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This Article is From Nov 19, 2022

BJP के लिए गिफ्ट हैं राहुल गांधी, और तोहफे देते भी रहे हैं...

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    November 19, 2022 15:29 IST
    • Published On November 19, 2022 13:40 IST
    • Last Updated On November 19, 2022 13:40 IST

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी "भारत को एकजुट" करने के मकसद के साथ 'भारत जोड़ो यात्रा' का नेतृत्व कर रहे हैं. वह भारत को नफरत से बचाने के लिए मोहब्बत फैलाने की लगातार बात कर रहे हैं.

अपनी यात्रा के महाराष्ट्र चरण में, राहुल गांधी ने वीर सावरकर और ब्रिटिश सरकार को लिखे उनके कुख्यात माफीनामा के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां कीं. इसकी वजह से MVA गठबंधन में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना को ठेस पहुंची है.

हालांकि, महा विकास अघाड़ी (MVA) के घटक दल शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच का अप्रत्याशित गठबंधन वर्तमान में बरकरार है, लेकिन नाम मात्र का. इनके नेता व्यावसायिक रूप से एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर काम करने में व्यस्त हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे, राहुल गांधी द्वारा की गई अप्रत्याशित टिप्पणी के दोष और कुप्रभावों से बचे रह सकें.

भाजपा इससे ज्यादा रोमांचित नहीं हो सकती. महाराष्ट्र में शिवसेना के एकनाथ शिंदे के धड़े के साथ भाजपा सरकार कई अरब डॉलर का निवेश राज्य में लाने में नाकाम हो रही है. जैसे Foxconn-Vedanta प्रोजेक्ट गुजरात चला गया, जहां अगले महीने वोट डाले जाने हैं. राहुल गांधी ने सावरकर पर टिप्पणी कर बैठे-बिठाए 'मराठी मानुस' के अपमान का एक भावनात्मक मुद्दा उन्हें दे दिया है.

बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अहम चुनाव से पहले राहुल गांधी की गलत समय पर की गई टिप्पणियां शिंदे गुट की शिवसेना और भाजपा के लिए एक उपहार के रूप में आई हैं. इस चुनाव में टीम ठाकरे और शिंदे-भाजपा गठबंधन के बीच पहला वास्तविक आमना-सामना होगा.

मैंने इस लेख के लिए MVA के तीनों सहयोगियों और भाजपा से बात की. इस दौरान यह निकलकर आया कि राहुल गांधी ने "प्यार फैलाने" के संदेश के बीच भाजपा और शिंदे गुट को वह दे दिया, जिसके लिए वे बेताब थे - एक चुनावी मुद्दा, न केवल महाराष्ट्र के लिए बल्कि गुजरात के लिए भी, जहां अगले महीने वोटिंग होनी है.

मुझे बताया गया कि भाजपा गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान भी सावरकर के "अपमान" का मुद्दा उठाएगी, यही वजह है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शुक्रवार को इसमें कूद पड़े और राहुल गांधी की आलोचना की.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी राहुल गांधी की आलोचना की और कहा कि उन्हें कोई इतिहास नहीं पता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी अपने गृह राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान इसे प्रमुखता से उठाए जाने की संभावना है.

टीम उद्धव खासकर ठाकरे परिवार गुस्से में है. परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने गांधी परिवार का साथ पाने के लिए हर संभव कोशिश की थी, जिसका वह सम्मान करते हैं, लेकिन राहुल गांधी ने कभी भी ऐसा नहीं किया.

सूत्रों ने बताया कि ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की और ट्वीट भी किया, लेकिन राहुल गांधी, जो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की पुण्यतिथि के दौरान महाराष्ट्र में ही थे, वे इस पर पूरी तरह से चुप्पी साधे रहे. 'भारत जोड़ो यात्रा' के महाराष्ट्र पहुंचने पर आदित्य ठाकरे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हुए, अगले ही दिन राहुल गांधी ने सावरकर को लेकर टिप्पणी कर दी. 

शिवसेना के नेता शरद पवार के संपर्क में हैं और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप करने की गुजारिश कर रहे हैं. शरद पवार भी अपने द्वारा बनाए गए MVA गठबंधन को दुरुस्त करना चाहते हैं. उन्होंने एक नेता के साथ ये बात भी साझा की है कि राहुल गांधी एक अज्ञात घटक हैं, जिनके साथ उनका कोई राजनीतिक समीकरण नहीं है.

एक एनसीपी नेता का कहना है कि राहुल गांधी गिफ्ट देना जानते हैं, लेकिन वह सिर्फ भाजपा के लिए ही है. एनसीपी नेता ने सवाल पूछा, "वह नहीं जानते कि सहयोगियों और हमारी संवेदनशील मुद्दों से कैसे निपटा जाए. कांग्रेस अब किसी भी गठबंधन में बिग ब्रदर की भूमिका में नहीं है और दो राज्यों में ही उसकी सरकार है, फिर भी राहुल गांधी मानते हैं कि वह बॉस हैं. ठाकरे के साथ उन्होंने ऐसा क्यों किया?"

फिलहाल, यह गठबंधन एक नाजुक डोर से बंधा हुआ है, जो राहुल गांधी की एक और गलत टिप्पणी के साथ पलभर में ही टूट सकता है. शिवसेना नेता संजय राउत ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि सावरकर पर प्रतिक्रिया से गठबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी सावरकर पर अपने "वैचारिक" रुख को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं और वह फिर से उन पर बोल सकते हैं. टीम ठाकरे जानती है कि महाराष्ट्र में इससे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.

एक हताश नेता का कहना है, "उन्होंने पिछले 70 दिनों की कड़ी मेहनत पर पानी फेर दिया. मुंबई से बाहर हो रहे निवेश और बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों की जगह अब इतिहास की बहस ने ले ली है."

हो सकता है कि एमवीए इस गड़बड़ी को मैनेज कर ले लेकिन, राहुल गांधी को अपने ही सहयोगियों से अलग-थलग होकर अकेला चलना पड़ सकता है.

(स्वाति चतुर्वेदी एक लेखिका और पत्रकार हैं, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस, द स्टेट्समैन और द हिंदुस्तान टाइम्स के साथ काम किया है. ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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