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This Article is From Feb 25, 2020

दिल्‍ली में इस हिंसा को क्‍यों बढ़ने दिया गया?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 25, 2020 23:29 pm IST
    • Published On फ़रवरी 25, 2020 23:29 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 25, 2020 23:29 pm IST

मंगलवार को दिल्ली शांत नहीं हो सकी है. जैसे ही लगता है कि हालात सामान्य हो रहे हैं, कहीं और से हिंसा और घायलों की खबरें आने लगती हैं. इस हिंसा को नहीं रोक पाने के लिए कौन ज़िम्मेदार है. यह सवाल गृहमंत्री अमित शाह से शुरू होता है, फिर पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक पर जाता है फिर उप राज्यपाल और फिर मौके पर तैनात पुलिस पर पहुंचते ही दोनों पक्षों में बंट जाता है, जो अपना संतुलन खो चुके हैं और पथराव से लेकर गोलीबारी पर उतर आए हैं. गोली लगने से हुई मौत और घायलों की संख्या बताती है कि दिल्ली में सब कुछ बेलगाम हो गया है. 19-20 साल के लड़के ईंट चलाते देखे जा रहे हैं, डंडे लेकर चौराहे पर अपने अपने धर्म के रक्षक बने घूम रहे हैं. सिर्फ गुरुतेग बहादुर अस्पताल में जो 150 घायल भर्ती हुए हैं उनमें से करीब 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. मंगलवार को गोली लगने से घायल हुए 21 लोग जीटीबी अस्पताल मे भर्ती हुए हैं. तो आप सोच सकते हैं कि मंगलवार को क्या हुआ होगा. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ल ने बताया कि 12 साल के एक बच्चे को भी गोली लगी है. यह संख्या बताती है कि दिल्ली बेलगाम हो चुकी है. अब इसे आगे की राजनीति की सेज सजाने के लिए ख़ूनी होने दिया गया इसका जवाब मेरे पास नहीं है. लेकिन एक शहर में 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं और 11 लोगों की मौत हो गई है तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि दिल्ली में क्या कुछ होने दिया गया है. ट्विटर पर मरने वालों की संख्या अधिक बताई जा रही है, लेकिन हम आधिकारिक संख्या ही आपको बताएंगे.

जीटीबी के मॅर्चरी से आते इस रूदन को क्या आप हिन्दू और मुसलमान के रूदन में बांट सकते हैं, किसकी सिसकी है किसका बिलखना है. यहां राहुल सिंह सोलंकी के पिता अपने को संभाल नहीं पा रहे हैं तो उन्हीं के पीछे बैठा शाहिद का भाई नासिर उसके शव के इंतज़ार में है. शाहिद बुलंदशहर का रहने वाला था. ऑटो चलाता था और तीन महीने पहले शादी हुई थी. राहुल सिंह सोलंकी मार्केटिंग कंपनी का टीम लीडर था. एक बहन सीआरपीएफ में काम करती है. दिल्ली के बदहवास हो जाने का नतीजा इन परिवारों ने जो भुगता है वो इस अस्पताल के बाहर दिखता है. कोई मोटरसाइकिल से लाद कर लाया जा रहा है तो कोई रिक्शे में लाद कर लाया जा रहा है. एंबुलेंस के आने का सिलसिला जारी है. इलाके के हालात इतने खराब हैं कि लोग जान जोखिम में डाल कर घायलों को अस्पताल ला रहे हैं. अस्तपाल के भीतर यह नौजवान ग्लूकोज का बोतल लिए खड़ा है क्योंकि उसका भाई घायल हुआ है. बाहर शाम तक घायलों को लाया जा रहा था. घायल को लेकर भागती यह भीड़ बता रही है दिल्ली बदहवास हो चुकी है.

जैसा कि रवीश रंजन ने बताया कि सिर्फ जीटीबी अस्पताल का आंकड़ा बताता है कि 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. सारे अस्पतालों के आंकड़े नहीं हैं. सेंट स्टीफेंस अस्पताल में भी 28 साल के तरुण को गंभीर चोट लगी है. उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है. तरुण बिहारीपुर मोहल्ले का है. इसी अस्पताल में 25 फरवरी की सुबह सवा चार बजे सीलमपुर से शाह मोहम्मद को लाया गया. उसे जांघ में गोली लगी है. शाह मोहम्मद का ऑपरेशन हुआ है. तरुण और शाह मोहम्मद ठीक हैं. दिल्ली पुलिस के डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा की भी मैक्स अस्पताल ब्रेन सर्जरी हुई है. उनकी स्थिति भी गंभीर बताई जा रही है, मगर खतरे से बाहर हैं. अमित शर्मा का हथियार भी छिन लिया गया है. उसे हासिल किए जाने की कोशिश हो रही है. एसीपी गोकुलपुरी आईपीएस अनुज कुमार भी घायल हैं जिनका इलाज मैक्स अस्पताल में चल रहा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मैक्स अस्पताल जाकर देखा है.

