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बिहार में बहुत सस्पेंस! चुनाव से पहले CM के नाम को लेकर क्यों इतनी हलचल

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 12, 2025 13:54 pm IST
    • Published On मार्च 12, 2025 13:54 pm IST
    • Last Updated On मार्च 12, 2025 13:54 pm IST
बिहार में बहुत सस्पेंस! चुनाव से पहले CM के नाम को लेकर क्यों इतनी हलचल

नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार का यह कहना है कि बीजेपी भी नीतीश कुमार को ही बिहार का अगला मुख्यमंत्री घोषित करें और उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव हो, इससे ये जाहिर होता है कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच जो ऊपर से दिख रहा है वह शायद अंदर से उतना सामान्य नहीं है. वैसे बीजेपी को भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने में कोई परहेज नहीं है. मगर क्या अंदर से बीजेपी नीतीश कुमार को एक बार फिर अगला मुख्यमंत्री के रूप में पेश करेगी इस पर थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.

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पीएम के लाड़ले सीएम नीतीश कुमार

वैसे प्रधानमंत्री 24 फरवरी को भागलपुर की रैली में नीतीश कुमार को लाडले मुख्यमंत्री की उपमा दे चुके हैं. मगर जेडीयू को एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार के नाम की औपचारिक घोषणा का अभी भी इंतजार है. ऐसे में निशांत कुमार जो अभी राजनीति में आधिकारिक तौर पर नहीं आए हैं, उनका यह कहना कि नीतीश कुमार के नाम की घोषणा होनी चाहिए अपने आप में काफी कुछ संकेत देता है. हांलाकि बिहार में एनडीए के घटक जीतन राम मांझी नीतीश के नाम पर पहले ही मुहर लगा चुके हैं. कुछ ऐसे ही संकेत चिराग पासवान भी दे चुके हैं. मगर बीजेपी नेताओं के बयान कुछ और संकेत दे रहे हैं.

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सीएम चेहरे के नाम पर क्या बोले बीजेपी नेता

बीजेपी कोटे से मंत्री प्रेम कुमार कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री जैसे सवाल पर चुनाव बाद विचार होगा. वहीं बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कह दिया कि चुनाव तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. मगर मुख्यमंत्री कौन होगा? इसका फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड करेगा. मगर इस बयान को देने के कुछ ही घंटे बाद दिलीप जायवाल पलट गए और मीडिया पर बयान तोड़ मरोड़ करने का आरोप लगा दिया. दरअसल बीजेपी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि एकाएक जेडीयू निशांत कुमार को राजनीति में क्यों ला रही है और वो भी नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करते हुए. अब बात करते हैं बिहार में हुए मंत्रिमंडल विस्तार की. बीजेपी के इस कदम को कई जानकार इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं.

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बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के क्या मायने

बीजेपी ने अभी तक अपने कोटे के मंत्रियों को नहीं भरा था, मगर विधानसभा चुनाव के ठीक 6 महीने पहले इसकी जरूरत क्यों आन पड़ी. जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है, उसमें जाति समीकरण को बखूबी ध्यान में रखा गया है. बनाए गए मंत्रियों में भूमिहार, राजपूत और बनिया जाति से तो है ही, मगर बीजेपी ने नीतीश कुमार से सोशल इंजीनियरिंग में भी सेंध लगाते हुए पिछड़े और अति पिछड़े से भी मंत्री बनाया है. बनाए गए मंत्रियों में जहां अगड़ी जातियों से राजू कुमार सिंह राजपूत है. जीवेश कुमार भूमिहार है तो विजय कुमार मंडल मल्लाह हैं. मोता लाल प्रसाद तेली हैं, मंटू कुमार कुर्मी हैं और सुनील कुमार कोईरी हैं. बिहार में कुर्मी और कोइरी जातियों नीतीश कुमार का व्यक्तिगत वोट बैंक है क्योंकि कोइरी कुर्मी को लव-कुश जातियां कहा जाता है और दोनों में कई जगह शादियां भी होती है.

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जेडीयू पर कैसे बढ़त बना सकती है बीजेपी

मल्लाह जाति से मंत्री बना कर बीजेपी यह संकेत साफ तौर पर दे रही है कि वह भी नीतीश कुमार के पिछड़ा और अति पिछड़ा का कार्ड खेलने में इस बार पीछे नहीं रहने वाली है तो क्या बीजेपी महाराष्ट्र की रणनीति बिहार में भी अपनाना चाहती है क्योंकि बीजेपी को मालूम है कि पिछली विधानसभा में भी बीजेपी के पास जेडीयू से अधिक सीटें थीं. 243 की विधानसभा में बीजेपी के पास 74 सीट पर जीती थीं तो जेडीयू ने 43. मगर अब बीजेपी का मानना है कि महाराष्ट्र की तरह यदि बीजेपी बहुत अच्छा करे तो जेडीयू को चुप कराया जा सकता है. इसके पीछे बीजेपी नेताओं का कहना है कि पिछले दिनों हुए उपचुनाव में जिस ढंग से बीजेपी बेलागंज की सीट जीती है वो एक बहुत बड़ा संकेत है. बेलागंज की सीट बीजेपी ने करीब तीस साल के बाद जीती है कहने का मतलब है कि महाराष्ट्र के 288 की विधानसभा में यदि बीजेपी 132 जीत सकती है तो बिहार में क्यों नहीं.

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क्या बिहार में भी होगा खेला

बीजेपी बिहार में चिराग पासवान को भी एक बड़े फैक्टर के तौर पर देख रही है और उसके साथ मिल कर 243 की विधानसभा में 100 से अधिक का आंकड़ा पार करना चाहती है. ऐसे में जेडीयू और नीतीश कुमार के पास विकल्प कम हो जाएंगे. वैसे जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार जेडीयू और बीजेपी 100 के आस पास सीटें लड़ेगीं और बाकी बची सीटें चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और अन्य दलों में बंटेगा. वैसे बता दूं ये बिहार है, यहां राजनीतिक रूप से कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि बिहार में मुख्यत तीन पार्टियां है. जिनमें से दो एक साथ आ जाएं तो उनकी सरकार बन जाती है. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि यहां चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी राजनैतिक खेला, अलटी-पलटी होता रहता है इसलिए जब तक कुछ पक्का ना हो जाए सस्पेंस बना रहेगा.

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