
भारत के समुद्री क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी जुड़ गई है.अदाणी समूह के विझिंजम इंटरनेशनल पोर्ट ने कमर्शियल ऑपरेशन शुरू करने के नौ महीने से भी कम समय में 10 लाख टीईयू (ट्वेंटी फुट इक्विवेलेंट यूनिट) का आंकड़ा पार कर लिया है. यह उपलब्धि न सिर्फ अनुमान से कहीं ज्यादा है, बल्कि भारत को एक नई समुद्री ताकत के रूप में नई पहचान भी दिला रही है.
रिकॉर्ड समय में हासिल की बड़ी उपलब्धि
केरल के बंदरगाह मंत्री वी एन वासवन ने इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह राज्य और देश दोनों के लिए गर्व की बात है. उन्होंने जानकारी दी कि बंदरगाह परियोजना का दूसरा चरण जल्द शुरू किया जाएगा और रेलवे व सड़क कनेक्टिविटी भी जल्द उपलब्ध होगी.
कैसे हासिल हुआ लक्ष्य
विझिंजम इंटरनेशनल पोर्ट को 3 दिसंबर 2024 को शुरू किया गया था. अब तक यहां 460 से ज्यादा जहाज आ चुके हैं, जिनमें 26 अल्ट्रा लार्ज कंटेनर वेसल भी शामिल हैं जिनकी लंबाई करीब 400 मीटर तक थी. MSC Paloma जैसे जहाज पर तो 10,576 टीईयू का रिकॉर्ड एक्सचेंज हुआ, जो भारत में अब तक का सबसे बड़ा है.
शुरुआत में उम्मीद थी कि बंदरगाह पहले साल में सिर्फ 30 प्रतिशत क्षमता ही संभाल पाएगा, लेकिन इसने रिकॉर्ड समय में 100 प्रतिशत क्षमता तक पहुंचकर सबको चौंका दिया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान
इस बंदरगाह की सबसे बड़ी ताकत इसका भौगोलिक स्थान है. यह मुख्य ईस्ट-वेस्ट शिपिंग रूट्स के पास है, जिससे जहाजों का समय और खर्च दोनों कम हो जाते हैं. इसकी 18.5 मीटर की नेचुरल ड्राफ्ट गहराई दुनिया के सबसे बड़े जहाजों को बिना अतिरिक्त खुदाई के डॉक करने की सुविधा देती है.
टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन में आगे
विझिंजम बंदरगाह पूरी तरह एडवांस टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यहां 8 शिप-टू-शोर क्रेन और 24 ऑटोमेटेड गैंट्री क्रेन लगी हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) सिस्टम के जरिए कार्गो को रियल टाइम में ट्रैक किया जाता है. इससे जहाज तेजी से लोडिंग-अनलोडिंग कर पाते हैं और बंदरगाह की क्षमता लगातार बढ़ रही है.
भारत के लिए रणनीतिक फायदा
इस पोर्ट की वजह से भारत से यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और फार ईस्ट के लिए सीधा कनेक्शन संभव हो गया है. अब भारतीय कार्गो को कोलंबो या सिंगापुर जैसे विदेशी हब्स के जरिए भेजने की जरूरत नहीं होगी. इससे न सिर्फ लागत और समय बचेगा बल्कि भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी.
इस उपलब्धि के बाद भारत अब उन देशों पर कम निर्भर होगा, जहां पहले भारतीय कार्गो को ट्रांसशिप किया जाता था, जैसे कोलंबो और सिंगापुर. अब भारतीय निर्यातकों और आयातकों को सीधा फायदा मिलेगा क्योंकि समय और लागत दोनों घटेंगे.
सस्टेनेबिलिटी पर जोर
विझिंजम को ग्रीन पोर्ट मॉडल पर बनाया गया है. यहां नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है और पर्यावरण मंत्रालय की सभी गाइडलाइंस का पालन किया गया है. इससे यह बंदरगाह भारत के ग्रीन शिपिंग मिशन में अहम भूमिका निभा रहा है.
(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)
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