
क्रिकेट के मैदान में भारत को संकट से निकालने के अनेक कारनामे करने वाले पूर्व गेंदबाज हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने हाल में ओमान में बंधक बनाई गयी भारत की एक लड़की को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है. भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के शानदार स्पिनर रहे और आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने भटिंडा की रहने वाली 21 साल की कमलजीत कौर को बचाने में ओमान स्थित भारतीय दूतावास (Indian Embassy) के साथ मिलकर बहुत अहम भूमिका अदा की. लड़की को उसके नियोक्ता ने अवैध तरीके मसे बंधक बना रखा था. उसका पासपोर्ट और सिमकार्ड भी जब्त कर रखा था.
To help an Indian citizen held captive in foreign land was my duty not only as MP but as a fellow Indian citizen. I thank GOI & @Indemb_Muscat for the assistance & cooperation in bringing Kamaljeet back to India. I feel blessed that I could associate myself in this noble mission https://t.co/9eHwNVk0MY
— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) September 7, 2022
इस घटना के बारे में पूछे जाने पर हरभजन ने ‘कहा, “ओमान में भारतीय दूतावास और हमारे राजदूत अमित नारंग की मदद के बिना यह मुमकिन नहीं हो पाता. उनका योगदान बेशकीमती है.”
उन्होंने कहा, “जहां तक मेरी मदद की बात है तो राज्यसभा की सीट जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए ही मुझे मिली है और हमारे देश की एक बेटी को जरूरत थी. मैंने बस अपना काम किया है. भारतीय दूतावास ने मुझे फोन कर जानकारी दी कि कमलजीत पंजाब में अपने घर वापस आ गयी है और सुरक्षित है, यह सुनकर तसल्ली हुई.”
भटिंडा में अपने पैतृक गांव बरकंडी पहुंची कमलजीत और उसके पिता सिकंदर सिंह ने उसकी दर्दनाक कहानी साझा की और बताया कि किस तरह पंजाब में यात्रा और प्लेसमेंट एजेंट बेहतर भविष्य का वादा कर गरीबों का खून चूस रहे हैं.
कमलजीत को ओमान में एक भारतीय परिवार में काम करने के लिए भेजने का वादा किया गया था लेकिन उसे हवाई अड्डे से सीधे किसी दफ्तर ले जाया गया.
उसने बताया, “मेरे पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और हम तीन भाई-बहन हैं. तीनों में सबसे बड़ी होने के नाते मैं अपने पिता की मदद करना चाहती थी और स्थानीय एजेंट जगसीर सिंह के पास गई. उसने मुझे ओमान में एक हिंदी बोलने वाले परिवार में रसोइये की नौकरी दिलाने का वादा किया.”
कमलजीत ने कहा, “पिछले महीने के आखिर में मैं मस्कट के लिए रवाना हो गयी. मुझे बताया गया कि मेरा काम संतोषजनक रहा तो मुझे सिंगापुर या ऑस्ट्रेलिया में काम दिलाया जाएगा जहां बड़ी संख्या में पंजाबी लोग रहते हैं.”
उसने कहा, “जैसे ही मैं मस्कट हवाई अड्डे से बाहर निकली, मुझे लगा कि कुछ तो गलत हो रहा है.”
कमलजीत ने विस्तार से आपबीती बयां करते हुए बताया कि उसे बुरका पहनने और अरबी भाषा सीखने को मजबूर किया गया. उसने बताया कि जहां उसे काम करने के लिए ले जाया गया, वह किसी भारतीय परिवार का घर नहीं बल्कि कोई दफ्तर था.
हालांकि उसने साहस दिखाया और अपने परिवार से बात करने के लिए नया सिमकार्ड खरीदा. उसने अपने पिता को सारी बात बता दी.
उसके पिता सिकंदर ने जब स्थानीय एजेंट जगसीर से संपर्क किया तो उसने उन्हें धमकाते हुए बेटी का पासपोर्ट छोड़ने के लिए ढाई लाख रुपये मांगे. सिकंदर ने कहा, “मेरी बेटी के साथ मारपीट कर रहे थे. मन डर गया था. मकान गिरवी रखकर पैसा एजेंट को दिया.”
इसके बाद उन्होंने एक स्थानीय आप नेता से संपर्क साधा जिसके बाद अंतत: उनकी बेटी सुरक्षित लौट आई. उन्होंने कहा कि हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने उनकी बेटी को छुड़ाने में बहुत मदद की.
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