दिल्ली पुलिस ने आज अपने जवान शहीद रतन लाल को भावभीनी श्रद्धांजली दी है. सलामी देने के वक्त पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी मौजूद थे. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी मौजूद थे. दोपहर 12 बजे के आस पास रतन लाल को दयालपुर थाने के पास गोली लगी थी. पहले पत्थर लगने से घायल होने की बात आई थी लेकिन अब इसकी पुष्टि हो चुकी है कि उनके बायें बाज़ू में गोली लगी थी जो पार करती हुई दायें बाज़ू में पाई गई. रतन लाल गोकुलपुरी की एसीपी की सुरक्षा में गए थे. आपको बताया कि एसीपी अनुज कुमार भी दंगे में घायल हुए हैं. दिल्ली के बुराड़ी के अमृत विहार कालोनी में रहते थे लेकिन रतन लाल राजस्थान के सीकर के रहने वाले हैं. रामगढ़ शेखावाटी के तिहावली गांव के रहने वाले हैं. रतन लाल तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. रतन के तीन बच्चे हैं. हमारी सहयोगी हर्षा कुमारी सिंह शहीद रतन लाल के गांव गई थीं. रतन के परिवार उसे शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार शाम को हालात के सामान्य होने का दावा किया गया था लेकिन रात भर इलाके से वीडियो आते रहे जिनमें हिंसा की भयावह तस्वीरें नज़र आ रही थी. कई जगहों से पुलिस की मदद मांगी जा रही थी. दमकल गाड़ियों की मदद मांगी जा रही थी. इसके बाद भी पत्रकारों के लिए रिपोर्ट करना मुश्किल हो गया. उनका मज़हब पूछा जाने लगा. उन्हें रिकार्ड करने से रोका गया. मारपीट हुई तो गोली भी लगी.

जे के 24.7 न्यूज़ के लिए रिपोर्टिंग करने वाले आकाश को गोली लग गई. आकाश मौजपुर इलाके से रिपोर्टिंग कर रहे थे. आकाश को जीटीबी अस्पताल में भरती कराया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार अनिंद्य चट्टोपाध्याय ने 25 फरवरी के अखबार में लिखा है कि उसके सर पर तिलक लगाया गया और बोला कि अब तुम्हारा काम आसान हो जाएगा. अनिंद्य से पूछा गया कि हिन्दू हो कर उस बिल्डिंग की तस्वीर क्यों ले रहो जो जल रही है. इसके बाद उसे पैंट उतार कर लिंग से मज़हब देखने की बात कही गई. कई चैनलों और अखबारों के पत्रकार को मज़हब और चैनल के हिसाब से पहचान की जाने लगी और निशाना बनाया जाने लगा. हिन्दुस्तान टाइम्स के फोटोग्राफर संचित खन्ना के सामने एक गाड़ी जला दी गई और फिर उसके बाद बाइक जला दी गई. संचित ने पुलिस चौकी के पास अपनी बाइक खड़ी की थी लेकिन भीड़ ने थाने के बाहर खड़ी गाड़ी जला दी. इंडिया टुडे की तनुश्री पांडे ने ट्वीट किया था कि दोनों ही पक्ष अपने अपने हिसाब से पत्रकारों के साथ मारपीट और धक्कामुक्की कर रहे थे. तनुश्री ने लिखा है कि दस लोगों ने उसे पकड़ लिया था और मार देने की बात की जाने लगी. स्क्रोल ने छापा है कि मौजपुर एरिया में कई पत्रकारों के साथ मारपीट हुई. बहुसंख्यक समाज के लोग जब एक अल्पसंख्यक घर पर हमला कर रहे थे तब हमलावरों ने पत्रकारों को मजबूर किया कि वे अपने फोन से रिकार्ड किए गए फुटेज को डिलिट करें. इसी जगह पर एनडीटीवी के अरविंथ गुणाशेखर और सौरभ शुक्ला के साथ मार पीट हुई. अरविंथ के दांत टूटे हैं. उसे चोट आई है. सौरभ को भी अपनी पहचान साबित करने के लिए कहा गया. सौरभ के फोन को तोड़ा गया. वीडियो डिलीट कर दिया गया. पत्रकार की नहीं, किस मज़हब का है, इसकी पहचान. हम यहां पर पिछले पांच साल से लाए जा रहे थे, दिल्ली ने बता दिया कि मेहनत बेकार नहीं गई है.

हमारे सहयोगी परिमल के साथ भी धक्कामुक्की हुई है. एक और सहयोगी मरियम को चोट आई है. सुरक्षा बल मंगलवार को भी लूटपाट नहीं रोक सके न हिंसा रुकी. दोनों समुदाय के लोग, जो जहां पर संख्या में भारी था, दूसरे पर हमला कर रहे थे. कहीं मामला इकतरफा हो रहा था तो कहीं दो तरफा. दोनों तरफ से आमने सामने से पत्थर चल रहे थे. सब अपने अपने हिसाब से ये वीडियो वायरल कर रहे हैं. आपसे विनती है कि ऐसे वीडियो से सावधान रहें, खासकर जिनमें धार्मिक इमारतों के नुकसान की तस्वीरे हैं. इन्हें न वायरल करें और न ही इनसे उत्तेजित हों. लोगों की जान गई है. दुकानें लूटी हैं. रोज़ी रोटी का ज़रिया बर्बाद हुआ है. शांति और मदद पर ध्यान दें. कोई भी वीडियो तब तक फार्वर्ड न करें जब तक यह न पता हो कि किसने रिकार्ड किया है, कब रिकार्ड किया है, किस जगह का है.

फैज़ान अशरफी की दुकान जला दी गई है. फैज़ान की आर्युवेदिक दुकान है जिसका नाम अशरफी दवाखाना है. बीस साल की मेहनत से फैज़ान ने यह दवाखाना बनाया था. यह दुकान करावल नगर के खजूरी खास में थी जिसे पूरी तरह जला दिया गया है. यहां रखी दवाइयां पूरी तरह जल गई हैं. फैज़ान का सब कुछ बर्बाद हो गया है. फैज़ान होल सेल ट्रेडिंग का काम करते थे. इन्होंने बीमा भी नहीं कराया था.

वो लोग जो दुकानों को लूटने और जलाने निकले हैं उन्हें पता है कि वो क्या कर रहे हैं. एक ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था संकट से गुज़र रही है कि एक इलाके की पूरी अर्थव्यवस्था पर चोट की जा रही थी. मज़हब की पहचान कर दुकानें जलाई जा रही थीं और छोड़ी जा रही थीं. मुस्तफाबाद के नईम का एक पैर नहीं है. कूलर में जो घास लगती है उसका काम करते हैं. मंगलवार की दोपहर उनकी फैक्ट्री में आग लगा दी और 15 लाख का नुकसान हो गया.

नईम ने कहा कि कुछ हिन्दुओं ने बचाने की कोशिश की और कुछ लूटने और जलाने में लगे थे. इसी तरह की बात फैज़ान ने भी बताई कि एक भीड़ ने उनकी दुकान खाक कर दी तो करावल नगर की यादव गली के हिन्दुओं ने फोन कर कहा कि आपके घर की रक्षा हम करेंगे. आप चिन्ता न करें.

इसी गली से एक परिवार ने हमसे यही साझा किया है. ये एडवोकेड एजाज़ अहमद का परिवार है. करावल नगर की गली में अकेला यही रह गया था. बाकी सारे मुस्लिम चले गए थे. आज दोपहर भीड़ आई और यहां के दुकानों को लूटने लगी. यहां कुछ हिन्दू परिवार रहते हैं मगर उनकी संख्या उतनी नहीं थी कि हथियारों से लैस भीड़ को रोक सके. हिंसक भीड़ के जाने के बाद इस गली के कई हिन्दुओं ने मिलकर एजाज़ अहमद के परिवार को उनके रिश्तेदार के यहां छोड़ दिया. बी एल शर्मा, मोंटी और पप्पू बंसल और रवींद्र और कइयों ने बचाया. इन सभी को बधाई. बड़े बड़े नेता जहां घरों में दुबके रहे वहां कुछ लोग बृजविहार में सड़क पर बाहर भी आए और नारे लगाने लगे ताकि शांति बहाल हो. इनमें भी ज्यादातर हिन्दू ही थे. इनका नारा था कि हम अपनी कालोनी का माहौल खराब नहीं होने देंगे.

अजीब सी दिल्ली हो गई है. पत्रकारों को दोनों मज़हब के लोग निशाना बना रहे हैं. दोनों मजहब के लोग एक दूसरे को निशाना बना रहे हैं. दोनों मज़हब के लोग पुलिस से शिकायत करते फिर रहे हैं कि फलां लोग हमारे घर और दुकान में घुस आए और पुलिस नहीं आई. जो नुकसान हुआ है वो भाईचारे का हो गया. इस हिंसा में कितना हिंदू का गया कितना मुसलमान का गया बांट कर, छांट कर कब तक देखा जाए, गया तो देश का आपसी विश्वास है. यह इतना मुश्किल समय हो गया है कि कब कौन सा हिस्सा हमारी बात का काट कर वायरल कराने लगे और आप पूरी बात को समझे बगैर उसके झोंके में आने लगें, समझना मुश्किल है. अफवाहों ने लोगों पर कब्ज़ा कर लिया है. आईटी सेल सक्रिय है. गोकुलपुरी के टायरमार्केट में रात भर आगजनी होती रही. सुबह तक पुलिस आग बुझाती रहती है. न जाने कितने लोगों का बिजनेस हमेशा के लिए बर्बाद हो गया. यहां 224 दुकानें हैं, दो दर्जन से अधिक दुकानें जल कर बर्बाद हो गईं.

