सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुंबई के दिघा में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एक दो इमारतों का मामला हो तो इसे नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण होना गंभीर मामला है। इसके लिए राज्य सरकार भी जवाबदेह है। हालांकि दिघा के लोगों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक तोड़फोड़ या किसी भी कारवाई पर रोक लगा दी है।
दिघा में करीब 99 इमारतें अवैध घोषित की गई हैं, जिनमें करीब 2500 लोग रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान राज्य सरकार इन बिल्डिंग्स को नियमित करने के लिए कोई पॉलिसी ला सकती है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 2001 में प्रस्ताव पास किया था कि मानसून के दौरान यानि एक जून से 30 सितंबर तक किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं की जा सकती। सरकार इन इमारतों को नियमित करने के लिए पॉलिसी ला रही है।
सुनवाई के दौरान प्रभावित लोगों ने कहा कि मामला केवल इमारतों का नहीं है, बल्कि वहां रहने वाले सैकड़ों लोगों का सवाल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण चिंता की बात है। दिघा दरअसल मुम्बई से 25-26 किलोमीटर दूर एक गांव था जो अब नवी मुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NMMC) का हिस्सा है। इसे दिघे और दिघा दोनों कहते हैं। यहां की 90 से ज़्यादा बिल्डिंग्स और उनके कुछ हिस्से अवैध घोषित किए गए हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई पर फैसला सुनाते हुए इमारतों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद सरकार एक पॉलिसी लेकर आई थी लेकिन अप्रैल 2016 में हाईकोर्ट ने इसे भी रद्द कर दिया। इस मामले को लेकर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
दिघा में करीब 99 इमारतें अवैध घोषित की गई हैं, जिनमें करीब 2500 लोग रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान राज्य सरकार इन बिल्डिंग्स को नियमित करने के लिए कोई पॉलिसी ला सकती है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 2001 में प्रस्ताव पास किया था कि मानसून के दौरान यानि एक जून से 30 सितंबर तक किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं की जा सकती। सरकार इन इमारतों को नियमित करने के लिए पॉलिसी ला रही है।
सुनवाई के दौरान प्रभावित लोगों ने कहा कि मामला केवल इमारतों का नहीं है, बल्कि वहां रहने वाले सैकड़ों लोगों का सवाल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण चिंता की बात है। दिघा दरअसल मुम्बई से 25-26 किलोमीटर दूर एक गांव था जो अब नवी मुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NMMC) का हिस्सा है। इसे दिघे और दिघा दोनों कहते हैं। यहां की 90 से ज़्यादा बिल्डिंग्स और उनके कुछ हिस्से अवैध घोषित किए गए हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई पर फैसला सुनाते हुए इमारतों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद सरकार एक पॉलिसी लेकर आई थी लेकिन अप्रैल 2016 में हाईकोर्ट ने इसे भी रद्द कर दिया। इस मामले को लेकर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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