
- राष्ट्रीय जनता दल में तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान पार्टी में अंदरूनी विवाद खुलकर सामने आया है.
- तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्य ने राजद के सलाहकार संजय यादव के 'अगली सीट' पर बैठने पर आपत्ति जताई थी.
- विवाद के बाद दो दलित नेताओं शिवचंद्र राम और रेखा पासवान को अगली सीट पर बिठाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अंदरखाने की कलह खुलकर बाहर आ गई है. ये सब बवाल सामने आया, तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान, जब तेजस्वी की गाड़ी में अगली सीट पर उनके करीबी संजय यादव बैठे नजर आए. इससे तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्य भड़क गईं. राज्यसभा सांसद संजय यादव तेजस्वी के सलाहकार कहे जाते हैं, जबकि तेज प्रताप उन्हें 'जयचंद' बता चुके हैं, वहीं रोहिणी भी उन्हें पसंद नहीं करती हैं. रोहिणी ने एक व्यक्ति की फेसबुक पोस्ट शेयर कर दी, जिसमें संजय यादव के अगली सीट पर बैठने पर आपत्ति जताई गई थी और बिना कुछ कहे, काफी कुछ कह दिया.
इसके बाद उसी सीट पर दो दलित नेताओं के बैठने की तस्वीरें सामने आईं, जिसे डैमेज कंट्रोल की कोशिश बताया गया. रोहिणी ने इस बार टिप्पणी भी की. उनकी फोटो दिखाते हुए कहा- लालू भी यही चाहते हैं कि वंचित वर्ग के लोग आगे आएं और उस तबके के लोगों को आगे बैठे देखना सुखद अनुभूति है. ये दोनों दलित नेता आखिर हैं कौन?
इन दो तस्वीरों में एक हैं पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम और दूसरी हैं पटना जिले की मसौढ़ी वाली विधायक रेखा पासवान.
कौन हैं शिवचंद्र राम?
शिवचंद्र राम 2015 में बनी महागठबंधन सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वो रविदास समुदाय से आते हैं. शिवचंद्र राम कभी युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे और पार्टी में उनकी मजबूत पकड़ बताई जाती है. 2015 में उन्होंने वैशाली जिले की राजापाकर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीता था. सरकार में वो कला, संस्कृति और खेल विभाग के मंत्री बनाए गए थे. 2020 चुनाव में उनकी ये सीट कांग्रेस को चली गई, जहां से प्रतिमा दास जीत कर विधायक बनीं. पिछले साल 2024 आम चुनाव में हाजीपुर लोकसभा सीट से उन्हें टिकट दिया गया था, हालांकि सामने चिराग पासवान थे और शिवचंद्र राम चुनाव हार गए.

कौन हैं रेखा पासवान?
रेखा पासवान पटना की मसौढ़ी सीट से विधायक हैं. रेखा, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से सांसद और लालू यादव की बेटी मीसा भारती के साथ तस्वीरों में अक्सर दिख जाती हैं. वो लालू परिवार की करीबी भी बताई जाती हैं. वो काफी गरीब परिवार में पैदा हुई थीं और पैसों की कमी के चलते स्कूली शिक्षा से आगे नहीं पढ़ पाईं. वो पहली बार 2015 में मसौढ़ी सीट से चुनाव लड़ी थीं और जीतन राम मांझी की पार्टी हम की महिला प्रत्याशी नूतन पासवान को हराकर जीती थीं. दूसरी बार 2020 में भी उन्होंने जदूय के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं नूतन पासवान को एक बार फिर मात दी और दूसरी बार विधायक बनीं.
फिलहाल राजद कई मोर्चों पर जूझ रही है. घर में अंतर्विरोध, पार्टी में कलह, सीट बंटवारे की माथापच्ची और तेजस्वी की बतौर सीएम फेस खुल कर स्वीकार्यता नहीं होने जैसी स्थितियां पार्टी के सामने बड़ी चुनौतियों के तौर पर सामने आई हैं.
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