कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले पर चुनाव प्रचार के लिए ‘‘ अवैध बिटकॉइन गतिविधियों '' में शामिल होने के आरोप लगने के बाद बिटकॉइन तथा क्रिप्टोकरेंसी फिर से चर्चा में हैं.क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ये क्या हैं और इनके इस्तेमाल को लेकर कानून का क्या कहता है.
क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल (आभासी) करेंसी है जो क्रिप्टोग्राफी (कोड) द्वारा सिक्योर है. इनका फर्जी व दो बार इस्तेमाल करना लगभग असंभव है. वे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सेंट्रेलाइज्ड नेटवर्क पर मौजूद हैं. ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे बिटकॉइन जैसी करेंसी का संचालन होता है. वहीं बिटकॉइन सबसे अधिक प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी का नाम है, जिसके लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी बनाई गई थी.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30% की दर से टैक्स
क्रिप्टोकरेंसी का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है. इसकी आपूर्ति प्रोटोकॉल द्वारा निर्धारित होती है, केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं. इनके कानूनी पहलू की बात करें तो भारत क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है. हालांकि, इसके लागू होने तक इसे अवैध नहीं कहा जा सकता. सरकार ने 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाने की घोषणा की थी.
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स लगाने के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी को अनिवार्य व स्पष्ट रूप से वैध नहीं माना जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी ‘‘करेंसी'' नहीं हो सकती: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी निजी क्रिप्टो एसेट्स के उपयोग को लेकर संशय में है और इसे देश की व्यापक आर्थिक व वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार-बार कहा है कि निजी संस्थाओं द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी ‘‘करेंसी'' नहीं हो सकती. भारतीय रिजर्व बैंक के डिजिटल करेंसी जारी करने पर ही वह करेंसी होगी. वित्त मंत्री ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी प्रभावी विनियमन या प्रतिबंध के लिए ‘‘अंतरराष्ट्रीय सहयोग'' की आवश्यकता होगी.
रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का रखा प्रस्ताव
इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था जिसे न्यायालय के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था. आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता तथा मौद्रिक स्थिरता के लिए बहुत बड़ा जोखिम मानता है.गौरतलब है कि चार मार्च, 2021 को उच्चतम न्यायालय ने आरबीआई के छह अप्रैल 2018 के परिपत्र को रद्द कर दिया था, जिसमें बैंकों और उसके द्वारा विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं के संबंध में सेवाएं प्रदान करने से रोक दिया गया था.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने पिछले महीने कहा था कि वर्चुअल एसेट्स ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में करेंसी आपूर्ति पर नियंत्रण खो सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक नीति पर विचार
वर्तमान में, आरबीआई, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक नीति पर विचार कर रहा है.आईएमजी ने इस पर अभी परिचर्चा पत्र जारी नहीं किया है, जो हितधारकों को क्रिप्टो करेंसी पर भारत के नीतिगत रुख पर फैसला लेने से पहले अपने विचार रखने का अवसर देगा.
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