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This Article is From Aug 06, 2020

उमा भारती के जोक और हर तरफ ठहाकों ने अयोध्‍या कवरेज की थकान उड़ा दी..

Alok Pandey
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 06, 2020 18:57 pm IST
    • Published On अगस्त 06, 2020 16:01 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 06, 2020 18:57 pm IST

बुधवार को ठीक 6.51 बजे, अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह खत्‍म होने के कुछ घंटों बाद, मेरी मित्र और NDTV की गेस्‍ट को-ऑर्डिनेटर नेहा कुकरेजा ने मुझे फोन किया जब मैं गर्भगृह के पास शूट कर रहा था.यह वास्‍तव में एक दुर्लभ अवसर था.

नेहा ने कहा, "उमा भारती के साथ LIVE के लिए कृपया अपना कैमरापर्सन भेजें. क्‍या आप कर सकते हैं", यह एक ऐसी बातचीत है जो हम सालों से करते आ रहे  है जिसमें केवल पात्र बदल जाते हैं.

"ठीक है, कब," मैंने पूछा.

उन्‍होंने कहा "7" 

मेरे पास ठीक 9 मिनट थे.

इसका अर्थ हुआ कि उमा भारती के पास पहुंचने के लिए कैमरापर्सन अश्विनी और एनडीटीवी इंडिया के मेरे सहयोगी सौरभ शुक्‍ला के साथ हम बेहद तेजी से शहर के दूसरे छोर पर जाने के लिए निकले. हम वहां 7 बजे नहीं पहुंच पाए, 7.15 भी नहीं और यहां तक कि‍ 7.30 बजे भी नहीं. हम वहां आठ बजने से 10 मिनट पहले पहुंचे जबकि 8 बजे एनडीटीवी इंडिया का संकेत उपाध्‍याय की एंकरिंग वाला बु‍लेटिन शुरू हो जाता है. 

हम एक कमरे में पहुंचे, जहां उमा भारती एक कुर्सी पर बैठी थीं. इंटरव्‍यू के लंबे दौर के बाद वे थकी हुई नजर आ रही थीं.उनकी पहली प्रतिक्रिया यह थी: "कृपया बिस्तर पर न बैठें, कोरोना से थोड़ा डर लगता है."

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पहले 'इनकार' करने के बाद उमा भारती भूमि पूजन समारोह में शामिल हुईं


उमा भारती ने पहले कहा था कि वह अयोध्या में सरयू नदी के किनारे मौजूद रहेंगी और राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह में जाने से बचेंगी क्योंकि उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों के संक्रमित होने के बारे में चिंता है क्‍योंकि वह ट्रेन से यात्रा करके आई हैं. हालांकि बीजेपी की इस दिग्‍गज नेता ने बाद में अपना विचार बदला और इस कार्यक्रम में शामिल हुईं.

उन्‍होंने और कुर्सियां मंगाने को कहा. मैंने उनसे कहा: "चिंता मत करिए, हम भी कोरोना से डरते हैं." इसके बाद तो जो हुआ वह खुश करने वाला था

उन्‍होंने हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में कहा, "वैसे मोटे लोगों को कोरोना नहीं होता" उनकी यह बात सुनते ही कमरे में जोर की हंसी गूंज उठी.

मैंने कहा, "लेकिन मैडम, यह मोटे लोग हैं जिन्हें सांस लेने में अधिक समस्या होती है." सारी बातें हंसी-मजाक के माहौल में हो रही थीं.

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "नहीं-नहीं." "हमें कुछ नहीं होगा- आप और मैं."

इन मजाकिया क्षणों ने लाइव रिपोर्टिंग और समन्‍वय की दिक्‍कतों से जूझते दिन के तनाव को खत्‍म कर दिया
इस बार, होटल जो कि अयोध्या रिपोर्टिंग के लिए हमारा ठिकाना था, में भी वायरस के प्रति सजगता थी.

अयोध्या के 'जुड़वां शहर' फैजाबाद में बस स्टेशन के पास दशकों पुराना शान-ए-अवध होटल इससे वाकिफ था. यह अकसर मंदिर के शहर को कवर करने वाले टीवी, प्रिंट और ऑनलाइन मीडिया की मेजबानी करता है. यह रिट्ज होटल जैसा तो नहीं है लेकिन काम चल जाता है.

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फैजाबाद के शान-ए-अवध होटल में हमारा कमरा

हमें COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन होता देखकर कुछ आश्‍चर्य हुआ. सच तो यह है हमने इसकी बहुत कम उम्मीद की  थी लेकिन हमारा सामान सेनिटाइज किया गया (कम से कम पहले दिन तो किया गया था).उसके बाद होटल का स्‍टाफ हमें कमरे तक ले गया जो मास्‍क, हेड कवर, फेस शील्‍ड और दस्‍ताने पहने हुए था.

कमरे, हालांकि, हमेशा की तरह बस कामचलाऊ ही थे. हमारा बचा हुआ ज्‍यादातर खाली समय इस बात पर ही खर्च हुआ कि हमारे कमरों को कैसे सेनिटाइज किया जाए.

एनडीटीवी के लखनऊ ब्यूरो में मेरे दोस्त और ओबी वैन तकनीशियन विनीत वर्मा ने बताया, "मैं अपनी खुद की बेडशीट लाया हूं. मैंने उनकी बेडशीट को हटा दिया है और अगले तीन दिनों तक किसी को भी अपने कमरे में नहीं आने दूूंगा." उसने पूछा " आप भी अपनी बेडशीट लाए हैं न? मैंने कहा, ''नहीं, आप जीत गए, विनीत. कोरोना हार गया," मैंने जवाब दागा.एक बार फिर हंसी गूंज उठी.

हालांकि अधिकांश अयोध्या, कोरोना महामारी के असर को लेकर अनजान लग रही है. मैंने एक सज्‍जन से पूछा, "आप मास्क क्यों नहीं पहन रहे हैं," यह शख्‍स राम मंदिर समारोह के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर से आए थे.

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अयोध्‍या नगरी की छटा देखते ही बन रही है

उन्होंने कहा, "ठीक है. भगवान राम हमारे साथ हैं."

मैने देखा, उनके गमछे पर पंक्तिवार "जय सिया राम" शब्द अंकित थे.
मैं कहना चाहता था, "ईश्वर तुम्हें तभी बचाएगा जब तुम इस कपड़े से अपना मुंह ढंकोगे''  लेकिन मैंने अपने शब्‍दों को अपने मन में ही रखा. वह शख्स दूसरे चैनल पर चला गया, जहां भगवा कुर्ता पहने एक टीवी एंकर राम मंदिर को लेकर जोशपूर्ण स्थिति में था. मैंने उसे देखा और भीड़ से बाहर आया और अपनी Live चैट करने लगा.

यह एक लंबा दिन था.

-आलोक पांडे NDTV 24x7 में न्यूज़ एडिटर हैं. 
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
 

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