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This Article is From Jun 21, 2022

महाराष्ट्र में 'ऑपरेशन कमल' : पर्दे के पीछे की हकीकत

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 21, 2022 17:30 pm IST
    • Published On जून 21, 2022 16:11 pm IST
    • Last Updated On जून 21, 2022 17:30 pm IST

सभी कार्य अमूमन लुप्त हो जाते हैं, लेकिन जब ये अचानक होते हैं, तो काफी आश्चर्यजनक हो जाते हैं. शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे 21 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गढ़ सूरत के लिए सुबह करीब 1:30 बजे मुंबई से रवाना हुए. बागी विधायकों ने अपने नाश्ते के लिए 'वड़ा पाव' साथ रख लिया और सफर पर निकल पड़े.

फिलहाल महाराष्ट्र सरकार जब अपने सबसे बड़े संकट से जूझ रही है, तो खुद को बचाए रखने की इसकी प्रवृत्ति भी संदेह के घेरे में है. क्या मुंबई पुलिस, जो गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल (NCP के) को रिपोर्ट करती है, यह नहीं जान सकी कि एक साथ इतनी बड़ी तादाद में विधायक कहीं जाने की तैयारी में हैं. इन सभी विधायकों को मुंबई पुलिस ही सुरक्षा प्रदान करती है और उनकी जानकारी उनके पास होती है. गौरतलब है कि गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल NCP के मुखिया शरद पवार के प्रमुख वफादारों में जाने जाते हैं, और इसकी संभावना बहुत ही कम है कि बतौर गृहमंत्री उन्हें विधायकों के जाने की ख़बर नहीं होगी.

विधायकों से लगभग 12 घंटे बाद संपर्क स्थापित हो सका है. शिवसेना ने मंगलवार दोपहर करीब 12:30 बजे इस बाबत घोषणा की.

इस मौजूदा संकट में शरद पवार की भूमिका निर्विवाद रूप से अहम है. आखिरकार वह शरद पवार ही थे, जिन्होंने शिवसेना, कांग्रेस और अपनी खुद की NCP की अप्रत्याशित साझेदारी से महाराष्ट्र सरकार का निर्माण किया था. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे और BJP की 25 साल से चली आ रही 'युति' (गठबंधन) को भी तोड़ डाला था. वाकई यह एक सच्चाई है कि सियासी मैदान में शरद पवार को समझ पाना काफी मुश्किल है, लेकिन आप निर्विवाद रूप से मान सकते हैं कि अगर सरकार गिर भी जाती है, तो महाराष्ट्र के सबसे शक्तिशाली और अपरिहार्य राजनीतिक खिलाड़ी के तौर पर शरद पवार बने रहेंगे. उनके बिना कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकती. अपनी राजनीतिक पूंजी को जिस तरह की मान्यताओं और मूल्यों से उन्होंने सींचा है, उनके आधार पर कहा जा सकता है कि शरद पवार हमेशा संदेश देने की प्रक्रिया में रहते हैं.

इस संकट की क्रोनोलॉजी को एक साथ जोड़ना काफी आसान है. 10 दिन पहले राज्यसभा चुनाव में शिवसेना और कांग्रेस सदस्यों की क्रॉस वोटिंग की वजह से BJP को जितनी सीटें जीतनी चाहिए थी, उन्हें उनसे एक सीट अधिक मिल गई. कल विधानपरिषद चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग हुई. आमतौर पर मृदुभाषी उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को कल रात को कथित तौर पर फटकार लगाई थी (12 शिवसेना विधायकों ने BJP को वोट दिया था). शिवसेना को निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों का समर्थन भी नहीं मिल पाया. एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री ठाकरे के बीच आखिरी बार संपर्क तब हुआ था, जब उन्होंने पराजय के मुद्दे पर बातचीत की थी.

शरद पवार फिलहाल दिल्ली में हैं. वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की विपक्ष की योजना में मुख्य संपर्क सूत्र के रूप में काम कर रहे हैं. मिले-जुले संकेतों के मास्टर ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह विपक्ष के उम्मीदवार नहीं होंगे. उन्होंने कहा था कि वह अभी सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं. उनके सहयोगी इन मिले-जुले संकेतों में एक बड़े संदेश को खोज सकते थे.

महाराष्ट्र में अब जिस तरह 'ऑपरेशन कमल' सामने आ रहा है, उससे साबित हो रहा है कि देवेंद्र फडणवीस अति-महत्वाकांक्षी राजनेता हैं. आखिर कथित तौर पर उन्होंने ही केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के साथ मिलकर इस संकट का निर्माण किया था.

नारायण राणे को सबसे पहले पता चला था कि एकनाथ शिंदे इस बात से नाराज़ हैं कि उद्धव ठाकरे शिवसेना सांसद संजय राउत को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं. शिंदे को ठाणे के जननेता के रूप में जाना जाता है और वह शिवसेना के बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं, लेकिन सरकार और पार्टी में जिस तरह उन्हें किनारे कर दूसरे को वरीयता दी जा रही थी, उससे वह काफी आहत और नाराज़ चल रहे थे. सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य की बढ़ती अहमियत से उन्हें कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन संजय राउत के बढ़ते कद से वह ज़रूर नाराज़ चल रहे थे. सूत्रों का कहना है कि नारायण राणे और देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री के साथ संयुक्त बैठक की, जिसमें फैसला लिया गया कि इस मामले में 'ऑपरेशन कमल' चुपचाप होना चाहिए. यानी विधायकों को इधर उधर ले जाने के लिए चार्टर उड़ानों को शामिल नहीं किया जाए. वाकई यह एक ऐसी रणनीति है, जिस पर BJP की छाप साफ दिखाई दे रही है.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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