बात 1998-1999 की है. बीजेपी प्रचारक गोविंदाचार्य उन दिनों सुर्खियों में थे. वो नौजवानों से मिलते रहते थे. इसी दौर में मेरी मुलाकात अक्सर होती रहती थी. उनसे किसी गंभीर मसले पर बात करने का सही वक्त होता था शाम की सैर पर. एक सैर पर राम मंदिर का जिक्र छेड़ा. विवादित ढांचा जा चुका था. गोविंदाचार्य उस वक्त में मंदिर आंदोलन के घटनाक्रमों के बीच जी रहे थे. इसलिये मैंने एक काल्पनिक सवाल किया - मंदिर के आगे क्या? जवाब आया - राम राज का सपना पूरा करना. हर जंजीर से आजादी. वो तब भी ये कहते थे कि इस देश को एक सूत्र में सिर्फ राम पिरो सकते हैं.
22 जनवरी 2024 की दोपहर 12.20 के बाद जो दो बेहद अहम भाषण दिये गये हैं वो उसी सोच पर हैं जो अरसे से संघ के मन में है. राम मंदिर आकांक्षाओं और भावनाओं के प्रतीक के तौर पर तैयार हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से तो वैसे भी इसकी नींव पड़ चुकी थी. मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, उसमें राम सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं हैं. राम को वो उस राज का भी प्रतीक बनाना चाहते हैं जिसमें सबका कल्याण निहित हो. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मोदी कह रहे थे राम सबके हैं. राम ऊर्जा हैं. जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात संघ अरसे से कर रहा था उसके सभी निशान मोदी के इस भाषण में दिखे. 22 जनवरी का भाषण इसलिये भी याद रखने की जरूरत है क्योंकि उन्होंने आने वाले वक्त के सवालों के जवाब देने शुरू कर दिये हैं. खुद मोदी कह रहे थे कि लोगों के सवाल है कि आगे क्या? मंदिर के आगे का एजेंडा मोदी साफ कर चुके हैं. वो नौजवानों को याद दिला रहे हैं कि भारत के पास वो सबकुछ है जिससे हम शिखर पर पहुंच सकते हैं. वो सफलता के लिये प्रेरित कर रहे हैं. देश को आगे ले जाने के लिये सब साथ हों और राम समाधान के तौर पर दिखे ये लाइन अब साफ की जा चुकी है.
मोदी देश के लिये नये एजेंडे को आगे ला चुके हैं. देश तेज रफ्तार से आगे बढ़े ये भाषण का साफ संदेश है. मोदी इस मकसद को पूरा करने के लिये खुद की गारंटी देने की बात कर रहे हैं. राजनीति में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनके कहे को देश मानता हो. मोदी ये जानते हैं कि मंदिर के बाद के एजेंडे को साफ करना और देश को नये सपने की तरफ ले जाना उनकी जिम्मेदारी है. इसलिये वो बार-बार कह रहे हैं कि सबके विकास के लिये उनकी व्यक्तिगत गारंटी है. राम मंदिर कार्यक्रम के तुरंत बाद मोदी ने सोलर लाइट के लिये पैनल देने की योजना पर काम शुरू कर दिया. इनका वितरण एक करोड़ उन परिवारों के बीच किया जाएगा जो गरीब तबके से आते हैं. प्राण प्रतिष्ठा के दिन इस कार्यक्रम को रखना उसी संदेश को आगे बढ़ाना था जिसका जिक्र पहले मोदी कर चुके थे.
2024 कई लिहाज से देश के लिये अहम है. राम मंदिर की स्थापना के बाद अब चुनाव की बारी है. ये चुनाव हर लिहाज से मोदी के लिये खास हैं. वो अगर तीसरी बार चुनकर आते हैं तो पंडित नेहरू के बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें लगातार तीसरी बार जनादेश मिलेगा. पहले दो जनादेश उन एजेंडों के लिये लगाये गये थे जिन पर संघ पिछले 70 साल से बात कर रहा था. आने वाले 5 साल अब उस सपने के लिये बेहद अहम होंगे जिसका जिक्र 22 जनवरी के भाषण में मोदी ने किया है. आने वाले वक्त में ये संभव है कि बात मंदिर के आगे की होगी. बात उस गारंटी की ज्यादा होगी जिसमें गरीब कल्याण को फोकस में रखकर लगातार योजनाएं बनाई जा रही हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत कह रहे हैं कि छोटे विवादों से आगे निकलने की जरूरत है. ये इशारा उस तरफ है कि अब देश के सामने आगे के एजेंडे पर बात हो. देश को रफ्तार तभी दी जा सकती है जब विवादों को पीछे छोड़ आगे की बात हो. मंदिर निर्माण के बाद उन सब विवादों को विराम मिल जाना चाहिये जिन्हें बार बार जगाने की कोशिश हो रही है. देश को राम मंदिर के आगे का एजेंडा मिल चुका है बस उसमें सबकी सहभागिता सुनिश्चत करना बाकी है.
अभिषेक शर्मा NDTV इंडिया के मुंबई के संपादक रहे हैं... वह आपातकाल के बाद की राजनीतिक लामबंदी पर लगातार लेखन करते रहे हैं...
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