
- भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बनी हुई है.
- मई में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
- औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में गतिविधियां तेज गति से बढ़ रही हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मई 2025 के मासिक बुलेटिन में साफ कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, मई महीने में औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां तेज रही हैं, और कई ऐसे संकेतक मिले हैं जो आर्थिक मजबूती की तरफ इशारा करते हैं.
घरेलू मोर्चे पर ग्रोथ बरकरार
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, देश में मई में जारी अनुमान बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-जून तिमाही में विकास दर में अच्छी बढ़त देखने को मिल सकती है.
औद्योगिक और सेवा सेक्टर में अच्छी रफ्तार
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई हाई फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर्स से यह पता चलता है कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में अच्छा प्रदर्शन रहा है. भारत में एक्टिविटी लेवल उन देशों से बेहतर रहा है, जहां पर मंदी या सुस्ती का असर दिख रहा है.
खेती और ग्रामीण डिमांड से मिली मजबूती
2024-25 के खरीफ और रबी सीजन में खेती में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर प्रमुख फसलों का उत्पादन बढ़ा है, जिससे खाद्य महंगाई में गिरावट आई है. ग्रामीण मांग में भी सुधार देखा गया है, और उपभोक्ताओं की सोच भी भविष्य के लिए सकारात्मक बनी हुई है.
महंगाई काबू में और ब्याज दरों में राहत की उम्मीद
RBI बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई फिलहाल नियंत्रण में है. मई में लगातार चौथे महीने हेडलाइन महंगाई दर तय लक्ष्य से नीचे रही है. साथ ही, ब्याज दरों में कटौती का असर अब धीरे-धीरे कर्ज बाजार में दिखने लगा है, जिससे आर्थिक माहौल और अनुकूल बनता जा रहा है.
ग्लोबल हालात खराब, फिर भी भारत में भरोसा
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था इस समय अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच झूल रही है. लेकिन भारत में फिलहाल हालात संभले हुए हैं. सोना-चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव और शेयर बाजार की हलचल के बावजूद बाजार ने खुद को संभाला है. 20 जून को बाजार में अच्छी तेजी दर्ज की गई थी.
फॉरेन रिजर्व और विदेशी कर्ज की स्थिति बेहतर
RBI के अनुसार, भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, जिससे बाहर से आने वाले कर्ज और इंपोर्ट्स की स्थिति मजबूत बनी हुई है. गैर-बैंकिंग चैनल जैसे बाहरी वाणिज्यिक कर्ज (ECB) में भी लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं