5 तथ्य, जो बताते हैं मोदी सरकार के 'मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस' के दावे का सच...

5 तथ्य, जो बताते हैं मोदी सरकार के 'मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस' के दावे का सच...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में हर देशवासी का सपना होता है कि वह सरकार तक अपनी बात, शिकायत आसानी से कर सके. वहीं. हर लोकतांत्रिक सरकार का यह कर्तव्य है कि वह जनता से सीधा संवाद करने का अधिक से अधिक प्रयास करे. बढ़ती जागरुकता के मद्देनजर हमारे देश में भी सरकारों की नींद टूटी है.

इसके प्रयास यूपीए के शासन काल से ही शुरू हो गए थे लेकिन इसको रफ्तार देने का काम एनडीए सरकार ने किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो 'मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस' के नारे को हर चुनावी रैली में दोहराया था. सत्ता में आने के बाद निश्चित रूप से उन्होंने इस दिशा में प्रयास किए हैं. जनता की शिकायतें सुनने के लिए मोदी सरकार ने पिछले ढाई वर्षों के दौरान कई पहल की हैं, लेकिन शिकायतों का अंबार लग रहा है और समाधान की प्रक्रिया काफी धीमी है. आइए कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के बारे में चर्चा करते हैं और उनकी हकीकत जानते हैं :

प्रगति पोर्टल
मनमोहन सरकार के दौरान जनता अपनी शिकायतें "PMO CPGRAMS" पोर्टल पर दर्ज कराती थी. इस वेबसाइट पर भ्रष्टाचार का एक सेक्शन था. इसका नाम बदलकर 'प्रगति' (प्रो ऐक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लिमेन्टेशन) कर दिया है. इस पोर्टल की टैग लाइन 'एक कदम आपका...दो कदम हमारे' बहुत कुछ कहती है. प्रगति पोर्टल पर भ्रष्टाचार की कैटेगरी में कई सब-सेक्शन बनाए गए हैं.

नए पोर्टल में टेलीकॉम, रेलवे, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज, ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों से जुड़ी शिकायतें अलग-अलग सेक्शन में दर्ज कराई जा सकती हैं.

पीजी पोर्टल
आम जनता की शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए यूपीए सरकार ने प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के अंतर्गत पीजी पोर्टल की स्थापना की थी. इसका मुख्य उद्देश्य जनता से ऑनलाइन प्राप्त शिकायतों का त्वरित निस्तारण करना है. हालांकि यह तंत्र ऑनलाइन होने के बावजूद एक-एक साल से ज्यादा का वक्त ले रहा है. पीजी पोर्टल पर 24 जून, 2016 तक दर्ज 5,05,356 शिकायतें ऐसी हैं जो साल भर से अपने निपटान का इंतजार कर रही हैं.   

माय गवर्नमेंट पोर्टल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में आने के दो माह ही माय गवर्नमेंट पोर्टल लॉन्च कि‍या था. इस वेब पोर्टल पर तीस लाख 50 हजार से ज्यादा लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. सवा चार लाख से ज्यादा लोग ट्विटर पर इसे फॉलो करते हैं. इस वेबपोर्टल की तर्ज पर कई राज्य सरकारें "माय गवर्नेंस" ऐप लॉन्च कर रही हैं. मध्यप्रदेश सरकार उनमें से एक है.

ट्विटर सेवा
दूरसंचार विभाग ने टेलीफोन बिलों, ब्राडबैंड व कनेक्विटी से जुड़ी समस्याओं के ऑनलाइन समाधान के लिए 'ट्विटर सेवा' 2 अगस्त 2016 से  शुरू की है. सरकार का दावा है कि पिछले 20 दिन में 2000 से अधिक शिकायतें मिलीं जिनमें से लगभग 1800 का निपटान किया जा चुका है. संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने इसे शुरू किया था. बताया जा रहा है कि सिन्हा खुद इस मंच के जरिए आने वाली शिकायतों के निपटान पर दैनिक आधार पर रपट लेते हैं.

एमओसीआईसेवा
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ आने वाली शिकायतों के निपटान के लिए 'हैशटैग एमओसीआईसेवा' शुरू करने जा रहा है जिसमें लोग अपने मुद्दे, शिकायतें यहां उठा सकते हैं.

इसके अलावा कई पोर्टल लॉन्च किए जा रहे हैं. देखना यह है कि शिकायत की तुलना में उनका निपटान कितना होता है. लाखों शिकायतें फाइल हो रही हैं लेकिन उसकी तुलना में शिकायतों का निपटान नहीं हो रहा है. शिकायत निवारण की दिशा में अभी भी ठोस परिणाम सामने आना बाकी हैं.

चतुरेश तिवारी  khabar.ndtv.com में चीफ सब एडिटर हैं...

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