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This Article is From Jan 08, 2019

गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण पर पसोपेश में कांग्रेस!

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 08, 2019 23:06 pm IST
    • Published On जनवरी 08, 2019 21:24 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 08, 2019 23:06 pm IST

सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में दस फीसदी आरक्षण देने के संविधान संशोधन बिल को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार इस बिल को जल्दबाजी में लाई लिहाजा इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेजा जाए. वहीं सरकार का कहना है कि अपने घोषणापत्र में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का वादा करने वाली कांग्रेस अब पीछे हट रही है.

इसमें कोई शक नहीं है कि लोकसभा चुनाव के ठीक तीन महीने पहले लाए गए इस बिल के जरिए बीजेपी नाराज़ सवर्णों को खुश करना चाह रही है. कांग्रेस को यही डर सता रहा है कि कहीं बीजेपी इसका फायदा न उठा ले. लोकसभा के बाद यह बिल राज्यसभा में जाना है जिसका सत्र एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है. कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दल इसी का विरोध कर रहे हैं कि सत्र क्यों बढ़ा दिया गया. अब कल राज्यसभा में कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल क्या करते हैं इस पर सबकी नजरें होंगी.

बीजेपी का राज्यसभा में बहुमत नहीं है. बिना कांग्रेस के समर्थन के यह संविधान संशोधन बिल राज्यसभा में पारित नहीं हो सकेगा. कांग्रेस की दिक्कत यह है कि बिल पास कराने में मदद वो देगी लेकिन सेहरा पीएम मोदी के सिर बंधेगा. इसीलिए वह ऊहोपाह में है. बीजेपी इसी का फायदा उठाना चाह रही है. उधर अधिकांश विपक्षी दल इस बिल का विरोध करने की हालत में नहीं हैं क्योंकि कोई भी सवर्णों को नाराज नहीं करना चाहता है.

वैसे आपको बता दूं कि तीन राज्यों में हार के बाद ही बीजेपी को सवर्णों की सुध आई है. आर्थिक आधार पर आरक्षण देने पर पिछले साल जुलाई में चर्चा हुई थी. लेकिन तब लगा था कि पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने से ओबीसी और एससीएसटी एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन करने से अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग साथ आ जाएगा. इसलिए सामान्य वर्ग के आरक्षण की बात ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी. लेकिन इन नतीजों ने बीजेपी को झटका दे दिया. अब बीजेपी के सामान्य वर्ग के सांसद खुश दिख रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि पार्टी सवर्ण वोटों के पलायन को रोक सकेगी. तो हर लिहाज से यह कदम सियासी माना जा रहा है.

 

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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