कैसे बदली Zimbabwe Cricket की तकदीर? इस नई टीम का क्या है इंडिया कनेक्शन, जानिए इस भारतीय क्रिकेटर का रोल

PAK vs ZIM: भारत (Team India) ने जब 2007 में पहले टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था तो उसके कोच भी पूर्व सलामी बल्लेबाज लालचंद राजपूत (Lalchand Rajput) ही थे.

कैसे बदली Zimbabwe Cricket की तकदीर? इस नई टीम का क्या है इंडिया कनेक्शन, जानिए इस भारतीय क्रिकेटर का रोल

Zimbabwe Cricket Team

T20 World Cup: लालचंद राजपूत सही तारीख भूल गए लेकिन उन्हें याद है कि यह जुलाई 2018 की बात है जब भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज (Lalchand Rajput) ने जिंबाब्वे की पुरुष टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और अगले ही दिन पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों की वनडे सीरीज की शुरुआत हुई. पाकिस्तान के खिलाफ (Pakistan vs Zimbabwe) पहला वनडे मैच 13 जुलाई 2018 को खेला गया था.

राजपूत ने बताया, “मैच से एक दिन पहले मुझे जिंबाब्वे क्रिकेट ने सूचित किया कि सीन इर्विन, क्रेग विलियम्स, सिकंदर रजा और ब्रेंडन टेलर बोर्ड के साथ चल रहे वेतन विवाद के कारण बाहर हो गए हैं. मैं हैरान था.”


उन्होंने कहा, “जिंबाब्वे क्रिकेट के प्रबंध निदेशक गिवमोर मकोनी ने मुझसे कहा कि हम सीरीज रद्द नहीं कर सकते. हमें अनुभवहीन टीम मिली और पहले मैच में हम 100 रन (107 रन) और फिर तीसरे मैच में 50 के आसपास (67 रन) ऑल आउट हो गए. ऐसा होने के बाद मुझे पता था कि मुझे चीजों को बदलने के लिए रुकना होगा.”

इस पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने कहा, ”हम 2019 वनडे वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे और फिर निलंबित हो गए. वह सबसे खराब दौर था इसलिए मुझे केवल चार सालों में इस परिवर्तन पर गर्व है.”

जिंबाब्वे ने बुधवार को पाकिस्तान को एक रन से हराकर टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) में अपनी सबसे बेहतरीन जीत में से एक हासिल की और इससे राष्ट्रीय टीम (Zimbabwe Cricket Team) के मौजूदा तकनीकी निदेशक राजपूत से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता था.

राजपूत ने कहा, “मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में टी20 वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था. यह सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व है.”

भारत (Team India) ने जब 2007 में पहले टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था तो उसके कोच भी राजपूत ही थे.

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राजपूत क्वालीफायर तक टीम के साथ थे लेकिन वह दिवाली के समय अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे और इसलिए वापस लौट गए.

नील जॉनसन, फ्लावर बंधु एंडी और ग्रांट, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक जैसे खिलाड़ियों के जाने के बाद जिम्बाब्वे का क्रिकेट कभी पहले जैसी सफलता हासिल नहीं कर पाया.

इसे प्रशासनिक अक्षमता कहें या खिलाड़ियों की गुणवत्ता में गिरावट या कम वेतन को दोष दें, जिंबाब्वे का क्रिकेट बद से बदतर होता गया. सरकार ने इसके बाद क्रिकेट बोर्ड (Zimbabwe Cricket) को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने जिंबाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से छह महीने के लिए निलंबित कर दिया.

प्रशासनिक मोर्चे पर स्थिति में सुधार हुआ है. इस बीच खिलाड़ियों और राजपूत को उनकी सेवाओं के लिए सीधे ICC ने भुगतान किया.

राजपूत की असल में जिंबाब्वे से जुड़ने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि वह ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान टीम को कोचिंग देकर खुश थे. लेकिन चीजें तब बदल गईं जब अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) के अधिकारी चाहते थे कि वह जूनियर वर्ल्ड कप की अंडर-19 राष्ट्रीय टीम तैयार करने के लिए काबुल आएं.

उन्होंने कहा, “मैंने उनसे विशेष रूप से कहा था कि मैं काबुल कभी नहीं जाऊंगा. इसलिए जैसे ही उन्होंने जोर दिया तो मैंने इस्तीफा दे दिया. इसे मीडिया ने कवर किया और फिर एक हफ्ते के भीतर मकोनी ने मुझे फोन किया और मुझे मुख्य कोच की नौकरी की पेशकश की.”

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