्रयास से पहबले "देखो और इंतजार करो" की नीति अपनाने के लिए तैयार हैं. और अगर विराट कोहली ऐसा सोचते हैं, तो इसके पीछे भी विराट कोहली का अपना ही लॉजिक है.
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यह 20 वर्षीय बल्लेबाज न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन में पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में 16 और 14 रन ही बना पाया और विशेषज्ञों को उनकी बल्लेबाजी में कुछ कमजोरियां नजर आयीं. भारत ने यह मैच दस विकेट से गंवाया था. कोहली ने पहले टेस्ट मैच की समाप्ति के बाद शॉ के आउट होने के बारे में पूछे जाने पर कहा था, ‘मेरा मानना है कि उसके आठ या दस बार इसी तरह से आउट होने के बाद हम बैठकर इस पर विश्लेषण कर सकते हैं. मुझे नहीं लगता कि यह ऐसे खिलाड़ी के साथ न्याय होगा जो पहली बार विदेशी सरजमीं पर खेल रहा है और घरेलू धरती पर खेलने की तुलना में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग तरह के गेंदबाजी आक्रमण का सामना कर रहा हो.
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विराट ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस स्तर पर हमें इस बारे में चर्चा करने की जरूरत है कि क्या गलत हुआ क्योंकि मुझे कुछ भी गलत नजर नहीं आया. वह केवल चीजों पर सही तरह से अमल नहीं कर पाया था.' भारत के शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों में शॉ की बैकलिफ्ट काफी ऊंचाई से आती है. देखने में आया है कि जब कीवी बॉलरों ने शार्टिपच गेंदबाजी की, तो शॉ को खासी परेशानी हुई. स्कॉट कुगलीन ने हैमिल्टन में अभ्यास मैच की पहली पारी में यही रणनीति अपनायी जबकि वेलिंगटन टेस्ट की दूसरी पारी में बोल्ट ने इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया.
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कोहली ने अपने जूनियर साथी के बारे में कहा, ‘एक बल्लेबाज के तौर पर मेरा मानना है कि जब तक आप एक ही गलती सात या आठ बार नहीं दोहराते तब आपको इसको लेकर बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है.'