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This Article is From Jun 07, 2016

आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 07, 2016 13:19 pm IST
    • Published On जून 07, 2016 13:19 pm IST
    • Last Updated On जून 07, 2016 13:19 pm IST
आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...

जो बनी हुई फ़िल्मों से कांट-छांटकर,
फिर से एक नई फ़िल्म बना दे...
नाम काटे, सीन काटे,
काटे कुल तड़खाजा...
ऐसी-ऐसी फ़िल्म बना दे,
भागे फ़रहा और फ़रहान खोल के दरवाज़ा...
चीफ़ की कैंची मल्टीस्टारर होगी,
बाल से लेकर खाल तक सब कतरेगी...
वो ऐसा गुण ज्ञानी होगा,
सरकार का सबसे बड़ा संस्कारी होगा,
पढ़ा-लिखा होगा, मगर ज़्यादा पढ़ा न होगा...

आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...

जो फिर से ऐसी फ़िल्में बनवाए,
कलाकारों को हिलने दे लेकिन,
उनसे कुछ न बुलवाए...
साइलेंट मूवी का संस्कार प्यारा होता है,
नायक नायिका के बदले फूल मिला करेंगे,
इमारतें चूमेंगी गगन, मगर लबों पर चुंबन न होगा,
हीरो होगा, मगर प्रेमी न होगा,
हीरोइन होगी, मगर प्रेमिका न होगी,
भाई-बहन होंगे और राखी का सीन होगा,
पतित संस्कृति का रखवाला हो, ऐसा चाहिए,
जेएनयू का न हो बस, वैसा चाहिए,
जिसके संरक्षण में हुआ करेगी पल्लवित-सुशोभित भारतीय संस्कृति,
वही चाहिए आज, आज की यही है नीति...

आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...

पद के लायक वही व्यक्ति उत्तम होगा,
जो पद पर होगा, मगर उसके लायक नहीं होगा...
मूर्खता का फैला सारा संसार है इस वक्त,
सारे संसार पर उसका क़ब्ज़ा होगा...
निर्देशकों का निर्देशक होगा,
कलाकारों का कलाकार...
वही एडिटर होगा, वही संगीतकार...
उसी की दरकार होगी, उसी की सरकार,
मचने दो हाहाकार, मचाने दो हाहाकार...
फ़िल्में वही बनाएगा, क्या देखें, वही बताएगा,
सुपरपॉवर भारत के सेंसर बोर्ड का चीफ़, पेंटागन चीफ़ से कम न होगा,
फूंक मारकर जो फ़िल्मों को पल भर में सती सावित्री, श्रवण कुमार की कथा बना दे

आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...

खलनायकमुक्त कथा हुआ करेगी अब से,
नायक वृक्षारोपण करेगा,
पक्षी होंगे बाग़ में, मगर कोई उड़ता न होगा,
सिर्फ गुणगान होगा, होगा महिमागान हुज़ूर का,
हुज़ूर को, हुज़ूर के लिए,
फ़िल्म बनेंगी हमारी डेमोक्रेसी के लिए,
हीरो सिर्फ होमवर्क करेगा, चरण छुएगा, डैडी को पिताश्री बुलाएगा,
कॉलेज से लौटकर सीधा बाज़ार जाएगा, सब्ज़ी-आटा लाएगा, खेतों में हल चलाएगा...
हीरोइन कॉलेज से सीधे घर आ जाएगी,
मम्मी के पांव दबाएगी, माताश्री बुलाएगी,
ऐसी सरल-सर्वगुणसंपन्न फ़िल्में जो बनवाए,
मिले अगर कोई तो जल्दी मुझे बताएं, क्योंकि...

आवश्यकता है एक ऐसे सेंसर बोर्ड चीफ़ की...
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