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This Article is From Feb 15, 2018

रवीश कुमार की कहानियां- अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 15, 2018 14:22 pm IST
    • Published On फ़रवरी 15, 2018 13:35 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 15, 2018 14:22 pm IST
अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम 'इंडिया कॉन्‍फ्रेंस 2018' में हिस्‍सा लेने गए NDTV इंडिया के सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर रवीश कुमार ने अपनी फेसबुक वॉल पर इस यात्रा से जुड़ी कई कहानियां शेयर की हैं, जो उन लोगों के बारे में हैं, जिनसे वह मिले. कुछ रवीश की ही तरह टीवी नहीं देखते हैं, और लाइब्रेरी से प्‍यार करते हैं. एक ऐसा दंपति भी रवीश को मिला, जो वक्त गुज़ारने के लिए सिर्फ पब्‍ल‍िक लाइब्रेरी ही जाता है. आप भी पढ़ लीजिए रवीश कुमार की बताई ये कहानियां...
 
ravish kumar in howard university

लाइब्रेरी से इतना प्यार...!

दोनों साथ बैठे चुपचाप उन दीवारों को निहार रहे थे, जिनकी तस्वीरें मैं ले रहा था. अचनाक इस बुज़ुर्ग महिला ने कह दिया कि आप ग़ैरकानूनी तरीके से तस्वीर ले रहे हैं. मैं तो सकपका गया. लगा सफाई देने, बाकायदा अनुमति लेकर आया हूं. उसके बाद वह हंस पड़ीं और साथ में उनके प्रेमी पति भी. फिर दोनों ने कहा- आपको बुरा तो नहीं लगा. मैंने कहा कि बुरा नहीं लगेगा, अगर आप अपनी कहानी बता दें. क्यों...? बस यूं ही. आपको जानकर ख़ुद को जान लूंगा, इसलिए. अब आगे सुनिए...

पति शिक्षक हैं, शिक्षकों को ट्रेनिंग देते हैं. पत्नी मिड-वाइफ़, यानी दाई का काम करती हैं. दोनों अमेरिका के हर शहर की लाइब्रेरी घूमने जाते हैं. चुपचाप देर तक बैठे रहते हैं. वहां की किताबों, दीवारों को देर तक ताकते रहते हैं. बताया कि वे सिर्फ पब्लिक लाइब्रेरी, यानी सरकारी लाइब्रेरी में जाते हैं. उनके लिए घूमने का मतलब लाइब्रेरी घूमना होता है. गांवों-कस्बों से लेकर अमेरिका के हर बड़े शहर की पब्लिक लाइब्रेरी देख चुके हैं. लाइब्रेरी का इतिहास, वास्तुकला जानना इन्हें अच्छा लगता है.

ये दोनों टीवी नहीं देखते. घर में टीवी है ही नहीं. फोन है, मगर सिर्फ आपातकाल में इस्तेमाल करते हैं. मैडम ने बताया, टेक्नोलॉजी को इंसानी रिश्ते के बीच नहीं आने देना चाहिए. रिश्तों को एहसास से भरिए, टेक्‍नोलॉजी से नहीं. सुनकर ठिठक गया.

मैंने उनकी अनुमति से तस्वीर ली और खुद के बारे में बताया. भारत की लाइब्रेरियों का भी हाल बताया. ज़ाहिर है, बुरा ही बताया. हार्वर्ड जाने से पहले लाइब्रेरी देखने की इच्छा ज़ाहिर की थी. शायद नियति मुझे इन दो प्रेमियों से मिलाना चाहती थी, जिन्हें लाइब्रेरी से प्यार है. दोनों के बीच का प्यार भी किसी लाइब्रेरी से कम नहीं लगा. हम वाकई अपने जीवन को नहीं जीते हैं. हमें कोई और जी रहा होता है. यह भी अमेरिका है. बल्कि ऐसा भी होता है.
 
ravish kumar in howard university

बेगाबती लेन्निहन, जो टीवी नहीं देखतीं...
आप 66 साल की बेगाबती लेन्निहन हैं. एक स्टोर में कहती मिलीं- यह टीवी में क्या चल रहा है...? मैंने कभी टीवी नहीं देखा. मेरे घर में टीवी नहीं है. मैं सामान लेकर मुड़ा था कि यह सुनकर लौट आया. क्यों टीवी नहीं है...? बोलीं, मेरे मां-बाप डॉक्टर और टीचर हैं. उन्होंने '50 के दशक में ही तय कर लिया था कि घर में टीवी नहीं होगा. दोनों माता-पिता हार्वर्ड गए और मैं भी. उनका मानना था कि टीवी से रचनात्मकता ख़त्म हो जाती है. आदमी बेवकूफ बन जाता है. इसलिए उनके घर में टीवी नहीं है, जबकि उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं.

