पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में BJP की रणनीति बिल्कुल साफ है. BJP ने नॉर्थ बंगाल में अपने भविष्य को आजमाने की कोशिश की है. उत्तर बंगाल में 8 लोकसभा सीटें हैं. 2019 में नॉर्थ बंगाल की आठ में से सात लोकसभा सीटें BJP ने जीती थीं. भारतीय जनता पार्टी ने एक रणनीति के तहत यहां पर अलग-अलग जातियों या समुदाय को केंद्र में रखा है. सबसे पहले राजवंशी समुदाय, जिसको भूमिपुत्र भी कहा जाता है. कूचबिहार, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग नार्थ, साउथ दिनाजपुर जैसी क़रीब तीस सीटों पर इनका दबदबा है. राजवंशी चाहते हैं कि NRC हो और बांग्लादेशियों की पहचान करके उन्हें बाहर निकाला जाए. यही वजह है कि BJP ने यहां पर अपनी पैठ बना ली है.
उधर ममता बनर्जी भी पीछे नहीं हैं, उनका कहना है कि वो भी राजवंशियों के साथ है. उनका आरोप है BJP केंद्र की सत्ता में दो बार के चुनाव जीतने के बाद भी इसे सही तरीके से लागू नहीं कर पाई है, जिसके कारण राजवंशी समाज में थोड़ी बहुत नाराजगी भी देखने को मिली है. बीजेपी को लगता है कि एक दूसरा समाज भी है जो उनके साथ है. यह समाज है गोरखा समुदाय. गोरखा समाज का पश्चिम बंगाल की करीब 20 सीटों पर अच्छा खासा असर है. गोरखा समाज के लोग चाहते हैं कि उनकी समस्या का कोई परमानेंट राजनीतिक हल हो, वह चाहते हैं कि उन्हें ST यानी की अनुसूचित जनजाति का स्टेटस मिले. यहां ममता बनर्जी ने केंद्र को कई बार घेरने की कोशिश की है. सीएम ममता ने गोरखा समाज से यह भी कहा है कि हमने अपनी मांग को आगे बढ़ा दिया है लेकिन केंद्र के पास यह अटका है. जबकि बीजेपी के जितने भी लीडर इन इलाकों में जाते हैं वह गोरखा समाज से उनकी मांगों को पूरा करने का वादा जरूर करते हैं.
2019 के सेटबैक को खत्म करने के लिए ममता बनर्जी कूच बिहार और नॉर्थ बंगाल के इन इलाकों में कई योजनाओं की घोषणा की है. उनके पास इस इलाके में कुछ बड़े लीडर भी हैं जैसे कि श्रीवर्धन बर्मन, अतुल रॉय, बिमल गुरुंग. ये सभी राजवंशी गोरखा समुदाय से आते हैं. यहां 54 सीटें हैं, पिछले विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने यहां 24 सीटें जीती थी जबकि 2011 में वह 17 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं.
बीजेपी गोरखाओं और राजवंशियों को साधने की कोशिश में लगी हुई है. खासकर गोरखाओं को लेकर पार्टी ने पश्चिम बंगाल में तमाम तरह के वादे किए हैं, ST का दर्जा देने से लेकर पॉलिटिकल सलूशन तक तमाम वादे किए हैं. बीजेपी ने गोरखा समाज से चाय बागान में काम करने वाले श्रामिकों को 350 रुपये रोज, एम्स खोलने जैसे वादे किए हैं. इसके अलावा राजवंशियों को साधने के लिए बीजेपी ने राज्य में पंचानन बर्मा की मूर्ति लगाने की बात कही है, बता दें कि पंचानन बर्मा राजवंशी समुदाय के एक बड़े नेता है, लोग इनकी पूजा करते हैं. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने एक म्युजियम का वादा और कूच बिहार में टूरिज्म को बढ़ावा देने का भी वादा किया है.
वहीं ममता बनर्जी चा सुंदरी नाम से एक योजना लाने की बात कर रही हैं, जिसमें चाय बगान में काम करने वाले लोगों को मुफ़्त में घर मिलेगा, चाय बगान में काम करने वाले श्रामिकों को 202 रुपये हर रोज रोज़गार का वादा भी किया गया है, इसके अलावा टीएमसी प्रमुख ने पंचानन बर्मा की मूर्ति लगाने और उनके जन्मदिन पर राज्य में छुट्टी घोषित करने की बात भी कही है. ममता बनर्जी ने टूरिज़्म के लिए सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग में दो नए सेंटर्स खोले हैं. कहा जा रहा है कि वहां पर पर्यटक आने शुरू भी हो गए है.
ममता बनर्जी के लिए यह अच्छी बात है कि नॉर्थ बंगाल के जिस इलाके में BJP बनर्जी को सियासी पटखनी देने की तैयारी कर रही है वहां ममता ने अपनी योजनाओं के तहत काफी कुछ काम किया है. ऐसे में अब देखना होगा कि नॉर्थ बंगाल में किसके हिस्से में जीत की खुशी आती है. पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां 8 में से 7 लोकसभा सीटों पर जिताया था, ऐसे में बीजेपी सत्ता में आना चाहती है तो उन्हें हर हाल में यहां अच्छा प्रदर्शन करना होगा.
भारतीय जनता पार्टी अपनी नई रणनीति के तहत अलग-अलग जातियों जैसे राजवंशी और गोरखा का झुकाव अपनी तरफ करने की कोशिश कर रहा है. अब बात कर लेते हैं मतुआ समुदाय की. जिसके करीब 3 करोड़ वोटर हैं और लगभग 70 सीटों पर इसका असर देखा जाता है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिशचंद्र ठाकुर के ठाकुरबाड़ी यानी ओरकांडी मंदिर भी गए थे. जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि यह समुदाय बीजेपी का साथ देगा. कुल मिलाकर यह तीन जातियां अगर बीजेपी का साथ देती हैं तो पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी की राह आसान हो सकती है.
हालांकि ममता बनर्जी ने भी मतुआ समुदाय के लिए कुछ नहीं किया यह कहना भी गलत होगा. ममता बनर्जी के कार्यकाल में यहां मतुआ डेवलेपमेंट बोर्ड बनाया गया. एक यूनिवर्सिटी भी बनाई गई. बावजूद इसके बीजेपी का मानना है कि इनका वोट बीजेपी को ही जाएगा. इन्हीं जातियों के आधार पर बीजेपी के नेता बहुमत का आंकड़ा हासिल करने का दावा कर रहे हैं.
यहां सब कुछ निर्भर करेगा इस बात पर कि इन जातियों के लोग क्या सोचते हैं. क्योंकि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग होता है, इस बात पर भी चीजें निर्भर करेंगी कि जनता, पश्चिम बंगाल में एक नई सरकार लाना चाहती है या नहीं.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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