
- भारत ने ओवल टेस्ट अपने नाम किया. इस मैच में क्रिस वोक्स डिस्लोकेट कंधे के साथ बल्लेबाजी को आए.
- वोक्स से पहले इंग्लैंड के पॉल टेरी ऐसा कर चुके हैं. 1984 नें वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने यह किया था.
- टेरी 1984 में चोटिल हाथ के साथ बल्लेबाजी करने आए थे, लेकिन इंग्लैंड को फॉलोऑन से नहीं बचा पाए थे.
Paul Terry Batted With One Hand: भारत और इंग्लैंड के बीच एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी सीरीज का आखिरी मुकाबला ओवल में खेला गया. इस मुकाबले के आखिरी दिन इंग्लैंड को मैच और सीरीज जीतने के लिए 35 रन चाहिए थे, जबकि भारत को 4 विकेट की जरूरत थी. टीम इंडिया सीरीज में 1-2 से पीछे और उसके ऊपर सीरीज हारने का खतरा था. लेकिन भारत ने मोहम्मद सिराज से जादुई स्पैल से सभी को हैरान करते हुए मुकाबला अपने नाम किया. इस दौरान क्रिस वोक्स ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा क्योंकि उनका एक कंधा डिस्लोकेट हो गया था, लेकिन फिर भी वह आखिरी दिन बल्लेबाजी को उतरे. वोक्स सिर्फ रन दौड़े. गस एटकिंसन ने सुनिश्चित किया कि वोक्स एक भी गेंद का सामना ना करें. हालांकि, अंत में इंग्लैंड लाइन के पार नहीं जा पाया और टीम इंडिया मुकाबला जीत गई. वोक्स के इस साहसिक फैसले से फैंस को पॉल टेरी याद आए, जिन्होंने कुछ ऐसा ही कारनामा किया था.
इंग्लैंड के पूर्व गेंदबाज पॉल टेरी 1984 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में पांच मैचों की सीरीज का चौथा मुकाबला खेला गया था. इंग्लैंड सीरीज में 0-3 से पीछे थी और चौथे टेस्ट में उसने 70 के स्कोर पर वेस्टइंडीज के चार बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा दी थी. लेकिन गॉर्डन ग्रीनिज के शानदार दोहरे शतक और जेफ डुजॉन के शतक ने पर्यटकों को 500 तक पहुंचा दिया.
इसके जवाब में इंग्लैंड तेज उछाल का सामना नहीं कर पाए. अपनी ही घर पर इंग्लैंड की स्थिति बुरी हो चली थी और उस पर फॉलोऑन का खतरा था. टैरी पारी की शुरुआत करने आए थे, लेकिन डेविस की एक शॉर्ट गेंद से बचने की कोशिश में उनका बायां हाथ टूट गया था. गेंद उतनी नहीं उछली थी, जितनी टैरी को उम्मीद थी. इंग्लैंड के लिए लैम्ब एकमात्र बल्लेबाज थे, जिन्होंने पहली पारी में संघर्ष किया था.
जब एलन लैम्ब अपने शतक से दो रन दूर थे, तब जब गार्नर ने एक ही ओवर में पोकॉक और कोवान्स को बोल्ड कर दिया. सबने मान लिया था कि इंग्लैंड की पारी समाप्त हो गई. खिलाड़ियों ने मैदान से बाहर जाना शुरू कर दिया था, लेकिन तभी गोवर उन्हें वापस भेजने के लिए बालकनी पर आए. दो मिनट से अधिक की देरी के बाद टेरी अपने स्वेटर के नीचे एक स्लिंग में प्लास्टर लगे बाएं हाथ के साथ बाहर आए.
इंग्लैंड को फॉलो-ऑन से बचने के लिए 23 रनों की जरूरत थी. टेरी का यह फैसला काफी साहसिक था. लैम्ब समझ गए थे कि टेरी को सिर्फ इसलिए भेजा गया है ताकि उनका शतक हो. और लैम्ब ने अपना शतक भी पूरा किया. इस शतक के बाद जब दोनों वापस आने लगे तो गॉवर ने उन्हें रुकने का इशारा किया. गार्नर की गेंद का सामना करने की स्थिति में टेरी नहीं थे और बोल्ड हुए और इसके साथ ही इंग्लैंड की पहली पारी 220 रनों पर सिमट गई और उसे फॉलो-ऑन झेलना पड़ा. इंग्लैंड को इस मैच में पारी और 64 रनों से हार का सामना करना पड़ा था.
इस सीरीज में इंग्लैंड ने पांच टेस्ट खेले थे और उसे पांचों में हार का सामना करना पड़ा था. यह पॉल टैरी के करियर का आखिरी टेस्ट भी साबित हुए. यह खिलाड़ी अपने पूरे करियर में इंग्लैंड के लिए सिर्फ दो टेस्ट खेल पाया, जिसमें उसने सिर्फ 16 रन बनाए और उन्हें कोई विकेट भी नहीं मिला. हालांकि, इस क्रिकेटर ने 292 फर्स्ट क्लास मैचों में 16427 रन बनाए. जबकि 310 लिस्ट ए मैचों में 8791 रन बनाए. फर्स्ट क्लास में उनके नाम 38 शतक और 82 अर्द्धशतक रहे, जबकि लिस्ट ए में उनके नाम 12 शतक और 50 अर्द्धशतक रहे.
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