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This Article is From Mar 04, 2025

रिलायंस को 24,500 करोड़ का डिमांड नोटिस, SC के वकील ने समझाया पूरा मामला, कहा- कंपनी के लिए डगर मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आरके सिंह ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का पहले भी गैस और एनर्जी से संबंधित विवाद भारत सरकार से होता रहा है.

दिल्ली हाई कोर्ट की डबल जज बेंच के फैसले के बाद मंगलवार को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से 2.81 अरब डॉलर (24,522 करोड़) का हर्जाना मांगा है. सरकार से मिले इस डिमांड नोटिस के बाद रिलायंस के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली. पूरे मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. इस बीच पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज को भेजे गए डिमांड नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आरके सिंह ने पूरी बात बताई. आरके सिंह ने इस पूरे मामले का बैकग्राउंड भी बताया.

कृष्णा गोदावरी बेसिन से ONGC के हिस्से का गैस निकालने का मामला

उन्होंने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का पहले भी गैस और एनर्जी से संबंधित विवाद भारत सरकार से होता रहा है. 2016 में पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 1.55 बिलियन डॉलर का डिमांड रेज किया. रिलायंस ने इस डिमांड को चैलैंज किया. कृष्णा गोदावरी बेसिन (KG-D6) से ONGC के हिस्से का गैस गैरकानूनी तरीके से माइग्रेट करने के आरोप में रिलायंस इंडस्ट्रीज पर डिमांड नोटिस किया गया था. 

दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा था मामला

बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने ब्रिटिश पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन (Alpha) लिमिटेड और निको (NECO) के साथ मिलकर कृष्णा गोदावरी बेसिन (KG-D6) में ओएनजीसी के ब्लॉक से कथित गैस माइग्रेशन के विवाद में आर्बिट्रल अवार्ड जीत लिया था. जिसके बाद में यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा. जहां सिंगल जज बेंच ने 9 मई, 2023 को आर्बिट्रल अवार्ड के खिलाफ सरकार की अपील को खारिज करते हुए मूल फैसले को बरकरार रखा.

हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को पलटा 

सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट आरके सिंह ने आगे बताया, "सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच में फैसले को चुनौती दी. डबल बेंच ने 14 फरवरी को सिंगल जज बेंच के फैसले को पलट दिया और कहा कि रिलायंस की देनदानी बनती है. रिलायंस को पैसे देने होंगे."  आरके सिंह ने आगे बताया कि इसी बीच भारत सरकार ने 1.36 बिलियन का एडिशनल डिमांड रेज कर दिया. अब यह मामला 2.81 बिलियन डॉलर लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का डिमांड नोटिस बन गया. 

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रियालंस के लिए आगे का रास्ता कठिनः आरके सिंह

आरके सिंह ने आगे बताया कि अब रिलायंस के लिए आगे का रास्ता कठिन है, क्योंकि हम जिस डिमांड की हम बात कर रहे हैं वो भारत का सोबरिन वेल्थ (Sovereign wealth) है. रिलायंस उस वेल्थ के डिफॉल्ट के रूप में खड़ा है. भारत सरकार एक-एक पैसे का हिसाब करेगी. टेलीकॉम विवाद में भी हमने यह देखा है. आरके सिंह ने आगे बताया कि आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में दखल नहीं देता है. वोडाफोन वाले केस में भी आपने देखा है.    

बड़ी अदालत में चुनौती देने की राय ले रहा रिलायंस

मालूम हो कि सोबरिन वेल्थ राष्ट्र की संप्रुभता से संबंधित संपदा होती है. इसपर पहला हक राष्ट्र के नागरिकों का होता है और सरकार उसका कस्टोडियन होता है. सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर वकील आरके सिंह ने आगे कहा कि मैं अपनी अनुभव के आधार पर बताऊं तो रिलायंस के लिए डगर कठिन है. दूसरी ओर हाई कोर्ट के इस फैसले पर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती देने के लिए वकीलों से राय ले रहा है.

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