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वित्त वर्ष 2025 में अब तक डायरेक्ट Tax कलेक्शन 16% बढ़कर 25.86 लाख करोड़ पर पहुंचा

इनकम टैक्स रिफंड (ITR Refund) में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिफंड घटाने के बाद नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन(Net Direct Tax collections) 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

वित्त वर्ष 2025 में अब तक डायरेक्ट Tax कलेक्शन 16% बढ़कर 25.86 लाख करोड़ पर पहुंचा
Tax collections In India: पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये हो गया.
नई दिल्ली:

चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक देश के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (Direct Tax collections)  में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.2 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, और यह 25.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.डायरेक्ट टैक्स में कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax), पर्सनल इनकम टैक्स (Personal Income Tax) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax STT) शामिल हैं.

कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये

चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 10.1 लाख करोड़ रुपये था. पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये हो गया. सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) कलेक्शन में भी तेज वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 34,131 करोड़ रुपये की तुलना में 53,095 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

वहीं, संपत्ति कर सहित अन्य करों में मामूली गिरावट देखी गई, जो 3,656 करोड़ रुपये से घटकर 3,399 करोड़ रुपये रह गया.

इनकम टैक्स रिफंड में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज

इनकम टैक्स रिफंड (ITR Refund) में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिफंड घटाने के बाद नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन(Net Direct Tax collections) 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

टैक्स कलेक्शन में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है, जिसमें सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए अधिक धन जुटा रही है.

यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है. कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग सिस्टम में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है. इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक रोजगार सृजन होता है.

इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होती है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित होता है.

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