बीजेपी ने लंबी कवायद के बाद बुधवार को हरियाणा की 90 में से 67 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया.पार्टी ने अभी 23 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. इनमें से कुछ सीटें वह अपने सहयोगियों को दे सकती है. बीजेपी की इस सूची में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का दबदबा देखा जा सकता है. वो अपनी बेटी समेत कई करीबियों को टिकट दिला पाने में कामयाब रहे हैं.बीजेपी नेतृत्व ने टिकट बंटवारे में इंद्रजीत सिंह की पसंद-नापसंद का ख्याल रखा है.बची हुई सीटों में भी कुछ ऐसी हैं, जिन पर उनका दावा है.लेकिन बीजेपी ने बादशाहपुर में उनके विरोधी खेमे के राव नरबीर सिंह को टिकट दे दिया है.राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल के रूप में मशहूर दक्षिण हरियाणा के कद्दावर नेता हैं.हरियाणा के अहीरवाल ने 2014 और 2019 में बीजेपी को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.
अहीरवाल की राजनीति
हरियाणा के अहीरवाल की किसी भी दल को सत्ता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाता है.बीजेपी को 2014 और 2019 में सत्ता दिलाने में अहीरवाल ने अहम भूमिका निभाई थी.इसमें बीजेपी से बड़ा योगदान राव इंद्रजीत सिंह का माना जाता है.इस वजह से बीजेपी नेतृ्त्व उन्हें महत्व देता है. अपनी इस ताकत का इस्तेमाल वो अपने विरोधियों को निपटाने में भी करते हैं. इससे बीजेपी नेतृत्व असहज है.इसके लिए बीजेपी ने हरियाणा में अपने दो यादव नेताओं भूपेंद्र यादव और सुधा यादव को सक्रिय किया हुआ है. सुधा यादव 1999 के लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह को हरा चुकी हैं.
हरियाणा में यादव मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 12 फीसदी है. यह एक बड़ा वोट बैंक है. जिसे कोई पार्टी नाराज नहीं करना चाहेगी. लेकिन बीजेपी इसे केवल राव इंद्रजीत सिंह के भरोसे नहीं छोड़ना चाहती है, इसलिए उसने लोकसभा चुनाव से पहले ही भूपेंद्र यादव और सुधा यादव को हरियाणा में सक्रिय कर दिया.
बीजेपी बनाम कांग्रेस
अहीरवाल में हरियाणा के तीन जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ आते हैं. इसमें विधानसभा की 11 सीटें आती हैं. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इनमें से आठ सीटें जीती थीं. इसमें लोकसभा की तीन सीटें गुरुग्राम, भिवानी-महेंद्रगढ़ और रोहतक सीट आती है. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ सूीट पर जीत दर्ज की. वहीं रोहतक सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. साल 2014 में मोदी लहर चलने से पहले यह कांग्रेस का गढ हुआ करता था.लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस का यह गढ़ तहस-नहस हो गया है. बीजेपी की जीत में राव इंद्रजीत सिंह का बड़ा हाथ माना जाता है.
राव इंद्रजीत सिंह का सफर
राव इंद्रजीत सिंह के पूर्वज आजादी की लड़ाई में शामिल थे. इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक पारी की शुरुआत 1977 में जाटूसाना विधानसभा क्षेत्र से हुई थी.यह चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीति के मैदान में शानदार आगाज किया. इस सीट से वो चार बार विधायक चुने गए.वह हरियाणा सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति, वन और पर्यावरण, चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा समेत कई प्रमुख विभागों के मंत्री रहे हैं. उन्होंने 1998 में संसद का रुख किया. पहली बार वो महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे.इसके अगले चुनाव में 1999 में हुए चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.उन्हें करगिल के एक शहीद की पत्नी और बीजेपी उम्मीदवार सुधा यादव ने मात दी थी. लेकिन 2004 के चुनाव में वो दोबारा महेंद्रगढ़ से चुने गए. मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें विदेश राज्यमंत्री बनाया गया था.
परिसीमन के बाद गुड़गांव लोकसभा सीट बनी.राव इंद्रजीत सिंह ने 2009 का चुनाव गुड़गांव से कांग्रेस के ही टिकट पर जीता. यह उनकी तीसरी जीत थी. वो 2014 के चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उन्हें 2014 के चुनाव में गुड़गांव से टिकट दिया. वो जीते भी.इसके बाद उन्होंने 2019 और 2024 का चुनाव भी गुड़गांव से ही बीजेपी के टिकट पर जीते हैं. वह नरेंद्र मोदी की तीनों सरकार में मंत्री रहे हैं.
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