
- बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग ने नियमों में ढील दी है.
- मतदाता अब बिना दस्तावेजों और फोटो के भी फॉर्म जमा कर सकते हैं.
- निर्वाचक निबंधक स्थानीय स्तर पर जानकारी की जांच करेंगे.
- बिहार में 1 करोड़ 21 लाख मतदाता गणना प्रपत्र भर चुके हैं.
बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रहे विवाद के निर्वाचन आयोग ने नियमों में ढील दी है. मतदाता अब फॉर्म पर फोटो व दस्तावेज लगाए बिना भी बीएलओ को दे सकते हैं. बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के हवाले से जारी किए गए पोस्टर में यह जानकारी दी गई है. पोस्टर में बताया गया है कि अगर किसी मतदाता के पास आवश्यक दस्तावेज और फोटो नहीं है तो भी वह गणना प्रपत्र भर कर जमा कर सकता है. अगर दस्तावेज जमा किए जाएंगे तो निर्वाचक निबंधक पदाधिकारी (ERO) आसानी से आवेदन की जांच कर पाएंगे. अगर दस्तावेज जमा नहीं किए गए तो ERO स्थानीय स्तर पर जांच कर फैसला करेंगे.
कैसे होगी स्थानीय जांच?
निर्वाचन आयोग के सूत्रों की मानें तो ERO स्पॉट पर जाकर मतदाताओं से मिलेंगे. यह सुनिश्चित करेंगे कि फॉर्म भरने वाले की उम्र 18 साल है, उसके निवास अवधि की जानकारी लेंगे. स्थानीय लोगों से बात कर, उपलब्ध साक्ष्य एवं अन्य दस्तावेज के आधार पर फैसला करेंगे.
निर्वाचन विभाग के इस फैसले के बाद फॉर्म कलेक्शन में तेजी आएगी. विभाग ने पुनरीक्षण के काम में लगे BLO को 6 हजार रूपये अतिरिक्त मानदेय देने का भी फैसला किया है. निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिहार में अब तक 1 करोड़ 21 लाख 1 हजार 674 मतदाताओं ने गणना प्रपत्र (Enumeration form) भर कर BLO को जमा कर दिया है. इनमें से 23 लाख 90 हजार 329 फॉर्म अपलोड किए जा चुके हैं.

मतदाताओं को हो रही है परेशानी
वहीं कुछ जिलों के मतदाता काफी परेशान हैं. बेगूसराय जिले के मटिहानी विधानसभा के नागदह निवासी नवीन कुमार की चिंताएं अब बढ़ गई हैं. साल 2016 में उनका वोटर आईडी कार्ड बना और तब से ही वो वोट डालते आ रहे हैं. लेकिन इस बार उन्हें डर है कि वो वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं. नवीन कुमार के अनुसार उनके पास वे दस्तावेज नहीं हैं जिनसे वे अपने जन्म का प्रमाण दे सकें.
दरअसल बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की तरफ से खास विशेष लिस्ट पुनरीक्षण की शुरुआत की गई है. इसके तहत जिन नागरिकों का नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए आयोग की तरफ से मान्य 11 दस्तावेजों में से एक दस्तावेज पेश करना अनिवार्य होगा. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोगों के पास सिर्फ आधार कार्ड, वोटर कार्ड या मनरेगा जॉब कार्ड हैं, जिन्हें अब आयोग मान्य नहीं मान रहा.
समस्तीपुर में भी मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम तेजी से हो रहा है जहां बेझाडीह पंचायत के मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) पहुंचे हुए थे. उन्होंने ग्रामीणों से डॉक्यूमेंट मांगा है. 26 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान के तहत पूर्व से मतदाता सूची में शामिल वोटर को गणना फॉर्म घर-घर जाकर उपलब्ध कराया जाना है. बीएलओ को हर मतदाताओं तक वितरण के लिए गणना फॉर्म उपलब्ध करा दिए गए हैं. चुनाव आयोग कहना है कि यह फॉर्म नहीं भरने वालों का नाम सूची से काट दिया जाएगा.
पत्नी के पास नहीं है डॉक्यूमेंट
समस्तीपुर के रहने वाले ग्रामीण अमरेश कुमार सिंह का कहना है कि उनके पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड के अलावा कुछ भी नहीं है. फिर चुनाव आयोग की ओर से मांगे जा रहे दस्तावेजों कहां से मुहैया कराएं. अब उनका सवाल है कि क्या उनकी नागरिकता छिन जायेगी? क्या सरकार की तरफ से उन्हें जिन योजनाओं का फायदा मिल रहा था वो भी उनसे वापस ले लिया जायेगा? ऐसे कई सवाल हैं जो उन्हें परेशान कर रहे हैं. वहीं रंजीत महतो ने बताया कि उनके पास मैट्रिक का सर्टिफिकेट है लेकिन पत्नी के पास कोई कागजात नहीं है. इससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.
कहां से लाएं दस्तावेज
इसी तरह से मुंगेर में भी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का खास गहन पुनरीक्षण शुरू हो गया है. बीएलओ घर-घर जाकर यह काम कर रहे हैं. इस प्रक्रिया से आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है. दस्तावेज जुटाने के लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. वहीं गांव वाले अलग परेशान हैं. मतदाताओं का कहना है कि उनके पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है. फिर चुनाव आयोग की ओर से मांगे जा रहे दस्तावेजों कहां से दें.
युवा मतदाताओं को ज्यादा परेशानी
यह परेशानी युवाओं के लिए ज्यादा परेशानी का सबब बन गया है. उन्हें वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित 11 दस्तावेजों में से एक मुहैया करना होगा. समस्या अब ये हो गई कि माता या पिता के दस्तावेज भी लगेंगे. कई युवा ऐसे हैं जिनके परिजनों के दस्तावेज भी मुश्किल से मिल पाएंगे. तारापुर के रहने वाले मतदाता अरफात कहते हैं कि बीएलओ का कहना है कि 25 जुलाई से पहले निवास या जाति प्रमाण पत्र बनवा लें, तभी उनका फॉर्म भरा जा सकता है. अब वह ब्लॉक और साइबर कैफे के चक्कर लगा रहे हैं.
समस्तीपुर से अविनाश कुमार
मुंगेर से रोहित कुमार की रिपोर्ट
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