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नवंबर में डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल कैसी रहेगी? जानिए किन फैक्टर्स से तय होगी भारतीय करेंसी की दिशा

नवंबर में रुपये की चाल कई ग्लोबल फैक्टर्स खासकर डॉलर की स्थिति, अमेरिकी इकोनॉमिक डेटा, और भारत-अमेरिका के बीच चल रही बातचीत परपर निर्भर करेगी

नवंबर में डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल कैसी रहेगी? जानिए किन फैक्टर्स से तय होगी भारतीय करेंसी की दिशा
Dollar vs Rupee Rate : अक्टूबर में रुपया 87.83 से 88.70 प्रति डॉलर की रेंज में ट्रेड करता दिखा.
नई दिल्ली:

नवंबर में भारतीय करेंसी रुपये की दिशा हद तक डॉलर की चाल और अमेरिका-भारत के बीच व्यापार वार्ता की प्रगति पर निर्भर करेगा. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने के आखिर तक रुपया 88.5 से 89 प्रति डॉलर की रेंज में रह सकता है.बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉलर की चाल इस समय अमेरिकी महंगाई दर (inflation) और रोजगार डेटा (labour market) से जुड़ी जानकारी पर टिकी हुई है. यही आंकड़े तय करेंगे कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व आगे ब्याज दरों पर क्या फैसला लेता है.

फिलहाल मार्केट में यह भरोसा बढ़ रहा है कि इस साल फेड और रेट कट नहीं करेगा, जिससे डॉलर मजबूत बना हुआ है. डॉलर की मजबूती से भारतीय रुपया पर भी दबाव देखने को मिल रहा है.

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अमेरिका-भारत ट्रेड डील से जुड़ी कोई अच्छी खबर आती है तो इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और रुपये को सपोर्ट मिल सकता है. हालांकि अभी अमेरिकी टैरिफ (import duty) बढ़ने से भारत की इकोनॉमी पर असर दिख रहा है और इसकी वजह से विदेशी निवेशकों (FPI) के निवेश पर दबाव बना हुआ है.

आरबीआई की भूमिका

रुपये के रिकॉर्ड लो लेवल तक फिसलने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) फॉरेक्स मार्केट में एक्टिव हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने इंटरवेंशन करके रुपये को और गिरने से रोका.यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि बीते महीनों में आरबीआई ने करेंसी मूवमेंट को ज्यादा फ्री रहने दिया था, लेकिन अब वोलैटिलिटी को कंट्रोल करने के लिए दखल बढ़ाया गया है.

पिछले महीने रुपये का प्रदर्शन कैसा रहा?

अक्टूबर में रुपया 87.83 से 88.70 प्रति डॉलर की रेंज में ट्रेड करता दिखा. इस दौरान करेंसी की औसत वार्षिक अस्थिरता 4% से घटकर नवंबर में 1.2% पर आ गई.रिपोर्ट बताती है कि पिछले महीने भारतीय रुपया स्थिर रहा, लेकिन डॉलर की मजबूती, कमजोर निवेश और आयातकों की बढ़ी डिमांड के चलते करेंसी दबाव में रही.

ग्लोबल करेंसी मार्केट में मिला-जुला प्रदर्शन

बीते महीने ग्लोबल करेंसियों में डॉलर को लेकर अलग-अलग रुझान देखने को मिले. जहां उभरते बाजारों की करेंसियां मजबूत हुईं, वहीं विकसित देशों की करेंसियां  कमजोर रहीं.इसका असर भारतीय करेंसी पर भी पड़ा, जो अब भी सीमित दायरे में ट्रेड कर रही है.

नवंबर में रुपये की चाल कई ग्लोबल फैक्टर्स खासकर डॉलर की स्थिति, अमेरिकी इकोनॉमिक डेटा, और भारत-अमेरिका के बीच चल रही बातचीत परपर निर्भर करेगी . फिलहाल मार्केट एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि नवंबर के आखिर तक रुपया 88.5 से 89 प्रति डॉलर की रेंज में बना रह सकता है.

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