
GST सुधारों को लेकर रेस्टोरेंट और रिटेल सेक्टर काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. NDTV प्रॉफिट के GST कॉन्क्लेव में इंडस्ट्री के दिग्गजों ने बताया कि ये सुधार न सिर्फ उपभोक्ताओं की जेब में पैसा बचाएंगे बल्कि खाने-पीने और शॉपिंग के बिजनेस को भी सीधा फायदा देंगे. हालांकि, इन सुधारों के बीच कुछ पेच भी सामने आए हैं.
"खाना ही सबसे बड़ा एंटरटेनमेंट"-
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट और मासिव रेस्टोरेंट्स के फाउंडर जोरावर कालरा ने कहा कि जीएसटी सुधारों से घरेलू खपत को बड़ा बूस्ट मिलेगा. उन्होंने बताया कि भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां जीडीपी का 63% हिस्सा घरेलू खपत से आता है.
रेट कट्स से फायदा लेकिन ITC की दिक्कत
जोरावर ने आगे कहा कि उपभोक्ताओं की जेब में पैसे बढ़ने के साथ-साथ घी, बटर जैसे कई फूड इंग्रेडिएंट्स पर टैक्स कटने से भी इंडस्ट्री को राहत मिलेगी. लेकिन उन्होंने इस सेक्टर की बड़ी समस्या भी बताई.
रेस्टोरेंट बिजनेस की हालत पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा रेस्टोरेंट बंद होने का रिस्क इंडिया में है. "9 में से 10 रेस्टोरेंट एक महीने के भीतर बंद हो जाते हैं और 9.6 में से 10 रेस्टोरेंट 18 महीने के अंदर शटर डाउन कर देते हैं."
रिटेल सेक्टर की राय, 'दिल मांगे मोर'
डीएलएफ मॉल्स की सीनियर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर पुष्पा बेक्टर ने भी पैनल में हिस्सा लिया और बताया कि रिटेल सेक्टर, खासकर अपैरल (कपड़ा) मार्केट को सुधारों से फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इससे कंज्यूमर सेंटिमेंट बेहतर होगा, लेकिन कुछ फैसलों पर दोबारा सोचने की जरूरत है.
उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, "कुछ चीजें बहुत अच्छी हैं, लेकिन कुछ पर अभी भी दिल मांगे मोर."
पुष्पा बेक्टर ने बताया कि 2500 रुपए से ऊपर के कपड़ों पर 18% जीएसटी लागू है, जिससे यह वैल्यू-सेंट्रिक प्रोडक्ट बन जाता है, न कि एस्पिरेशनल. यानी महंगे कपड़े अब और महंगे हो जाएंगे.
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