मैंने अपना परिचय दिया. बहुत लंबी बातें हुईं. उन्होंने कहा कि वह हमेशा रेडियो सुनती रही हैं. NPR अमेरिका का नेशनल रेडियो है. इंटरनेट का दौर आया, तो वह वहां भी यही रेडियो सुनती हैं. पेशे से होम्योपैथ डॉक्टर हैं. भागवत कथा, रामायण और महाभारत के सारे खंड हैं. पाठ करती हैं. मगर टीवी नहीं देखती हैं.
 
ravish kumar in howard university

अमेरिका का भीमकाय ट्रक...!
यहां की सुबह का अंदाज़ा हो गया है. बारिश के बाद ठंडी हवा मौसम को इश्किया बना रही थी. मुझे अमेरिका के भीमकाय ट्रक बहुत क्यूट लगते हैं. आज उन्हें करीब से देखने का मौका मिला. चालक ने बताया, हमारे देश में एक आदमी को ही सारा काम करना पड़ता है. चलाने से लेकर सामान लादने और उतारने तक. सब कुछ मशीन है. मैंने भीतर से देखने का आग्रह किया, तो मान गए. सीट से उतरे और कहा- आइए बैठिए. इस ट्रक में बैठने का सपना पूरा हो गया और चालक की ज़िन्दगी को समझने का अनुभव भी. सब कुछ दूर से मत देखिए. करीब जाइए. स्पर्श कीजिए. महसूस कीजिए. ट्रक पर लिखा स्लोगन भी कमाल का है!
 
ravish kumar in howard university

जब मिला कमल हासन से...
कमल हासन को करीब से देखा. बहुत देर तक हम उनमें उस वासु को खोजते रहे, जिसने हिन्दी की सपना से प्यार किया था. कमल हासन बरखा दत्त के सवालों के जवाब में खुलते चले जा रहे थे. रजनीकांत के बारे में साफ कह दिया कि हम दोनों साथ आ सकते हैं, मगर डर है रजनी भगवा न हों. सियासी सफ़र शुरू करने से पहले कमल हासन ने अपनी लाइन साफ-साफ खींच दी. हिन्दुत्व के नाम पर चल रही ऊटपटांग राजनीति से विरोध रहेगा. वह राष्ट्रीय राजनीति में दक्षिण के प्रभाव का सपना देख रहे हैं. संकीर्णता का नहीं, उदारता का. उन्होंने कहा- ज़रूरी नहीं, आपका पता तमिलनाडु में हो, इरादा एक हो, तो आप भी इस अभियान के सहयात्री बन सकते हैं. 21 फरवरी को उनकी पार्टी लॉन्च हो रही है. कमल हासन काफी सोचकर बहुत कम बोलते हैं.

कमल हासन हार्वर्ड कैनेडी इंडिया कॉन्फ्रेंस के वक्ता थे. उस मौके के लिए मोटी कोर वाली नई धोती पहनकर आए थे. बरखा के सवालों के जवाब देते-देते धोती के कोर से निकले एक धागे से उलझ गए. किसी तरह उसे हथेली में फंसाकर तोड़ दिया. धागा तोड़ते-तोड़ते कमल ने रजनीकांत को लेकर अपनी झिझक तोड़ दी. कमल को राजनीति में भगवा पसंद नहीं है. आज कितने स्टार हैं, जो यह बात साफ-साफ कह सकते हैं. कमल हासन गांधी और पेरियार को अपना गुरु मानते हैं. बार-बार सामाजिक न्याय की बात कर रहे थे.

इंटरव्यू खत्म होने के बाद हम कुछ उनकी तरफ बढ़े और कुछ कमल हमारी तरफ. दोनों ने हाथ मज़बूती से थामा और निगाहें किसी पुरानी मुलाकात की तरह टकरा गईं. थोड़ी बातचीत के बीच ही भीड़ ने अपने स्टार को घेर लिया. रात को जब पार्टी में पहुंचे, तो उनके सहयोगी ने कहा कि कमल हासन मिलकर अफसोस जताना चाहते हैं कि बातचीत पूरी नहीं हुई. मैं गया, तो कमल हासन को हिन्दी बोलता पाया. वही संभल-संभलकर. कमल हासन शाम को धोती से प्रिंस सूट में आ चुके थे. मुझे फिल्म 'एक दूजे के लिए' से प्यार है. भारत को दक्षिण से एक ऐसा राष्ट्रीय नेता चाहिए, जो उत्तर के आम लोगों के दिलों पर राज करता हो. हैप्पी वेलेंटाइन्स डे. इश्क ही ज़िन्दाबाद रहेगा, जहां चाहे, जितना चाहे रहेगा. कमल हासन को उत्तर से ख़ूब सारा प्यार और शुभकामनाएं.

ये भी पढ़ें- मीडिया झुक सकता है मगर लोकतंत्र नहीं : हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बोले रवीश कुमार

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