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This Article is From Apr 02, 2021

World Cup 2011 फाइनल: भारत की ऐतिहासिक जीत के 10 यादगार लम्हें, ऐसे बना था दूसरी बार विश्व चैंपियन

2011 World Cup: साल 2011 का 2 अप्रैल भारतीय क्रिकेट के इतिहास का सबसे यादगार दिन में से एक रहा था, इसी दिन भारत ने 1983 में विश्व कप की शानदार जीत को दोहराते हुए दूसरी बार विश्व कप जीता था. मुंबई में हुए श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच को भारत ने 6 विकेट से जीत हासिल की थी.

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2011 World Cup: साल 2011 का 2 अप्रैल (On this Day) भारतीय क्रिकेट के इतिहास का सबसे यादगार दिन में से एक रहा था, इसी दिन भारत ने 1983 में विश्व कप की शानदार जीत को दोहराते हुए दूसरी बार विश्व कप जीता था. मुंबई में हुए श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच को भारत ने 6 विकेट से जीत हासिल की थी. कप्तान एम एस धोनी (MS Dhoni) ने फाइनल में यादगार छक्का जमाकर भारत को विश्व कप में विजेता बना दिया था. जीत के बाद भारतीय क्रिकेट जगत जश्न में डूब गया था. भारतीय फैन्स इमोशनल हो गए थे. यहां तक कि फाइनल मैच में भारतीय टीम का हिस्सा रहे सभी भारतीय खिलाड़ियों के आंखों में आंसू थे. क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) साथी खिलाड़ी युवराज सिंह और धोनी को गले से लगाकर रोने लगे थे. क्रिकेट फैन्स वह मंजर आज तक नहीं भूले जह तेंदुलकर को कंधों पर उठाकर स्टेडियम में घुमाया गया था. धोनी के ऐतिहासिक छक्के ने पूरे भारत को झूमने पर मजबूर कर दिया था. 

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2 बार हुआ था टॉस
विश्प कप 2011 के फाइनल में एक अनोखा घटना देखने को मिली थी. फाइनल में एक बार नहीं बल्कि 2 बार टॉस हुआ था. दरअसल जब पहली बार टॉस हुआ तो मैच रैफरी ने कप्तान के कॉल को अच्छी तरह से नहीं सुना था, जिसके बाद दोनों टीमों के बीच कन्फ्यूजन की स्थिति भी पैदा हो गई थी. ऐसे में  कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए दूसरी बार टॉस किया गया था, जिसे श्रीलंका ने जीता था और पहले बल्लेबाजी करने का किया फैसला.

माहेला जयवर्धने ने जमाया था शतक
श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की और 6 विकेट पर 274 रन बनाए थे जिसे भारतीय टीम ने 10 गेंद शेष रहते 6 विकेट से मैच जीत लिया था. श्रीलंका की ओर से माहेला जयवर्धने (Mahela Jayawardene) ने सबसे ज्यादा 103 रन की यादगार पारी खेली थी. उन्होंने अपनी पारी में 88 गेंदों का सामना किया और 13 चौके जमाए. जयवर्धने के कप्तान संगकारा ने 67 गेंदों की 48 रन की शानदार पारी खेली थी, जिसके कारण श्रीलंका ने दवाब वाले मैच में 274 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था. भारत की ओर से जहीर खान और युवराज सिंह ने 2-2 विकेट लिए थे. इसके अलावा हरभजन सिंह के खाते में 1 विकेट आया था. 

युवराज ने धोनी को गलती करने से बचाया था
फाइनल मे श्रीलंका पारी के 39वें ओवर में युवी गेंदबाजी कर रहे थे, तभी श्रीलंका बल्लेबाज तिलन समरावीरा के खिलाफ एल्बी डब्लू की अपील की गई, जिसपर अंपायर ने नॉट आउट दिया था. इसके बाद युवी ने धोनी को डीआरएस के लिए जाने को कहा जिसपर धोनी पूरी तरह से सहमत नहीं थे, लेकिन युवी ने माही को डीआरएस को लेने लिए अपना समर्थन दिया, जिसके बाद कप्तान धोनी ने डीआरएस लिया. जिसके बाद नतीजा भारत के पक्ष में आया और समरावीरा थर्ड अंपायर द्वारा आउट करार दिए गए. तिलन समरावीरा ने 21 रन की पारी खेली थी. 

सचिन-सहवाग सस्ते में हुए आउट
भारतीय पारी को शुरूआत में बड़े झटके लगे थे. सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और वीरेंद्र सहवाग 31 रन के अंदर आउट हो गए थे. भारत का पहला विकेट शून्य रन पर सहवाग के रूप में गिरा था. इसके बाद तेंदुलकर को लसिथ मलिंगा ने आउट कर भारत को तगड़ा झटका दिया था. सचिन केवल 18 रन ही बना सके थे. जब तेंदुलकर आउट होकर पवेलियन लौट रहे थे तो पूरे स्टेडियम में अजीब सा सन्नाटा पसर गया था. भारतीय फैन्स की उम्मीद को गहरा झटका लगा था. 

आउट होने के बाद सचिन का टोटका

आउट होने के बाद सचिन तेंदुलकर काफी निराश थे. ऐसा दूसरा मौका था सचिन के करियर में जब वो विश्व कप के फाइनल में पहुंचे थे. 2003 के बाद तेंदुलकर का यह सपना लगभग पूरा होने के करार पर था. लेकिन तेंदुलकर जब ड्रेसिंग रूप में आउट होने के बाद पहुंचे तो मसाज टेबल पर जाकर बैठ गए, उनके बगल में वीरेंद्र सहवाग भी निराश बैठे थे, भारतीय पारी के दौरान सचिन मसाज टेबल से नहीं उठे, यहां तक कि उन्होंने सहवाग को भी बगल से उठने नहीं दिया था

गंभीर ने खेली यादगार पारी
सचिन-सहवाग के जल्द आउट होने के बाद गौतम गंभीर (gautam Gambhir) औऱ विराट कोहली ने मिलकर भारतीय पारी को संभाला. दोनों ने मिलकर तीसरे विकेट के लिए 79 रन की साझेदारी कर भारत के लिए उम्मीद को बनाए रखा, विराट कोहली 35 रन बनाकर दिलशान की गेंद पर आउट हुए. 114 रन पर भारत को कोहली के रूप में तीसरा झटका लगा था. 

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धोनी ने बदला फैसला

3 विकेट गिरने के बाद प्राय: युवराज सिंह (Yuvraj Singh) चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आते हैं. लेकिन धोनी (Dhoni) ने अपनी रणनीति को बदला और खुद बल्लेबाजी करने के लिए. धोनी ने अपने इस फैसले को लेकर कहा एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने खुद को प्रमोट करने का फैसला इसलिए किया था तो वो चाहते थे कि क्रीज पर लेफ्ट हैंड व एक राइट हैंड बैटिंग जोड़ी रहे जिससे गेंदबाज को बराबर अपने लेंथ को बदलनी पड़े. धोनी ने ये भी कहा कि उस समय वो श्रीलंका के ज्यादातर गेंदबाजों को जानते थे. जिससे उन्हें पता था कि कैसे इस अहम समय में श्रीलंकाई गेंदबाजों को विकेट लेने से रोका जा सके. बता दें कि जब धोनी बल्लेबाजी करने आए थे तो उस समय मुरलीधरन गेंदबाजी अटैक पर थे. 

97 रन बनाकर गंभीर हुए आउट

97 रन की शानदार पारी खेलने के बाद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) परेरा की गेंद पर बोल्ड आउट हो गए. जब गंभीर आउट हुए उस समय भारत का स्कोर 223 रन पहुंच चुका था. गंभीर ने अपनी 97 रन की पारी में 122 गेंद का सामना किया और 9 शानदार चौके जमाए थे. गंभीर ने मुश्किल हालात में यादगार पारी खेलकर भारत को जीत के दरवाजे पर पहुंचाया था. गंभीर 42वें ओवर में आउट हुए थे. यहां से भारत को जीत के लिए 52 रन बनाने थे. 

युवी और धोनी ने जीताया मैच 

गंभीर के आउट होने के बाद युवराज सिंह (Yuvi-Dhoni) बल्लेबाजी करने आए. इसके बाद धोनी और युवी की जोड़ी ने मिलकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिला दी. धोनी ने 49वें ओवर की दूसरी गेंद पर गेंदबाज  कुलसेकरा को छक्का जमाकर भारत को विश्व कप दिला दिया था. धोनी के सिक्सर से भारत दूसरी बार विश्व चैंपियन बना था. धोनी के छक्का लगाते ही युवराज दूसरे छोर से आगे आए और माही को गले से लगा लिया. भारत की जीत के बाद करोड़ों क्रिकेटप्रेमी झूम उठे, पूरे मुंबई शहर में फैन्स घरों से बाहर निकल कर विश्व चैंपियन बनने का जश्न मनाने लगे. धोनी ने 91 रन की नाबाद पारी खेली और साथ ही युवराज सिंह 21 रन बनाकर नाबाद रहे. धोनी ने अपनी 91 रन की पारी में 79 गेंद का सामना किया और 8 चौके के साथ-साथ2 छक्के भी जमाए. 

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मैच के बाद कोहली ने तेंदुलकर को कंधे पर उठाया

जीत की खुसी में विराट कोहली (Virat Kohli) ने सचिन तेंदुलकर को अपने कंधे पर उठाकर स्टेडियम का चक्कर लगवाया था. इस बारे में विराट ने कहा था, 'तेंडुलकर ने 21 सालों तक देश की उम्मीदों का भार अपने कंधों पर उठाया है, अब ये भार उठाने की बारी मेरी है.'

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