जब सौरभ ने ये बातचीत की थी लेकिन शाम को जब हमने फिर इस मार्केट के एक दुकानदार से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि दिन में दोबारा आग लगा दी गई और जिसमें सभी दुकानें जल कर राख हो गई हैं. पचास लाख से भी ज्यादा नुकसान हो गया है. हम बहुत सी तस्वीरें आपको नहीं दिखा रहे हैं न दिखाएंगे. घायलों और हिंसा की तस्वीरें आपको फिर से उसी मोड़ पर ले जाएंगी जहां से बदहवासी फैली है. चांद बाग, भागीरथी विहार, शिव विहार, खजूरी खास, भजपनपुरा, यादव गली, बृज विहार, करावल नगर, अशोक नगर. मोहल्लों के भीतर जो उत्पात मचा है, जिस तरह से हेल्मेट पहन कर हाथों में डंडे और तलवारें लेकर हमले हुए हों, वो भयावह है.

ज्यादातर लोग व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो से अपनी समझ बनाते नज़र आ रहे हैं. उन सभी वीडियो को खारिज नहीं किया जा सकता. उन वीडियो से भी काफी कुछ पता चलता ही है. कुल मिलाकर एक दर्शक के रूप में देखें तो आपके लिए ये स्थिति कितनी मुश्किल है. आप चैनल पर कुछ देखते हैं और ट्विटर पर कुछ. अधिकारिक कुछ होता है, अनधिकारिक कुछ और होता है.

हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट किया है कि वे मौजपुर बाबरपुर मेट्रो स्टेशन से लौट रहे हैं, वहां पर काफी तनाव था. मीडिया को दोनों समुदायों की तरफ से शत्रु भाव का सामना करना पड़ रहा था. श्रीनिवासन ने भी ट्वीट किया है कि विजय पार्क की दूसरी तरफ कबीर नगर जो कि मुस्लिम एरिया है. वहां छतों से लोग पत्थर फेंक रहे थे. श्रीनिवासन ने लिखा है कि जब वे विजय पार्क गए जो कि हिन्दू इलाका है, वहां पर मुसलमान की दुकान लूटी जा रही थी. एक लड़का आया और कहा कि मुसलमानों की दुकान है जिसमें लूट पाट चल रही है आप भी कुछ ले लो. इंडियन स्पोर्ट्स. उस दुकान को जला दिया गया.

उन्हीं के बीच लोग हैं जो कुछ बचा भी रहे हैं ताकि आने वाले कल में पूरी तरह शर्मिंदा न होना पड़े. स्क्रोल की इस रिपोर्ट के अनुसार यमुना विहार के लोगों ने मानव ऋंखला बना ली ताकि बच्चे सुरक्षित तरीके से स्कूल पहुंच पाएं क्योंकि पुलिस नज़र नहीं आ रही थी. गुरुद्वारों ने अपने दरवाज़े हिन्दू और मुस्लिम दोनों के लिए खोल दिए हैं. इस बीच आप सोच रहे होंगे कि हिंसा के दोषी क्या कभी पकड़े जाएंगे, इसका जवाब मुश्किल है. इसी का जवाब नहीं मिल रहा है कि तीन दिनों तक हिंसा क्यों नहीं नहीं रुकी.

लाल टी शर्ट में जो लड़का सोमवार को गोली चलाता दिखा था, उसने दो तीन गोलियां चलाई थीं, इसका नाम शाहरूख है. ये सीलमपुर के चौहान बागड़ का रहने वाला है. 22 साल उम्र है इसकी. सोमवार को चर्चा उड़ गई कि शाहरूख़ नागरिकता कानून के समर्थकों के बीच का है क्योंकि उसके पीछे कुछ भगवा झंडा सा दिख रहा है. इस पर कई लोग ट्वीट करने लगे लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने तुरंत जांच कर इसका पर्दाफाश कर दिया. शाहरूख नागरिकता कानून के विरोधियों के बीच से निकल कर आया था. पीछे जो नारंगी रंग का दिख रहा है वो झंडा नहीं है बल्कि क्रेट्स हैं. इसके बारे में अभी और डिटेल आने बाकी हैं. जैसे जो इसने गोली चलाई है, वो किसे लगी है, कहां लगी है. सच्चाई सामने आने के बाद कई लोगों ने शाहरूख के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

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