हमने 10 दिसंबर 2022 को दुबई जाने के लिए एयर इंडिया की बिजनस क्लास बुक की थी. चेक-इन काउंटर पर हमें बताया गया कि बिजनस क्लास की पांच सीटें टूटी हुई हैं.इस वजह से हमें इकॉनमी क्लास में एक्स्ट्रा लेग रूम वाली सीटें ऑफर की गईं,जबकि बिजनस क्लास वाली हमारी सीट्स को अगली फ्लाइट के लिए रखा गया.स्टाफ ने हमें यह यकीन दिलाने की भरसक कोशिश की कि छोटी फ्लाइट के लिए यह ठीक रहेगा,लेकिन चूंकि अगली सुबह दुबई में हमारी एक जरूरी बैठक तय थी,इसलिए हमने उनके ऑफर को ठुकरा दिया.
यह पता चलने के बाद कि समस्या दरअसल टीवी में है, हमने कहा कि हमें इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हम बस सोना चाहते हैं. इसके बाद भी भविष्य में मुआवजे के किसी दावे से बचने के लिए हमें यह लिखने के लिए मजबूर किया गया कि हमें टूटी हुईं सीट्स के साथ बिजनस क्लास में यात्रा करने में कोई दिक्कत नहीं है.
टाटा के अधिग्रहण के बाद यह एयर इंडिया के साथ मेरा पहला अनुभव था.हम जैसे ही फ्लाइट में चढ़े,हमने देखा कि बिजनेस क्लास की सीटें खाली हैं.दिलचस्प बात यह था कि उड़ान भरने से ठीक पहले,पायलट की वर्दी में आए पांच लोगों ने कथित तौर पर टूटी हुई सीटों पर कब्जा जमा लिया. इससे बिजनेस क्लास पूरी तरह से भर गया.मेरी सीट पर टीवी,जिसके बारे में दावा किया गया था कि वह काम नहीं कर रहा है,बिल्कुल ठीक तरीके से काम कर रहा था.यह साफ था कि ऐसा उन्होंने अपनी टीम को ठहराने करने के लिए किया था.
बुरे अनुभवों पर ध्यान देना हालांकि आसान काम है, इस यात्रा का एक सकारात्मक पहलू भी था. हमारी 13 दिसंबर को वापसी वाली फ्लाइट मिडनाइट में थी, उस दिन मेरी बेटी का जन्मदिन था.एयर इंडिया के क्रू ने यह बात सुन ली.वे सामान्य वेलकम ड्रिंक की जगह हम सभी के जश्न मनाने के लिए शैंपेन लेकर आए,वह भी उड़ान भरने से पहले. उनका यह भाव वास्तव में दिल को छू लेने वाला था.जब मैंने पूछा कि क्या यह बदलाव टाटा के अधिग्रहण की वजह से आया है, तो क्रू मेंबर ने जवाब दिया कि एयर इंडिया हमेशा इसी तरह से काम करती थी, यह दिलचस्प था.
हालांकि मैं विमानन मामलों का विशेषज्ञ नहीं हूं,आतिथ्य सत्कार और ग्राहक सेवा वाले बैकग्राउंड से होने की वजह से मैं अच्छी सेवा पर ध्यान देने वाली कंपनियों की तारीफ करता हूं. एयर इंडिया को बदलना वास्तव में एक कठिन काम है, लेकिन समर्पित प्रयासों से इसमें महत्वपूर्ण सुधार आने और सफलता मिलने की उम्मीद है. कायापलट करने वाली टीम में काम करने वाले मेरे मित्र एयरलाइन को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन कार्य संस्कृति एक दिन में नहीं बनती है. कंपनी के मूल्यों को सकारात्मक रूप से मजबूत बनाने में सालों साल लग जाते हैं. एयर इंडिया कहां खड़ा है? वे इससे जूझ रहे हैं.
यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि टाटा समूह द्वारा खरीदे जाने से पहले एयर इंडिया कहां थी. एयर इंडिया 140 से अधिक विमानों का संचालन करती है. इनमें से अधिकांश एक दशक से अधिक पुराने हैं. उनका कभी नवीनीकरण नहीं किया गया है. एयरलाइन क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि केबिन को नया और क्रियाशील बनाए रखने के लिए हर सात-आठ साल में उनका पूरी तरह से नवीनीकरण होना चाहिए. टूटी सीटों और घिसे-पिटे इंटीरियर के साथ एक बड़ी समस्या है, क्योंकि स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में उन्हें बदलने में डेढ़ साल तक का समय लग जाता है. उदाहरण के लिए, 16 जून को जब ज्यूरिख से दिल्ली रूट पर नई उड़ान शुरू हुई थी, तब भी मेरी बेटी को बताया गया था कि बिजनेस क्लास की 12 सीटें टूटी हुई हैं. ज्यूरिख की स्विस एयर के साथ एयर इंडिया की प्रतिस्पर्धा है, जिसके पास बेहतरीन विमान और सेवा है. इस तरह के अनुभव से एयर इंडिया की ब्रैंडिंग प्रभावित होती है, क्योंकि पहली ही उड़ान में खराब अनुभव के बाद लोगों के वापस लौटने की संभावना नहीं होती है.
