ओलिम्पिक जाने वाली खिलाड़ियों पर डोपिंग का डंक छाया हुआ है। भारतीय ओलिम्पिक दल को आज दूसरा झटका तब लगा जब नरसिंह यादव के बाद शाट पटर इंदरजीत सिंह डोप टेस्ट में फेल हो गए। इंदरजीत ने 2014 के एशियन गेम्ज़ में सिल्वर मेडल जीता था, लेकिन अब रियो नहीं जा पाए।
ओलिम्पिक शुरू होने में 10 दिन से भी कम समय रह बचा है। दो एथलीट डोपिंग में फेल हो चुके हैं। दोनों का कहना है कि उन्हे फंसाया जा रहा है। इंदरजीत के लिए कहा जा रहा है कि उनका बड़बोलापन नुकसानदेह रहा।
एनडीटीवी से इंदरजीत ने कहा है कि ऐसा चलता रहा तो खेल खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुरीतियों को सामने लाता रहा हूं। दुकान बेचकर खेल में कदम जमाए। डोपिंग से बचने के लिए हमें ज्यादा बताया नहीं जाता। ढाई महिने में 6 बार डोप टेस्ट दिया। इंदरजीत ने खेल महकमे के अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया।
इससे पहले 74 किलोग्राम वर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले नरसिंह यादव को लेकर भी साजिश के कयास लग रहे हैं। भारतीय कुश्ती संघ का भी इस ओर इशारा है। संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह ने इस सिलसिले में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि वे स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया के मेस में खाते हैं। उसमें कुछ मिलाया गया हो।
नरसिंह यादव मुंबई से आते हैं। दूधवाले के बेटे हैं जिन्हें हरियाणा और पंजाब के कुश्ती में दबदबे से कभी सहज नहीं होने दिया गया। बाहर वाले की तरह बर्ताव किया गया। उनको अपने को साबित करने का मौका भी तभी मिला जब कोई खिलाड़ी चोटिल हो गया। वर्ष 2013 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे कांस्य पदक विजेता रहे हैं।
नरसिंह के लिए यहां तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं रहा है। कुछ दिन पहले ही कुश्ती में इसी वर्ग के लिए ओलिम्पिक्स में रजत पदक विजेता सुशील कुमार से कानूनी लड़ाई लड़ी। सुशील के दावे को भारतीय कुश्ती फेडरेशन ने खारिज कर दिया था। इसके बाद सुशील दिल्ली हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद ही नरसिंह यादव के ओलिम्पिक्स में हिस्सा लेने का रास्ता साफ हुआ था। तभी से वे सोनीपत में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कैंप में प्रैक्टिस कर रहे थे।
नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने ई-मेल से नरसिंह यादव को जानकारी दी गई कि वे डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं। कल नाडा में नरसिंह की सुनवाई है। अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए भारतीय कुश्ती संघ से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है।
हमारे देश में खेलों में डोपिंग एक बड़ी समस्या बन गई है। हाल में जूनियर नेशनल शॉट- पटर अंकित धइया का मामला फंस गया जब एक डोमेस्टिक मीट में वह डोप टेस्ट पास नहीं कर सका। अगर साबित हो जाता है तो चार साल का बैन उस पर लग सकता है। पिछले साल ही पंजाब से थ्रोअर केतकी सेठी को 8 साल के बैन की सजा पटियाला में नेशनल मीट के दौरान दी गई। यह उनकी दूसरी गल्ती थी। इससे पहले वे स्कूल मीट में भी डोप टस्ट पास नहीं कर पाई थीं।
समस्या खिलाड़ियों में बढ़ते परफार्मेंस के दबाव की भी है। हर तरीके से पदक हासिल करना वह भी किसी भी स्तर की प्रतियोगिता क्यों न हो। Athletics Federation of India (AFI) ने डोप टेस्ट जरूरी कर दिया है। इससे पिछले साल केरल और पश्चिम बंगाल से तीन महिला खिलाड़ियों पर रोक लगाई गई। लेकिन यह समस्या हमारे देश की ही नहीं दुनिया भर में अपने प्रदर्शन की बेहतरी के लिए स्टीरायड लिए जाते रहे हैं। टर्की में पिछले साल world championship में 30 खिलाड़ियों को सस्पेंड किया गया।
(निधि कुलपति एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एडिटर हैं)
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This Article is From Jul 26, 2016
ओलिम्पिक खेलों से वंचित कर रहा डोपिंग का डंक, भारतीय दल को दूसरा झटका
Nidhi Kulpati
- ब्लॉग,
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Updated:जुलाई 27, 2016 00:01 am IST
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Published On जुलाई 26, 2016 23:57 pm IST
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Last Updated On जुलाई 27, 2016 00:01 am IST
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