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This Article is From Sep 26, 2018

अफगानिस्तान की जय हो

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 26, 2018 16:36 pm IST
    • Published On सितंबर 26, 2018 16:22 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 26, 2018 16:36 pm IST
एशिया कप 2018 में अफगानिस्तान ने भारत के साथ वनडे मैच को टाई कर दिया. यानि दोनों देशों के स्कोर बराबर हो गए. अफगानिस्तान ने 49.5 ओवर में 8 विकेट खोकर 252 रन बनाए जबकि भारत ने भी 50 ओवर में आलआउट होकर 252 रन बनाए. यानि मैच ड्रॉ हो गया. मगर आप खुद अंदाजा लगा लीजिए कि कौन जीता क्रिकेट प्रेमियों की नजर में..जी हां एशिया कप में भले ही अफगानिस्तान बाहर हो गया हो मगर लोगों के दिलों में विजेता तो अफगानिस्तान ही है. वजह है कि इस एशिया कप में अफगानिस्तान ने पहले श्रीलंका को 91 रनों से हराया फिर बंग्लादेश को 136  रनों से और भारत के साथ मैच बराबरी का.

छोटे फार्मेट में अफगानिस्तान का रिर्काड काफी अच्छा है. वह टी-20 में 8 वें स्थान पर है. श्रीलंका, बांग्लादेश ,जिम्बाव्वे और आयरलैंड से आगे. वहीं एक दिवसीय क्रिकेट में वह 10 वें नंबर पर है, जिम्बाव्वे से आगे. अफगानिस्तान में असल क्रिकेट की शुरुआत 2000 में हुई जब तालिबान ने क्रिकेट खेलने पर से बैन हटा दिया. अफगानिस्तान के कई खिलाड़ियों ने अपने क्रिकेट की शुरुआत रिफ्यूजी कैंपों में की जो अधिकतर पाकिस्तान में थे. इनमें नवरोज मंगल, मो नबी और करीम सादिक जैसे खिलाड़ी शामिल थे. अफगानिस्तान क्रिकेट फेडरेशन को 2001 में  मान्यता दी गई. मगर अफगानिस्तान में राजनैतिक हालात खराब ही होते गए. अमेरिका पर 9/11 हमले ने हालात को और खराब बना दिया. अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया और हालात बदतर हो गए. मगर अफगानिस्तान के पठानों ने जज्बा नहीं छोड़ा और डटे रहे कि एक न एक दिन दुनिया को दिखा देंगे कि हम भी किसी से कम नहीं हैं, और किसी भी दिन कितनी भी बड़ी टीम को हरा सकते हैं.

अफगानिस्तान क्रिकेट के उदय में भारत का बहुत बड़ा हाथ है. 2015 में भारत ने ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक के नाम से स्टेडियम अफगानिस्तान को दे दिया. यह स्टेडियम अफगानिस्तान का होम ग्रांउड बन गया. फिर अफगानिस्तान ने देहरादून में बांग्लादेश के खिलाफ तीन टी-20 मैच की श्रृखंला की मेजबानी की. यही नहीं भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने सभी देशों से यह करार किया कि जो भी  विदेशी टीम भारत आएगी उन्हें अफगानिस्तान से कम से कम एक वनडे मैच जरूर खेलना पड़ेगा.

पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत भी एक वक्त में अफगानिस्तान के कोच रहे, मनोज प्रभाकर भी. बाद में बॉलिंग कोच बने. अफगानिस्तान के पास तीन ऐसे स्पिनर हैं जो विश्व स्तरीय हैं. रशिद खान तो विश्व के नंबर एक गेंदबाज हैं. फिर मुजीब और नबी. यानी किसी भी टीम को 30 ओवर स्पिन के खेलने ही पड़ेंगे, जो आज के दिनों में काफी मुश्किल होता जा रहा है. चाहे पिच कैसी भी हो, इन्हें सफलता जरूर मिलती है.

कल के मैच में भले ही भारत के कुछ दिग्गज खिलाड़ी नहीं खेल रहे थे, भले ही कुछ अंपायरिंग के फैसले भारत के पक्ष में नहीं गए और भले ही मैच टाई पर छूटा हो, मगर तमाम क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह अफगानिस्तान के लिए जीत से कम नहीं है. इसलिए अफगानिस्तान क्रिकेट की जय हो..आपको मुबारक.. आपका भविष्य उज्जवल है..बस जज्बा और हिम्मत बनाए रखिए, सफलता आपको जरूर मिलेगी.


मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

 
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