टाटा समूह की सबसे बड़ी भूलों में से एक है विस्तारा को बंद करना. एयर इंडिया के साथ विलय खराब तरीके से और गलत समय पर किया गया. सरकार और टाटा समूह को पता था कि एयर इंडिया पुराने और थके हुए विमानों के साथ एक निष्क्रिय हो चुकी संपत्ति थी. इसके बाद भी उन्होंने अल्पकालिक वित्तीय लाभ के लिए विलय की इस योजना को मंजूरी दी. विलय को दो साल के लिए टाला क्यों नहीं जा सकता था? विस्तारा के रखरखाव के वित्तीय बोझ को उसको सर्वोत्तम तरीके से चलाकर और नए विमानों के जरिए उचित ठहराया जा सकता था.
अपने 70 नए विमानों और उत्कृष्ट सेवा की वजह से विस्तारा की प्रतिष्ठा थी.वहीं एयर इंडिया का बेड़ा बहुत पुराना है. यह बात चकित करने वाली है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विस्तारा जैसी आधुनिक और अच्छी तरह काम करने वाली एयरलाइन का एक पुरानी एयरलाइन के साथ मर्जर की इजाजत दे दी. उसने इसे एयर इंडिया के रूप में फिर से ब्रांडिंग करने की टाटा के फैसले को भी मंजूरी दी है.
खराब उत्पाद और खराब संचार दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. एयर इंडिया को एक क्लास इस विषय पर रखनी चाहिए कि एक उपभोक्ता कंपनी चलाते समय संवाद कैसे नहीं करना चाहिए. मैंने हाल ही में एयर इंडिया से दिल्ली से हैदराबाद तक यात्रा की है. विमान बढ़िया था और सेवा भी उत्कृष्ट थी. लेकिन वहां संचार की समस्या थी.फ्लाइट को सुबह नौ बजकर 40 मिनट पर उड़ान भरनी थी, लेकिन उसने करीब 40 मिनट की देरी से बिना किसी घोषणा के उड़ान भरी. चालक दल ने हमें बाद में बताया कि एम्स्टर्डम से आने वाली एक कनेक्टिंग फ्लाइट के कुछ यात्री इस फ्लाइट में सवार हुए थे.यह सूचना सभी यात्रियों को दी जा सकती थी, जिससे सबको देरी का कारण पता चल सके.
एयर इंडिया को सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है. अपने जहाजों के बेड़े के बारे में, समय पर उड़ान भरने के बारे में साप्ताहिक अपडेट और सोशल मीडिया चैनलों पर निरंतरता उपभोक्ता की राय बदलने में मदद कर सकता है. जनता की जबरदस्त राय से पता चलता है कि विलय एक गलती थी. टाटा समूह, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और नागरिक उड्डयन मंत्रालय उपभोक्ताओं के बीच एक छोटा-सा सर्वे कर सकते थे. इस विषय पर मेरे ट्वीट को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, 95 फीसदी से अधिक लोगों ने महसूस किया कि विस्तारा और एयर इंडिया का मर्जर नहीं होना चाहिए था. यह एयर इंडिया में हाल में सामने आए गलत प्रबंधन के मामलों पर प्रकाश डालते हैं, चाहे वह लंबे इंतजार का मामला हो या संचार की कमी का मामला.
एयर इंडिया के कायापलट में लगी टीम बहुत दबाव में है. वह अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास कर रही है. उत्कृष्ट सेवा देने की संस्कृति बनाने में समय लगता है. ठीक से काम कर रही एक एयरलाइन का एक पुरानी एयरलाइन में अचानक मर्जर के बाद उम्मीद यह है कि इस एकीकरण से एक बेहतर एयरलाइन तैयार होगी. हालांकि इस मर्जर के लिए दो साल तक इंतजार क्यों नहीं किया गया? उभरते हुए भारत में यह जनमत की अनदेखी का एक बेहतरीन उदाहरण है. भारत में उड़ान एकाधिकार तक सीमित होती जा रही है, इसलिए उपभोक्ता की पसंद सीमित है.
अंत में,विमानन के क्षेत्र में भारत चुनौतियों का सामना कर रहा है. सितंबर के बाद जब विस्तारा विलुप्त हो जाएगी, तब एक उपभोक्ता के रूप में आपके पास खोने के लिए सब कुछ है. तब आप बस प्रार्थना कर सकते हैं कि एयर इंडिया की आपकी फ्लाइट समय पर उड़ान भरे और आपका विमान नया हो. और हां, यह भी याद रखें कि अच्छा समय हमेशा नहीं रहता है. विस्तारा में उड़ान भरने का नया एहसास बहुत जल्द खत्म हो गया. एकमात्र उम्मीद की किरण यह है कि बुरा समय भी हमेशा नहीं रहता है, शायद इंडिगो और अकासा सेवा उत्कृष्टता को उस समय तक नई ऊंचाइयों पर ले जाएं, जब तक कि एक पुनर्जीवित की गई एयर इंडिया, वैसी एयरलाइन नहीं बन जाती जिस पर आप सच में गर्व करना चाहते हैं.
कपिल चोपड़ा भारत के सबसे लोकप्रिय रेस्टोरेंट रिजर्वेशन ऐप EazyDiner और लग्जरी होटल चेन The Postcard Hotel के फाउंडर हैं...
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