
रवि शास्त्री को टीम इंडिया का नया कोच नियुक्त किया गया है.(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रवि शास्त्री को आखिरकार बीसीसीआई ने टीम इंडिया का कोच नियुक्त कर दिया है. कप्तान विराट कोहली की पसंद का पूरा ध्यान रखा गया है. हालांकि शास्त्री के चयन को लेकर 24 घंटे से भी अधिक समय तक हाईवोल्टेज ड्रामा चलता रहा. हालांकि, बतौर क्रिकेटर शास्त्री का करियर शानदार रहा है. रवि शास्त्री 'चपाती शॉट' लगाने के लिए मशहूर थे.
रवि शास्त्री ने अपने करियर की शुरुआत लेफ्ट स्पिनर के तौर पर की थी, लेकिन बाद में वह भारतीय टीम के लिए ऑलराउंडर बन गए. उन्होंने 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट में अपने करियर का आगाज किया था. शास्त्री अपनी लंबाई का इस्तेमाल स्पिनर्स के खिलाफ करते थे. हालांकि वह ऐसे क्रिकेटर थे जिन्होंने अपनी क्षमता से अधिक प्रदर्शन किया.
शास्त्री ने अपने करियर में 80 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 35.79 की औसत से 3830 रन बनाए हैं. टेस्ट में उनके नाम पर 11 शतक हैं. उन्होंने टेस्ट में 151 विकेट भी हासिल किए हैं. शास्त्री वनडे में भी खासे सफल रहे. उनके नाम कुल 150 वनडे मैच हैं, जिसमें उन्होंने 29.04 की औसत से 3108 रन बनाए हैं. वनडे में उनके नाम पर चार शतक हैं. 150 वनडे मैचों में उनके नाम पर 129 विकेट हैं.
मुंबई में जन्मे रवि शास्त्री शुरुआत में टेस्ट में 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे, लेकिन डेब्यू करने के 18 माह के अंदर वे टीम की ओपनिंग करने लगे थे. ऑस्ट्रेलिया में 1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन सबसे यादगार प्रदर्शनों में से एक है. उन्हें हरफनमौला प्रदर्शन के लिए चैंपियन ऑफ चैंपियन का नाम दिया गया था.
पूरी सीरीज के दौरान शास्त्री ने 182 रन बनाने के साथ ही 8 विकेट भी लिए थे. ऑडी कार भी उन्होंने जीती थी. 1984-85 में शास्त्री ने मुंबई को 30वीं बार रणजी चैंपियन बनवाया. फाइनल में दिल्ली के खिलाफ उन्होंने 91 रन देकर 8 विकेट लिए थे. कई मैचों में उप कप्तान की जिम्मेदारी संभालने के बाद 1987-88 में वेस्टइंडीज पर बतौर कप्तान मद्रास टेस्ट में जीत दर्ज की. यह एकमात्र टेस्ट मैच है, जिसमें उन्होंने कप्तानी की.
करिश्माई शख्सियत वाले शास्त्री फील्ड के बाहर और भीतर मशहूर रहे. घुटने की चोट के कारण उनका करियर बहुत लंबा नहीं खींंच पाया. शास्त्री ने अपना अंतिम टेस्ट मैच 1992 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था. तब उनकी उम्र 30 वर्ष थी. रिटायरमेंट लेने के बाद वे हाई-प्रोफाइल कमेंटेटर बने. वह मैच का बारीकी से विश्लेषण करने के लिए जाने जाते हैं. रवि शास्त्री वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक भारतीय टीम के डायरेक्टर रहे.
ग्रेग चैपल के इस्तीफा देने के बाद टीम इंडिया के वर्ष 2007 में बांग्लादेश दौरे के लिए उन्हें अस्थायी कोच बनाया गया था. उन्होंने 2016 में कोच पद के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनका चयन नहीं किया था जिसको लेकर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के खिलाफ उन्होंने बहुत कुछ बोला था.
रवि शास्त्री ने अपने करियर की शुरुआत लेफ्ट स्पिनर के तौर पर की थी, लेकिन बाद में वह भारतीय टीम के लिए ऑलराउंडर बन गए. उन्होंने 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट में अपने करियर का आगाज किया था. शास्त्री अपनी लंबाई का इस्तेमाल स्पिनर्स के खिलाफ करते थे. हालांकि वह ऐसे क्रिकेटर थे जिन्होंने अपनी क्षमता से अधिक प्रदर्शन किया.
शास्त्री ने अपने करियर में 80 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 35.79 की औसत से 3830 रन बनाए हैं. टेस्ट में उनके नाम पर 11 शतक हैं. उन्होंने टेस्ट में 151 विकेट भी हासिल किए हैं. शास्त्री वनडे में भी खासे सफल रहे. उनके नाम कुल 150 वनडे मैच हैं, जिसमें उन्होंने 29.04 की औसत से 3108 रन बनाए हैं. वनडे में उनके नाम पर चार शतक हैं. 150 वनडे मैचों में उनके नाम पर 129 विकेट हैं.
मुंबई में जन्मे रवि शास्त्री शुरुआत में टेस्ट में 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे, लेकिन डेब्यू करने के 18 माह के अंदर वे टीम की ओपनिंग करने लगे थे. ऑस्ट्रेलिया में 1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन सबसे यादगार प्रदर्शनों में से एक है. उन्हें हरफनमौला प्रदर्शन के लिए चैंपियन ऑफ चैंपियन का नाम दिया गया था.
पूरी सीरीज के दौरान शास्त्री ने 182 रन बनाने के साथ ही 8 विकेट भी लिए थे. ऑडी कार भी उन्होंने जीती थी. 1984-85 में शास्त्री ने मुंबई को 30वीं बार रणजी चैंपियन बनवाया. फाइनल में दिल्ली के खिलाफ उन्होंने 91 रन देकर 8 विकेट लिए थे. कई मैचों में उप कप्तान की जिम्मेदारी संभालने के बाद 1987-88 में वेस्टइंडीज पर बतौर कप्तान मद्रास टेस्ट में जीत दर्ज की. यह एकमात्र टेस्ट मैच है, जिसमें उन्होंने कप्तानी की.
करिश्माई शख्सियत वाले शास्त्री फील्ड के बाहर और भीतर मशहूर रहे. घुटने की चोट के कारण उनका करियर बहुत लंबा नहीं खींंच पाया. शास्त्री ने अपना अंतिम टेस्ट मैच 1992 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था. तब उनकी उम्र 30 वर्ष थी. रिटायरमेंट लेने के बाद वे हाई-प्रोफाइल कमेंटेटर बने. वह मैच का बारीकी से विश्लेषण करने के लिए जाने जाते हैं. रवि शास्त्री वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक भारतीय टीम के डायरेक्टर रहे.
ग्रेग चैपल के इस्तीफा देने के बाद टीम इंडिया के वर्ष 2007 में बांग्लादेश दौरे के लिए उन्हें अस्थायी कोच बनाया गया था. उन्होंने 2016 में कोच पद के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनका चयन नहीं किया था जिसको लेकर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के खिलाफ उन्होंने बहुत कुछ बोला था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं