मीडियाकर्मियों से बात करती हुईं तृप्ति देसाई
मुंबई:
सैयद पीर हाजी अली शाह बुखार की दरगाह पर भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने रविवार दोपहर चादर चढ़ाई. हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर वो वहीं तक गईं, जहां तक जाने की इजाज़त ट्रस्ट ने दे रखी है. लेकिन तृप्ति ने भरोसा जताया कि छह हफ्ते बाद वो बराबरी से बाबा की दरगाह के दर्शन कर सकेंगी. साथ ही सबरीमाला के लिए आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया.
बाबा हाजी अली की दरगाह पर दर्शन करने के बाद तृप्ति देसाई ने कहा, 'शनि शिंगणापुर, त्र्यंबकेश्वर, महालक्ष्मी और हाजी अली के बाद हम सबरीमाला जाएंगे. हमारी विनती है कि ट्रस्टी हमारी बात सुनें, हमें वहां प्रवेश करने दें, नहीं तो फिर सबमरीमाला के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा.'
रविवार को तृप्ति देसाई अपने संगठन के साथ हाजी अली दरगाह पर पहुंची, हालांकि वो मजार सहित उन जगहों पर नहीं गई, जहां ट्रस्ट की तरफ से फिलहाल महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है. तृप्ति का कहना था, 'पिछली बार मैंने बाबा से मन्नत मानी थी कि कोर्ट का फैसला आने के बाद मैं चादर चढ़ाने आऊंगी. लिहाज़ा हमने दर्शन किए. छह हफ्ते बाद मुझे उम्मीद है कि मज़ार के पास जाकर बाबा के दर्शन कर सकूंगी. मेरी ट्रस्टियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि वो हाईकोर्ट के फैसले को मानें.'
हाजी अली उजेबिकस्तान के बुखारा से सारी दुनिया घूमते हुए हिन्दुस्तान पहुंचे थे. उनकी दरगाह पर देश दुनिया से जायरीन जुटते हैं. दरगाह बनने के कई सालों तक महिलाओं को मज़ार तक जाने की इजाज़त थी, लेकिन चार साल पहले अचानक ट्रस्ट ने एकतरफा फैसला कर महिलाओं के चादर चढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी.
बाबा हाजी अली की दरगाह पर दर्शन करने के बाद तृप्ति देसाई ने कहा, 'शनि शिंगणापुर, त्र्यंबकेश्वर, महालक्ष्मी और हाजी अली के बाद हम सबरीमाला जाएंगे. हमारी विनती है कि ट्रस्टी हमारी बात सुनें, हमें वहां प्रवेश करने दें, नहीं तो फिर सबमरीमाला के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा.'
रविवार को तृप्ति देसाई अपने संगठन के साथ हाजी अली दरगाह पर पहुंची, हालांकि वो मजार सहित उन जगहों पर नहीं गई, जहां ट्रस्ट की तरफ से फिलहाल महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है. तृप्ति का कहना था, 'पिछली बार मैंने बाबा से मन्नत मानी थी कि कोर्ट का फैसला आने के बाद मैं चादर चढ़ाने आऊंगी. लिहाज़ा हमने दर्शन किए. छह हफ्ते बाद मुझे उम्मीद है कि मज़ार के पास जाकर बाबा के दर्शन कर सकूंगी. मेरी ट्रस्टियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि वो हाईकोर्ट के फैसले को मानें.'
हाजी अली उजेबिकस्तान के बुखारा से सारी दुनिया घूमते हुए हिन्दुस्तान पहुंचे थे. उनकी दरगाह पर देश दुनिया से जायरीन जुटते हैं. दरगाह बनने के कई सालों तक महिलाओं को मज़ार तक जाने की इजाज़त थी, लेकिन चार साल पहले अचानक ट्रस्ट ने एकतरफा फैसला कर महिलाओं के चादर चढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी.
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