शुक्रवार से इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में शुरू हुए पिछले साल अधूरी छूटी टेस्ट सीरीज के आखिरी और पांचवें टेस्ट के पहले दिन अगर किसी भारतीय बल्लेबाज से सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं, तो वह विराट कोहली (Virat Kohli) थे. वजह यह थी चार दिनी प्रैक्टिस मैच में जिस अंदाज में विराट ने बल्लेबाजी की थी. और जैसे कदमों का इस्तेमाल करते हुए उनके सॉटों के विजुअल इंग्लैंड से आए थे, उससे लगा था कि अब वह विराट पारी कोहली की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं है, जिसका इंतजार उनके चाहने वाले दिसंबर 2019 के बाद से कर रहे हैं. यह वही समय है, जिसके बाद से विराट ने अभी तक कोई शतक नहीं बनाया है. फिर चाहे यह वनडे हो या फिर टेस्ट मैच.
बर्मिंघम में भी विराट की बल्लेबाजी जल्द ही आ गय क्योंकि गिल और पुजारा जल्द ही पवेलियन लौट गए थे. कोहली ने पिच पर 46 गेंदों के ठहराव के दौरान 4 चौकों से 11 रन बनाकर संकेत भी अच्छे दिया, लेकिन बारिश के बाद जब खेल दोबारा शुरू हुआ, तो मैटी पोट्स की एक गेंद को लेफ्ट करने की कोशिश में कोहली प्लेड-ऑन हो गए. और इससे उनके चाहने वालों की बड़ी पारी का सपना तो चूर हो ही गया. साथ साथ ही दिसंबर 2019 से अभी तक विराट का टेस्ट क्रिकेट में हाल और भी खराब हो गया
और यह हाल खराब हुआ औसत के लिहाज से, जो उनके करियर के संपूर्ण औसत (54.97) से इस अवधि में लगभग आधा रह गया है. आखिरी शतक के बाद पिछले करीब ढाई साल में कोहली ने टेस्ट में 18 टेस्ट मैचों की 31 पारियों में 6 पचासे जड़े हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ 79 का रहा है, लेकिन इस दौरान उनका औसत गिरकर 27.48 का रह गया है. कुल मिलाकर विराट के सिर पर खासा बोझ बढ़ता जा रहा है. राहत की बात यह है कि अगले कुछ महीनों में उन्हें टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलनी है. लेकिन अगर यहां से उन्हें अपना औसत नहीं सुधारा, तो सवाल बढ़ते ही जाएंगे. और यह तभी होगा, जब उनके बल्ले से बड़ी पारियां निकलेंगी.
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