कर्नाटक : क्या BJP के लिंगायत वोट बैंक में सेंध लगा पाएगी कांग्रेस?

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां लिंगायत वोट पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीते रविवार को लिंगायत समुदाय के संस्थापक गुरू बसवन्ना की जंयती में शामिल होने बागलकोट जिले पहुंचे.

कर्नाटक : क्या BJP के लिंगायत वोट बैंक में सेंध लगा पाएगी कांग्रेस?

बड़े लिंगायत नेताओं के कांग्रेस में आने के बाद से पार्टी की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

बेंगलुरु:

कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के बड़े नेता बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी अब कांग्रेस में आ चुके है. वहीं दूसरी तरफ लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा मैदान में नहीं है. कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा ने येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाकर लिंगायत समुदाय का अपमान किया है.

लिंगायत समुदाय का वोट अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से अब बयानबाजी भी तेज हो गई है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, 1967 के बाद से पिछले 50 वर्षों में कांग्रेस ने वीरेंद्र पाटिल के नौ महीने के कार्यकाल को छोड़कर किसी लिंगायत को मुख्यमंत्री नहीं बनाया.

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ और लिंगायत समुदाय से आने वाले एमबी पाटिल ने द प्रिंट से बात करते हुए कहा येदियुरप्पा के सीएम पद से हटने के बाद लिंगायत मतदाता बड़ी संख्या में कांग्रेस के पास वापस लौट सकते हैं.

एमबी पाटिल के इस बयान को अगर आंकड़ो के नजरिए से देखे तो, साल 2013 का चुनाव इस बात की तस्दीक करता है कि येदियुरप्पा के अलग पार्टी बनाने के बाद हुए चुनाव में लिंगायत समुदाय के प्रभाव वाली 78 सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और वोटों का बिखराव होने की वजह से कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई.

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नोट- 25 प्रतिशत से अधिक लिंगायत समुदाय की जनसंख्या वाली विधानसभा सीटों का परिणाम

वहीं जब बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने साल 2018 का चुनाव लड़ा तो लिंगायत समुदाय की जहां 25 प्रतिशत से अधिक आबादी है उन सीटों पर भाजपा का आंकड़ा 11 से बढ़कर 47 हो गया. वोट प्रतिशत में भी सीधे दोगुनी बढ़ोतरी हुई थी.

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लिंगायत समुदाय ही लगाती है नैया पार!
कर्नाटक में 17 प्रतिशत आबादी वाला लिंगायत समुदाय बीजेपी का सबसे मजबूत वोट बैंक है.इसकी सबसे बड़ी वजह लिंगायतों के सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा को माना जाता है. हालांकि इस बार भाजपा के दो बड़े लिंगायत नेताओं के कांग्रेस में आने के बाद से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई है.

बात करें कि किस पार्टी का लिंगायत समुदाय की प्रभावशाली सीटों पर बेहतर स्ट्राइक रेट हैं तो इस मामले में भाजपा के आसपास कोई पार्टी नहीं है. साल 2018 के चुनाव परिणाम को देखें तो भाजपा ने लिंगायत प्रभावशाली सीटों पर 60.3 प्रतिशत सीटें जीती है. वहीं कांग्रेस ने 32.1 और जेडीएस गठबंधन ने 6.4 प्रतिशत.

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लिंगायत समुदाय की सीटों पर साल 2018 का चुनाव परिणाम
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में 25 प्रतिशत से अधिक लिंगायत जनसंख्या वाली सीटों पर पार्टियों के कुल प्रदर्शन की बात करे तो भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस से बहुत आगे है वही उसका यह प्रदर्शन 35 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वाली सीटों पर कांग्रेस से तीन गुना बेहतर था.

भाजपा ने कुल 35 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वाली 34 सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की वहीं कांग्रेस ने आठ और जेडीएस+ के खाते में एक सीट आई.

इसी तरह 30-35 प्रतिशत की जनसंख्या वाली कुल 25 सीटों में भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 11 और जेडीएस को एक सीट मिली. और 25-30 प्रतिशत वाली 19 सीटों में भाजपा ने 10, कांग्रेस ने छह और जेडीएस ने 3 सीटे जीतीं.

लिंगायत समुदाय की 25 प्रतिशत अधिक आबादी वाली सीटों पर साल 2018 विधानसभा चुनाव परिणाम -

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लिंगायत समुदाय का वोट पाने के लिए चल रही जुबानी जंग के बीच, भाजपा के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में अगर भाजपा सत्ता में वापसी करती है तो लिंगायत समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कुर्सी पर बने रहेंगे.

हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर भाजपा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

(अश्विन कुमार सिंह NDTV में इलेक्शन डेस्क पर संवाददाता हैं.)

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