बेंगलुरु:
उत्तर कर्नाटक के एक गांव में इन दिनों एक मजदूर परिवार का जीना गांव वालों ने मुश्किल कर दिया है। इस परिवार की एक लड़की के साथ उसके स्कूल के प्रिंसिपल ने करीब एक साल तक बलात्कार किया। इसकी शिकायत होने पर प्रिंसिपल को बर्खास्त करके जेल भेज दिया गया। अब गांव वाले मजदूर परिवार पर मामला वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। गांव वाले इस गरीब परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी कर रहे हैं।
स्कूल के प्रिंसिपल ने एक साल तक किया बलात्कार
बताया जाता है कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की का स्कूल का प्रिंसिपल करीब एक साल से बलात्कार कर रहा था। जब लड़की के सब्र का बांध टूट गया तो उसने इसकी शिकायत अपने मां-बाप से की। उन्होंने पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज करवाया। जांच में बलात्कार की पुष्टि होने पर आईपीसी की धाराओं के अलावा पोक्सो एक्ट के तहत प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। शिक्षा विभाग ने भी गांव में काफी रसूख वाले इस प्रिंसिपल को नौकरी से हटा दिया।
मामला वापस लेने के लिए दबाव
मामला 30 अक्टूबर को दर्ज करवाया गया था। तब से यह परिवार अपनी बच्ची के साथ ट्रॉमा सेंटर में रह रहा था। अब जबकि पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने वाली है तो गांव वाले इस परिवार पर दबाव डाल रहे हैं कि वह मामला वापस ले। हालांकि ऐसे गंभीर मामले वापस नहीं लिए जा सकते, यह बात गांव वाले नहीं समझ पा रहे हैं।
कुंए का पानी लेने की इजाजत नहीं
मजदूर परिवार को सामाजिक बहिष्कार का शिकार भी होना पड़ रहा है। पीड़ित लड़की की मां का कहना है कि गांव वापस आने के बाद कोई उनसे बातचीत नहीं करता, न ही अपने घर पर मोबाइल चार्ज करने देता है। लड़की के पिता के मुताबिक कुंआ से पीने का पानी लेने की भी उसके परिवार को इजाजत नहीं है। उन्हें तालाब से पीने का पानी लेना पड़ता है।
प्रशासन का मानना है कि ऐसे मामलों में सबूत और गवाह मिलते नहीं। इसलिए सख्ती की जगह समझा बुझाकर मामले को ठीक करने की कोशिश की जा रही है।
स्कूल के प्रिंसिपल ने एक साल तक किया बलात्कार
बताया जाता है कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की का स्कूल का प्रिंसिपल करीब एक साल से बलात्कार कर रहा था। जब लड़की के सब्र का बांध टूट गया तो उसने इसकी शिकायत अपने मां-बाप से की। उन्होंने पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज करवाया। जांच में बलात्कार की पुष्टि होने पर आईपीसी की धाराओं के अलावा पोक्सो एक्ट के तहत प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। शिक्षा विभाग ने भी गांव में काफी रसूख वाले इस प्रिंसिपल को नौकरी से हटा दिया।
मामला वापस लेने के लिए दबाव
मामला 30 अक्टूबर को दर्ज करवाया गया था। तब से यह परिवार अपनी बच्ची के साथ ट्रॉमा सेंटर में रह रहा था। अब जबकि पुलिस इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने वाली है तो गांव वाले इस परिवार पर दबाव डाल रहे हैं कि वह मामला वापस ले। हालांकि ऐसे गंभीर मामले वापस नहीं लिए जा सकते, यह बात गांव वाले नहीं समझ पा रहे हैं।
कुंए का पानी लेने की इजाजत नहीं
मजदूर परिवार को सामाजिक बहिष्कार का शिकार भी होना पड़ रहा है। पीड़ित लड़की की मां का कहना है कि गांव वापस आने के बाद कोई उनसे बातचीत नहीं करता, न ही अपने घर पर मोबाइल चार्ज करने देता है। लड़की के पिता के मुताबिक कुंआ से पीने का पानी लेने की भी उसके परिवार को इजाजत नहीं है। उन्हें तालाब से पीने का पानी लेना पड़ता है।
प्रशासन का मानना है कि ऐसे मामलों में सबूत और गवाह मिलते नहीं। इसलिए सख्ती की जगह समझा बुझाकर मामले को ठीक करने की कोशिश की जा रही है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
कर्नाटक, मजदूर परिवार, स्कूली छात्रा का यौन उत्पीड़न, प्रिंसिपल ने किया रेप, एक साल तक बलात्कार, रेप का मामला दर्ज, सामाजिक बहिष्कार, Karnatak, Labour Family, Rape Against School Student, School Principal Arrested, One Year Rape, Social Boycott, Rape Case Ragistered, S