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This Article is From Jun 21, 2016

अब कौन समझाए : न 'सलमा-न'...ऐसी बातें किया न करो...

Anita Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 21, 2016 18:11 pm IST
    • Published On जून 21, 2016 18:11 pm IST
    • Last Updated On जून 21, 2016 18:11 pm IST
सबसे पहले बता दूं कि मैं सलमान की फैन हूं। इस बात का मतलब सिर्फ इतना है कि मैं सलमान खान की फैन हूं, उनकी फिल्‍मों, उनकी एक्टिंग या उनकी बॉडी की नहीं। उम्र के जिस पड़ाव में मैं सलमान की फैन हुई, उसमें किसी एक्‍टर को पसंद करने के लिए उसकी एक्टिंग अच्‍छी होने की जरूरत नहीं होती। वह जो एकमात्र वजह थी, वही आज तक कायम है।

इस बात का इस लेख से, इस मामले से या खुद सलमान से महज इतना लेन-देना है कि सिवाए इस एक बात के कि मैं सलमान को कई वजहों से एक आदर्श इंसान नहीं मान पाती।

सलमान की हिमायत न करते हुए एक बात इस घटना पर मैं जरूर कहना चाहती हूं। वह यह कि मैंने उस साक्षात्‍कार की ऑडियो क्लिप सुनी, जिसमें सलमान ने हालिया विवादित बयान दिया। इस क्लिप में सलमान को रेप से जुड़ा बयान देते सुना जा सकता है। ऐसा लगता है कि बयान के दौरान सलमान के अंदर संभवत: कोई सलमा है, शायद तभी मानवतावादी सलमान उसका दर्द भी महसूस कर पा रहे हैं। (वर्ना सलमान को कैसे पता किसी रेप पीड़िता का दर्द कैसा और क्‍या है? वैसे यह भी एक बहस या शोध का विषय हो सकता है!)

सच कहूं, मुझे सलमान के बयान से तकलीफ हुई, लेकिन ठीक इस बयान के बाद जो आवाजें आईं, वे इस बयान से कहीं ज्‍यादा खराब लगीं। उन आवाजों ने मुझे नि:शब्‍द और स्‍तब्‍ध कर दिया।

वह आवाजें कैसी थीं, यह जानने के लिए जरा सब्र करें। अगर आप यह लेख इसलिए पढ़ रहे हैं, क्‍योंकि आप सलमान के फैन हैं, तो सब्र करने की तो आपको आदत होगी ही। (संदर्भ आपकी अपनी समझ पर निर्भर है।)

सलमान ने एक बात कही, जिसे लोग गलत ठहरा रहे हैं। पर एक बात पर और गौर करने की जरूरत है कि सलमान ने इस साक्षात्‍कार में और भी बहुत कुछ कहा है। एक बार तो उन्‍होंने औरत को 'बुरी चीजों' में भी गिन दिया... और भी कई ऐसी बातें, जिनसे आसानी से दो अर्थ निकाल कर युवा शायद कुछ आनंद पा सकते हैं।

सलमान की बातों को गलत ठहराने वाले इन लोगों की भीड़ में बहुत सारे मीडिया के लोग भी हैं। उनका कहना है कि ऐसी बात कोई भी कैसे कह सकता है, क्‍या उनमें मानवता नहीं बची, ये तो औरत की अस्मिता का अपमान है... और भी जाने क्‍या-क्‍या...

लेकिन जरा सोचिए सलमान ने यह बयान दिया कहां, एक कॉन्‍फ्रेंस या साक्षात्‍कार के दौरान। जाहिर है, वहां खुद को पत्रकार कहने वाले कई बुद्धिजीवी लोगों ने उन्‍हें घेर रखा होगा। तो जरा एक बात का जवाब दीजिए कि जब ऐसे माहौल में कोई गैर-जिम्‍मेदाराना, अनैतिक या महज एक ऐसा बयान जिसे सामाजिक तौर पर सराहा नहीं जा सकता, दे दे तो उन पत्रकारों और बुद्धिजीवी लोगों की प्रतिक्रिया कैसी होगी। शायद वहां, उस हॉल में सन्‍नाटा पसर जाएगा और बयान देने वाले को तुरंत महसूस होगा कि उसने कुछ गलत बोल दिया।

लेकिन नहीं... सलमान खान के साथ और उस साक्षात्‍कार हॉल में ऐसा कुछ नहीं हुआ। जब मैंने वह ऑडियो सुना, तो सलमान की जानी-पहचानी आवाज में कुछ कटु और दोयम दर्जे की बातों के फौरन बाद मेरे कानों में एक सामूहिक हंसी की आवाजें गूंजने लगीं। ये आवाजें उन पत्रकारों और बुद्धिजीवी लोगों की थी, जिनके सामने सलमान बयान दे रहे थे। और हमारे बुद्धिजीवी मानो उनके सम्‍मोहन में बंधे हों, वे केवल हंसने, सलमान को और बोलने के लिए उत्‍साहित करने के लिए ही वहां गए हों। कहीं भी विरोध का स्‍वर न दिखा, न सुनाई दिया।

अब मेरा सवाल यह है- क्‍या उन बुद्धिजीवियों की आलोचना नहीं होनी चाहिए? क्‍या एक गलत बात को हंसकर प्रोत्‍साहित करने वाले उन लोगों से सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए कि आखिर क्‍यों आपने अगला सवाल यह नहीं पूछा कि यह बयान गलत नहीं है? क्‍या सलमान को नहीं लगता कि उन्‍होंने ऐसा बयान देकर महिलाओं की अस्मिता को ठेस पहुंचाई? या कोई भी ऐसा सवाल जिससे बयान देने वाले को एहसास होता कि वह गलत है और इस तरह के बयान न दे?

फिर भी सलमान इन लोगों को पहचान गए। तभी तो साक्षात्‍कार में एक बार उन्‍होंने बोल ही दिया- ''तुम्‍हीं लोग हंसोगे और फिर तुम्‍हीं घुमा दोगे बाद में...।''

सलमान के लिए संदेश
सलमान आप साल में जाने कितनी बार फादर्स डे मनाते हैं। क्‍योंकि जब भी आप कुछ ऐसा करते हैं, जिससे आपके अंदर का बचपना और छोटी सोच फूट-फूट कर बाहर आने लगती है, पापा सलीम अपना बड़प्पन दिखाकर अपने बेटे की ओर से माफी मांगकर उसे बचा लेते हैं। तो आज एक बार फिर हैप्‍पी फादर्स डे सलमान... कोशिश करो बड़े होने की...

अनिता शर्मा एनडीटीवी खबर में चीफ सब एडिटर हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है

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