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This Article is From Jan 11, 2019

दिल्ली की जंग, शीला की जुबानी

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 11, 2019 16:30 pm IST
    • Published On जनवरी 11, 2019 16:30 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 11, 2019 16:30 pm IST

कांग्रेस ने शीला दीक्षित को एक बार फिर दिल्ली की कमान सौंप दी है. वैसे इस खबर की चर्चा कई दिनों से थी मगर जैसे ही यह खबर आई तो लोगों ने कई तरह के सवाल पूछने शुरू कर दिए कि इतनी उम्र में यह जिम्मेदारी क्यों? वैसे यह लाजिमी भी था क्योंकि शीला दीक्षित 80 को पार कर गई हैं और एक तरह से सक्रिय राजनीति से दूर हो गई थीं. मगर कांग्रेस के पास लगता है कोई चारा नहीं था. अजय माकन के इस्तीफे के बाद उन्हें एक ऐसा चेहरा चाहिए था जो सभी गुटों को एक साथ लेकर चल सके. इस लिहाज से शीला दीक्षित का चेहरा फिट बैठता था.

शीला दीक्षित ने यूपी से राजनीति की शुरुआत की. कन्नौज से सांसद बनीं, तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं 1998 से 2013 तक. फिर केरल की राज्यपाल बनाई गईं. यानी उनके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है. यह तो बात हुई शीला दीक्षित की, मगर अब बात करते हैं उनकी चुनौतियों की. दिल्ली में कांग्रेस की हालत फिलहाल शून्य की स्थिति में है. लोकसभा और विधानसभा में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं है. मगर इतना जरूर है कि कांग्रेस का वोट शेयर 2015 के विधानसभा चुनाव में जहां नौ फीसदी था वह 2017 के नगरपालिका चुनाव में 26 फीसदी हो गया.

जब हमने शीला दीक्षित से बात की तो उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उनका कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई भी गठबंधन नहीं होनी चाहिए. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने लोगों से वादाखिलाफी की इसलिए शीली दीक्षित मानती हैं कि कांग्रेस को दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए. हालांकि कांग्रेस में कई लोग ऐसे हैं जो मानते हैं कि दिल्ली में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को एक साथ आना चाहिए. मगर शीला दीक्षित ऐसा नहीं मानती हैं. उन्होंने एक तरह से आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है.

शीला दीक्षित मानती हैं कि दिल्ली में कांग्रेस का परंपरागत वोट है. उसे केवल प्रेरित करने की जरूरत है. उन्हें भरोसा दिलाने की जरूरत है और यही काम वे करेंगी. शीला यह भी मानती हैं कि दिल्ली में तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति से उन्हें काफी मदद मिलेंगी. उनका कहना है कि पार्टी ने उनको नियुक्त कर काफी अच्छा काम किया है. गौरतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस ने हीरून युसुफ,देवेन्द्र यादव और राजेश लिलोथिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है जो मुस्लिम, पिछड़ी और दलित जातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

शीला दीक्षित यह भी कहती हैं कि दिल्ली के लोगों को मेरा काम याद है और मुझे अपना काम करने में कोई भी दिक्कत नहीं आने वाली है. शीला दीक्षित मानती हैं कि राहुल गांधी ने पिछले दिनों जैसा काम किया है, खासकर जिस तरह से तीन राज्यों में उन्होंने कांग्रेस की लड़ाई लड़ी है उससे लगता है कि वे काफी परिपक्व हो चुके हैं और अब वे पूरी तरह से प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार हैं. यदि कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो राहुल ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे.

 

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

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