इंटरनेट की दुनिया में अग्रणी सर्च कंपनी गूगल को एक अमेरिकी कोर्ट से ज़ोरदार झटका लगा, जब कोर्ट ने एन्टी-ट्रस्ट केस पर अपने फ़ैसले में कहा कि गूगल ने सर्च मार्केट में मोनोपली (एकाधिकार) बनाने के लिए अवैध तरीके अपनाए. कोर्ट के इस फ़ैसले को एन्टी-ट्रस्ट केस में गूगल के खिलाफ सरकार की पहली बड़ी जीत माना जा रहा है, और गूगल ने फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने की योजना बनाई है.
जज ने कहा, "गूगल के डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंटों के ज़रिये जनरल सर्च सर्विस मार्केट का बड़ा हिस्सा बंद हो जाता है, जो प्रतिस्पर्द्धियों के मौके खत्म कर देता है..."
मोनोपली से विज्ञापन के मनमाने दाम बढ़ाने की छूट मिली
जज मेहता ने फ़ैसले में आगे कहा कि फ़ोन और ब्रॉउज़रों पर मोनोपली बनाने के बाद गूगल बिना किसी परवाह के ऑनलाइन एडवरटाइज़िंग की कीमतों को मनमाने ढंग से बढ़ाने में सक्षम हुआ.
सरकार का आरोप है कि ऑनलाइन और इससे जुड़ी एडवरटाइज़िंग पर गूगल मोनोपली बनाकर बैठा है. गूगल ने एप्पल, सैमसंग और अन्य कंपनियों को बीते कई सालों में प्राइम प्लेसमेंट के लिए अरबों रुपये दिए हैं.
गूगल के लिए भारत में भी बढ़ीं मुसीबतें
Alliance Of Digital India Foundation (ADIF) ने सोमवार को CCI (Competition Commission of India) में गूगल के खिलाफ एन्टी-कॉम्पिटीटिव प्रैक्टिस करने के आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है. ADIF की शिकायत में ऑनलाइन सर्च और डिस्प्ले एडवरटाइज़मेंट में गूगल के प्रभुत्व और 'कथित खराब रवैये' को निशाना बनाया गया है.
ADIF के मुताबिक, बड़े ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों पर गूगल का नियंत्रण और रेवेन्यू के लिए एडवरटाइज़िंग पर इसकी निर्भरता भारतीय व्यवसायों के लिए प्रतिकूल है और इससे प्रतिस्पर्द्धा कमज़ोर होती है. ADIF पहले भी गूगल के एड-रैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता न होने के आरोप लगाकर इसे 'ब्लैक बॉक्स एप्रोच' कहता रहा है, जहां एडवरटाइज़रों को उन सर्विसेज़ के बारे में स्पष्टता नहीं होती, जिनके लिए वे पैसे दे रहे हैं.
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