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This Article is From Nov 30, 2015

उमाशंकर सिंह का ब्लॉग : क्यों मिले मोदी और नवाज़?

Umashankar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 14:11 pm IST
    • Published On नवंबर 30, 2015 22:53 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:11 pm IST
पेरिस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नवाज शरीफ गर्मजोशी से मिले। यह मुलाकात बेशक छोटी सी हो और इसमें कोई लंबी बातचीत न हुई हो लेकिन इस मुलाकात की बड़ी अहमियत है। रूस के शहर उफ़ा के बाद भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच यह पहली मुलाकात है। यहां तक कि न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक ही होटल में ठहरने के बावजूद दोनों प्रधानमंत्रियों ने अनौपचारिक मुलाकात भी नहीं की थी। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दूर से ही हाथ हिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया था।

उफा में तय पांच सूत्रीय समझौते के तहत दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की बातचीत होनी थी। लेकिन हुर्रियत से पाकिस्तानी एनएसए के मुलाकात को भारत की लाल झंडी दिखाए जाने और कश्मीर के बजाए आतंकवाद पर फोकस होने के मुद्दे पर यह बातचीत पाकिस्तान की तरफ से तोड़ दी गई।

पेरिस में नया संदेश देने की कोशिश
पेरिस की मुलाकात से दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक नया संदेश देने की कोशिश की है। एक तरफ जहां प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत परवान नहीं चढ़ रही ऐसे में दोनों प्रधानमंत्री अपने स्तर पर इसे पटरी पर लाने की कोशिश कर सकते हैं। खासतौर पर तब जब अगले साल पाकिस्तान में सार्क समिट होना है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की शिरकत पर सबकी निगाह है। मोदी पाकिस्तान जाएं इससे पहले जरूरी है कि दोनों देश आपसी भरोसा बहाली की दिशा में कुछ कदम आगे बढ़ाएं। सीमा पर सीज़ फायर उल्लंघन और आतंकी वारदात होते रहे तो रिश्तों को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। जड़ता को तोड़ने के लिए सबसे ऊपरी स्तर पर बोल्ड स्टेप लेने की जरूरत है ताकि बातचीत की शुरूआत हो सके।  दोनों प्रधानमंत्री इस बात को समझते हैं।

ट्रैक टू डिप्लोमेसी के कई दौर
दो दिन पहले ही शरीफ की तरफ यह बयान आया है कि शांति और बेहतर रिश्ते के लिए वे भारत के साथ बिना शर्त बातचीत को तैयार हैं। खबर है कि इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच ट्रैक टू डिप्लोमेसी के कई दौर हुए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे जब भी बातचीत तय होती है हुर्रियत से मुलाकात जैसे मुद्दों पर जिद की वजह से वह नहीं टूटेगी।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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