पटना:
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश किए गए 2016-17 के आम बजट में बिहार को विशेष पैकेज नहीं देने पर प्रदेश के लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। ज्यादातर लोगों ने निराशा प्रकट की है। वहीं स्वास्थ्य बीमा का स्वागत किया गया है।
कुछ लोग इसे गरीबों, कृषकों और आम लोगों का बजट बता रहे हैं। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बजट को गांव और आम लोगों का बजट बताया है।
उन्होंने कहा, 'यह बजट देश के 70 प्रतिशत लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए विशेष पैकेज की बात नहीं की गई है, जिससे यह बजट बिहार के लिए उतना सुखद नहीं है।' उन्होंने कालेधन के सामने लाने के सरकार के प्रयास की सराहना की।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बजट को दीर्घकालीन सुधार वाला बजट बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा पेश इस बजट में आधारभूत संरचनाओं के विकास पर जोर दिया गया है। सरकार ने वित्तीय हालात को देखते हुए कुछ अच्छे कदम उठाए हैं, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में बाहरी कंपनियों के आने से स्थानीय उद्योगों को नुकसान हो सकता है।
पटना के जाने-माने अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता ने बजट को सामान्य बताते हुए कहा कि बिहार के लोगों को इस बजट से उम्मीदें थीं, लेकिन इस बजट में बिहार को खास तौर पर कुछ भी नहीं मिल सका है।
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ओपी शाह ने बजट को मिला-जुला बताया है। उन्होंने कहा, 'वित्तमंत्री ने बजट में आधारभूत संरचना का जो प्रावधान किया है उससे देश को आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।' उन्होंने हालांकि बिहार के लिए विशेष पैकेज नहीं दिए जाने पर नाखुशी जताई।
बिहार सचिवालय के कर्मचारी रत्नेश कुमार का मानना है कि बजट में लोगों को स्वास्थ्य बीमा दिया जाना स्वागत योग्य है।
एक निजी विद्यालय की शिक्षिका रोमा श्रीवास्तव कहती हैं कि देश में 62 नवोदय विद्यालय खोलने के प्रस्ताव का स्वागत होना चाहिए। इसके अलावा विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के लिए डिजिटल डिपॉजिटरी की भी प्रशंसा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार में पूंजी निवेश को बढ़ाने के लिए बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है, जो बिहार के विकास के लिए सबसे जरूरी है।
कुछ लोग इसे गरीबों, कृषकों और आम लोगों का बजट बता रहे हैं। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बजट को गांव और आम लोगों का बजट बताया है।
उन्होंने कहा, 'यह बजट देश के 70 प्रतिशत लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए विशेष पैकेज की बात नहीं की गई है, जिससे यह बजट बिहार के लिए उतना सुखद नहीं है।' उन्होंने कालेधन के सामने लाने के सरकार के प्रयास की सराहना की।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बजट को दीर्घकालीन सुधार वाला बजट बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा पेश इस बजट में आधारभूत संरचनाओं के विकास पर जोर दिया गया है। सरकार ने वित्तीय हालात को देखते हुए कुछ अच्छे कदम उठाए हैं, लेकिन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में बाहरी कंपनियों के आने से स्थानीय उद्योगों को नुकसान हो सकता है।
पटना के जाने-माने अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता ने बजट को सामान्य बताते हुए कहा कि बिहार के लोगों को इस बजट से उम्मीदें थीं, लेकिन इस बजट में बिहार को खास तौर पर कुछ भी नहीं मिल सका है।
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ओपी शाह ने बजट को मिला-जुला बताया है। उन्होंने कहा, 'वित्तमंत्री ने बजट में आधारभूत संरचना का जो प्रावधान किया है उससे देश को आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।' उन्होंने हालांकि बिहार के लिए विशेष पैकेज नहीं दिए जाने पर नाखुशी जताई।
बिहार सचिवालय के कर्मचारी रत्नेश कुमार का मानना है कि बजट में लोगों को स्वास्थ्य बीमा दिया जाना स्वागत योग्य है।
एक निजी विद्यालय की शिक्षिका रोमा श्रीवास्तव कहती हैं कि देश में 62 नवोदय विद्यालय खोलने के प्रस्ताव का स्वागत होना चाहिए। इसके अलावा विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के लिए डिजिटल डिपॉजिटरी की भी प्रशंसा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार में पूंजी निवेश को बढ़ाने के लिए बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है, जो बिहार के विकास के लिए सबसे जरूरी है।
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