लोकसभा चुनाव के दौरान एएनआई को दिए इंटरव्यू में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं किसी के लिए भी बदले की भावना नहीं रखता। अगर लोगों ने मुझे मौका दिया तो मेरे पास 60 महीने का सीमित समय होगा। इन 60 महीनो में कचरा साफ करने की बजाए नए उद्यान बनाना पसंद करूंगा, बदले की कार्रवाई में समय बर्बाद करना नहीं चाहूंगा। मैं अपनी ऊर्जा और समय सिर्फ रचनात्मक कार्यों में ही खर्च करूंगा। इस इंटरव्यू को लगभग डेढ़ साल होने वाला है और इस बीच प्रधानमंत्री ने भले ही देश के लिए डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, जन-धन योजना जैसे नए-नए प्रयोग शुरू किए हों, लेकिन वह अपने आप को बदले की राजनीति के कीटाणु से बचा नहीं पाए।
1. लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत मिलने के बाद बीजेपी ने सबसे पहले अपने संगठन में बहुत बड़ा फेरबदल किया। बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से निकालकर उनसे पार्टी के लिए निर्णय लेने के अधिकार को छीन लिया। उन्हें मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बनाकर रख दिया। सभी को मालूम है कि आडवाणी और जोशी नहीं चाहते थे कि मोदी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हों। उसी प्रकार यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शांता कुमार और शत्रुघ्न सिन्हा, जिन्होंने शुरू से मोदी का विरोध किया, आज उन सबकी स्थिति बीजेपी कार्यालय में न के बराबर है।
2. केंद्र में बीजेपी सरकार बनते ही 24 राज्यों में गवर्नर बदले गए, जिनमे सिर्फ छह ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया था। कमला बेनीवाल को मिजोरम का गवर्नर रहते अपना कार्यकाल खत्म करने से दो महीने पहले ही बर्खास्त कर दिया गया। याद रहे, कमला बेनीवाल और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मोदी की लड़ाई जगजाहिर है।
3. गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों का अपमान - केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्हीं के राज्य के समारोहों में आमंत्रित नहीं किया गया।
- इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के घर पर सीबीआई की रेड डाली गई, जिस समय उनकी बेटी की शादी हो रही थी।
4. गैर-बीजेपी शासित राज्यों में गवर्नर की दखलअंदाजी - अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा ने मुख्यमंत्री से बिना सलाह किए स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश करने का आदेश दे दिया, जिसका कांग्रेस खुलकर विरोध कर रही है और राज्य में तनाव का माहौल पैदा हो गया है।
- दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में खींचतान जगजाहिर है। हाल ही में उपराज्यपाल ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली सरकार के फैसलों को न मानें।
- उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच भी टकराव का माहौल है, जिसके चलते वहां की सरकार तय समय में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाई।
बदले की राजनीति का आरोप प्रधानमंत्री मोदी पर समय-समय लगता रहा है, और यह आरोप कभी गैरों ने लगाया, कभी अपने ही लोगों ने... लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी रैलियों में भाषण देते हुए कहते थे कि वह बदले की भावना से नहीं, बदलाव की भावना के साथ राजनीति में आए हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, उनके ये शब्द चुनावी जुमला ही बनकर रहते दिखाई दे रहे हैं...
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