कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी भी कांग्रेस के साथ अपने पद को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि 25 मई को उन्होंने कहा था कि वह लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ रहे हैं. इस पर कांग्रेस ने कहा था कि राहुल का पद छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता. कुछ नेताओं ने राहुल को अपना फैसला बदलने के लिए मनाने की कोशिश भी की थी. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि राहुल गांधी पद पर बने रहेंगे या हटेंगे या फिर वह अस्थायी तौर पर तब तक काम करते रहेंगे जब तक उन्हें कहीं और प्रतिस्थापित नहीं कर दिया जाता.
राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना, हरियाणा और मध्य प्रदेश में शातिर गुटबाजी के बीच तेलंगाना में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और केसीआर में शामिल हो गए. इन सबके बाद राहुल गांधी नेताओं से मिलने से इनकार कर रहे हैं, आखिर कैसे वह अपनी स्थिति की व्याख्या करें या फिर कैसे संकट की स्थिति में उन्हें संबोधित करें.
राहुल गांधी आज अपने संसदीय क्षेत्र केरल के वायनाड जाएंगे. इस दौरान मतदाताओं को उन्हें चुनने के लिए धन्यवाद देने का उनका फुटेज, उनकी पार्टी के नेताओं को उनकी झलक मिलने का एक अवसर हो सकता है. गुरुवार को राहुल ने मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के साथ होने वाली मीटिंग को भी ठुकरा दिया था. कमलनाथ अपने बेटे के साथ उनसे मिलना चाहते थे जो एमपी में कांग्रेस के अकेले चुनकर आए उम्मीदवार हैं. राहुल गांधी की बजाय कमलनाथ और उनके बेटे ने पीएम मोदी से मुलाकात की.
गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अशोक गहलोत, कमलनाथ और पी चिदंबरम की ओर इशारा करते हुए कहा था कि वह अपने बेटों के चुनाव में ध्यान लगाए हुए थे और उनके लिए पितृत्व का भाव पार्टी की जरूरत से बड़ा था. वहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का डिप्टी सीएम सचिन पायलेट से पहले ही मतभेद चल रहा है. गहलोत ने कहा था, 'पायलट मेरे बेटे की जोधपुर सीट से हार की जिम्मेदारी लें.' जोधपुर सीट से अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत 2.7 लाख वोटों से हार गए थे. इस बीच, पायलट का वह कैंप जिसका मानना है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था, अब राजस्थान में आए कांग्रेस के लोकसभा के नतीजों का उपयोग कर रहा है. इस कैंप का दावा है कि अब उनके पास राज्य का प्रभार लेने का समय है.
अशोक गहलोत ने अपने बेटे की हार के लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया था
पायलट अकेले ऐसे उत्तराधिकारी नेता हैं जिन्होंने पांच साल के लिए राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली और उन्होंने दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित की. सूत्रों का कहना है, उन्होंने सीएम पद के लिए कभी गहलोत से मेल मिलाप नहीं किया और अब वह डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देने का विचार कर रहे हैं. अगर वह ऐसा करते हैं तो वह कहेंगे कि वह लोकसभा चुनावों के नतीजों की जिम्मेदारी ले रहे हैं और जन संपर्क यात्रा शुरु करेंगे.
बतौर डिप्टी सीएम पायलट शक्तिहीन होने के करीब हैं. पायलट एक चतुर राजनेता हैं जो बड़े पैमाने पर लोगों को कनेक्ट करते हैं. उनके लक्ष्य लंबे हैं. पायलट के करीबी नेता ने बताया, 'पायलट केवल 41 साल के हैं और वह अपना राजनीतिक जीवन केवल इसलिए खत्म नहीं कर सकते क्योंकि राहुल गांधी उनका माइंड मेकअप नहीं कर सकते.' इसलिए राजस्थान से अधिक हलचल की अपेक्षा रखें.
वहीं पंजाब में सीएम अमरिंदर सिंह, राहुल गांधी से नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. कैप्टन के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलना सिद्धू ने अपनी आदत बना ली है. कैप्टन ने गुरुवार को पंजाब कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई थी जिसमें सिद्धू ने भाग नहीं लिया. जिसके बाद कैप्टन ने सिद्धू का पोर्टफोलियो बदल दिया. सूत्रों का कहना है कि सिद्धू ने राहुल गांधी से पब्लिक मेल्ट डाउन से पहले बात करने की कोशिश की थी जहां उन्होंने कहा था कि वह परफॉरर्मर हैं जो रिजल्ट देते हैं और उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता.
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह से मतभेद के चलते सिद्धू का पोर्टफोलियो बदला
सिद्धू ने यह भी कहा था कि उन्होंने पंजाब लोकसभा के नतीजों में अच्छा योगदान दिया. यह सोनिया गांधी हैं जिन्होंने कथित तौर पर सिंह को सिद्धू को अपने मंत्रिमंडल में रखने के लिए राजी किया था. वहीं हरियाणा में कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में मिली हार का मंथन करने के लिए हुई मीटिंग में तो नेता हाथापाई पर उतर आए थे और गुलाम नबी आजाद वहां से बाहर चले गए थे.
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को पहले ही बीजेपी से खतरा है क्योंकि वह सरकार गिराने की प्लानिंग कर रही है. अगर वह वापस लड़ने की कोशिश करते हैं तो उनके प्रतिद्वंद्वी ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि उन्हें राज्य प्रमुख के रूप में हटा दिया जाए. सिंधिया ने अपने परिवार की गुना सीट को खो दिया है और अब वह राज्य प्रमुख बनना चाहते हैं. लेकिन दिग्विजय सिंह भोपाल के चुनाव में हारे हैं और वह चाहते हैं कि सिंधिया को राज्य का प्रमुख नहीं बनाया जाए.
(कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया)
वहीं सोनिया गांधी ने गुरुवार को सभी राज्यों के प्रमुखों को कहा था कि वह इस बात को लिखित में दें कि वह चुनाव क्यों हारे. कुछ नेता इसे लिखित रूप में स्कोर को व्यवस्थित करने के अवसर के रूप में भी देखते हैं. सूत्रों का कहना है कि गांधी के इस्तीफे की पेशकश का मकसद कामराज प्लान 2 को शुरू करना था, जो इस्तीफा देने के खिलाफ उनके द्वारा बोले गए नेताओं को शर्मिंदा करेगा. ऐसा नहीं हुआ, लेकिन गांधी ने साफ कर दिया था कि वह पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं.
अगर राहुल पद छोड़ने के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें अब एक काम करने की जरूरत है कि वह रास्ता साफ करें और एक नेता को आगे लाएं जो कमियों को दूर करके जल्दी से आगे बढ़ सकता है. उनका व्यवहार एक अनुभवी राजनेता की परिपक्वता या निर्णायकता का सुझाव नहीं देता है. हमेशा की तरह, यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस की कोई योजना नहीं है.
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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