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This Article is From Apr 24, 2017

जब वर्ल्‍डकप के दौरान सचिन तेंदुलकर को उनके पिता के निधन के बारे में बताया गया

जब वर्ल्‍डकप के दौरान सचिन तेंदुलकर को उनके पिता के निधन के बारे में बताया गया
'हीरो: ए बायोग्राफी ऑफ सचिन रमेश तेंदुलकर' का कवर पेज
वर्ष 1983 में कपिलदेव के नेतृत्‍व में भारतीय क्रिकेट टीम के वर्ल्‍डकप जीतने के बाद 1999 में इंग्‍लैंड में खेले जा रहे वर्ल्‍डकप को लेकर भारत में एक अलग तरह का उत्‍साह था. कपिल की कप्‍तानी में भारतीय टीम के इंग्‍लैंड में वर्ल्‍डकप जीतने के बाद इस देश में आयोजित हो रहा यह पहला वर्ल्‍डकप था. लोगों में यह उम्‍मीद थी कि टीम इंडिया 1999 का यह टूर्नामेंट जीतेगी. इसके पीछे कारण यह माना जा रहा था कि इंग्‍लैंड में इससे पहले हुए वर्ल्‍डकप (वर्ष 1983) में भारतीय टीम चैंपियन बनी थी.

1999 के वर्ल्‍डकप को लेकर यह उत्‍साह क्रिकेट बिरादरी तक ही सीमित नहीं था .लगभग हर ब्रांड ने क्रिकेट से अपने आपको जोड़ते हुए खास विज्ञापन रणनीति तैयार की थी. यहां तक कि 1983 की वर्ल्‍डकप विजेता टीम और 1999 वर्ल्‍डकप में भाग लेने वाली भारतीय टीम के बीच प्रदर्शन मैच भी आयोजित किया गया था. इस वर्ल्‍डकप के मौके पर लगभग हर  मीडिया समूह ने विशेषांक निकाले थे. एक पत्रिका ने तो 1999 के वर्ल्‍डकप में भारतीय टीम के चैंपियन बनने के 11 कारण भी गिना लिए थे, इसमें से पहला कारण यह था कि सचिन पूरी तरह से फिट (लेखक के अनुसार) थे. वास्‍तविकता यह थी कि वे फिट नहीं थे, लेकिन वर्ल्‍डकप को 'मिस' करने का तो सवाल ही नहीं उठता. सचिन ने अपनी ट्रेनिंग शुरू की. पीठ की जकड़न से निपटने के लिए वे अपने होटल के रूम में जमीन पर सोते थे. इस दौरान एक तकिया उनके घुटनों के नीचे होता था ताकि उनकी पीठ जमीन पर समतल रहे.

वर्ल्‍डकप में सचिन की मौजूदगी हर किसी के लिए मानो प्रेरणा थी. इस वर्ल्‍डकप में भारत को अच्‍छी शुरुआत नहीं मिल पाई और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच में टीम को हार मिली. बहरहाल टीम को उम्‍मीद थी कि लीसेस्‍टर में जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ दूसरे मुकाबले में वह लय में आ जाएगी. इस मैच के पूर्व संध्‍या पर सचिन होटल के कमरे में  अपने दोस्‍त अतुल रानाडे के साथ थे तभी घंटी बजी. उन्‍होंने दरवाजा खोला तो अंजलि को कॉरिडोर में खड़ा पाया. अजय जडेजा और रॉबिन सिंह उनके साथ थे. वह लंदन से लीसेस्‍टर एक  दुखद खबर सचिन को देने के लिए पहुंची थीं. सचिन के पिता, प्रोफेसर, दार्शनिक और कवि रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया था. रमेश ही वह शख्‍स थे जिन्‍होंने सचिन के करियर को ऊंचाई देने के लिए 11 वर्ष की उम्र में उन्‍हें स्‍कूल बदलने की इजाजत दी थी. दिल का दौरा पड़ने से रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया था. प्रोफेसर तेंदुलकर पिछले कुछ माह से अस्‍वस्‍थ्‍य थे और उन्‍हें एंजियोप्‍लास्‍टी से गुजरना पड़ा था. इस दौरान ने अस्‍थायी तौर पर सचिन के पास चले गए थे. सचिन उस समय साहित्‍य सहवाग के अपार्टमेंट से बांद्रा के एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हुए थे और अंजलि अपने ससुर (रमेश तेंदुलकर) की देखभाल कर रही थीं. ऐसा लग रहा था कि चीजें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं और सचिन भी कुछ हद तक पिता के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर निश्चिंत हो चले थे. ऐसे में उनका निधन एक बड़े झटके की तरह था.

सुबह सचिन सुबह मुंबई वापस लौटे. अंतिम संस्‍कार में प्रो. तेंदुलकर के मित्र, सहयोगी, पड़ोसी, छात्र और उन्‍हें पिछले कई सालों से जानने वाले लोग शामिल हुए.  सचिन के लिए पिता मानो सब कुछ थे. स्‍वाभाविक रूप से पिता के जाने के बाद उनके लिए जिंदगी पहले जैसी नहीं रह गई थी. सचिन जब मुंबई आए तो भारत के वर्ल्‍डकप जीत की संभावनाओं को और गहरा आघात लगा. टीम जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ अपना अगला मैच तीन रन से हार गई थी. अब तक हुए दोनों मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में सेमीफाइनल में पहले होने वाले सुपर सिक्‍स में स्‍थान बनाने के लिए उम्‍मीद अगले तीनों मैचों में जीत पर टिकी हुई थी. इस स्थिति में बीसीसीआई और टीम प्रबंधन ने सचिन के निजता (प्राइवेसी) और निर्णय का सम्‍मान करने का फैसला किया था.

यह सचिन की मां थी जिन्‍होंने अपने सबसे छोटे बेटे को इंग्‍लैंड लौटकर देश के लिए खेलने के लिए प्रेरित किया. सचिन को इसके लिए रजामंद करना कोई आसान काम नहीं था. बहरहाल टीम के हित को ध्‍यान में रखते हुए सचिन इंग्‍लैंड वापस लौटे. केन्‍या के खिलाफ ब्रिस्‍टल में होने वाले मैच के लिए जब वे बल्‍लेबाजी के लिए उतरे तो स्‍टेडियम में मौजूद दर्शकों ने खड़े होकर उनके उनके प्रति सम्‍मान प्रदर्शित किया. सचिन ने पिता की मौत के बाद वापसी करते हुए इस मैच में केवल 101 गेंद पर 140 रन बनाए जिसमें 12 चौके और तीन छक्‍के शामिल रहे. राहुल द्रविड़ के साथ उन्‍होंने शानदार बल्‍लेबाजी की. द्रविड़ ने मैच में नाबाद 104 रन बनाए. सचिन ने जिस क्षण अपना शतक पूरा किया तो दर्शकों का गला भर आया. भारत ने मैच में दो विकेट पर 329 रन का विशाल स्‍कोर बनाया और मैच 94 रन से जीता. श्रीलंका के खिलाफ टॉटन में हुए अगले मैच में सचिन कुछ खास करने का मौका नहीं मिला. इस मैच में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने विपक्षी गेंदबाजी की जमकर खबर लेते हुए दूसरे विकेट के लिए 318 रन की साझेदारी की.

रूपा पब्लिकेशंस इं‍डिया की अनुमति से देवेंद्र प्रभुदेसाई द्वारा लिखी गई  'हीरो: ए बायोग्राफी ऑफ सचिन रमेश तेंदुलकर' के खास अंश. यह बुकस्‍टोर में और ऑन लाइन उपलब्‍ध है.

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