- सिकटी विधानसभा क्षेत्र बिहार के अररिया जिले में स्थित है और यह भाजपा तथा जदयू का पारंपरिक मजबूत गढ़ रहा है.
- 1951 में पालासी के नाम से स्थापित इस क्षेत्र का नाम 1977 में सिकटी रखा गया और यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है.
- 2010 से भाजपा का सिकटी क्षेत्र पर प्रभुत्व है, जहां विजय कुमार मंडल ने लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीता है.
सिकटी सीट पर बीजेपी के विजय कुमार मंडल ने वीआईपी के हरि नारायण प्रमाणिक को 19,322 वोटों से हराया. पिछले दो दशकों से बिहार के अररिया जिले में स्थित सिकटी विधानसभा क्षेत्र भाजपा और जदयू का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां की राजनीतिक लड़ाई बेहद कठिन होने की संभावना थी. कभी पालासी के नाम से पहचाने जाने वाला सिकटी विधानसभा क्षेत्र बिहार के अररिया जिले का एक प्रखंड-स्तरीय कस्बा है और ये अररिया लोकसभा क्षेत्र में भी आता है.
1951 में पालासी विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित यह सीट 1977 से सिकटी के नाम से जानी जाती है. 2008 के परिसीमन के बाद इसमें सिकटी, कुरसाकांटा और पालासी प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतें शामिल हुईं. यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं हैं.
सिकटी पर कब कौन जीता
सिकटी में 1951 से 2020 तक 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं. 1951 से 1972 तक इस सीट का नाम पालासी था और उस दौर में कांग्रेस ने तीन बार, निर्दलीय ने दो और स्वतंत्र पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की. 1977 में इस सीट का नाम बदला गया और इसे सिकटी नाम मिला. इसके बाद हुए 11 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने चार बार, कांग्रेस ने तीन बार, निर्दलीय ने दो बार और जनता दल तथा जदयू ने एक-एक बार जीत हासिल की.
इस सीट पर मोहम्मद अजीमुद्दीन का लंबे समय तक दबदबा रहा. उन्होंने 1962 (स्वतंत्र पार्टी), 1967, 1969, 1977 (निर्दलीय) और 1990 (जनता दल) के टिकट पर जीत दर्ज की. 2010 से सिकटी भाजपा के कब्जे में है. आनंदी प्रसाद यादव ने 2010 में जीत हासिल की और उसके बाद विजय कुमार मंडल 2010, 2015 और 2020 में लगातार जीते. 2020 में मंडल ने राजद के शत्रुघ्न प्रसाद सुमन को 13,610 वोटों से हराया. लोकसभा चुनावों में भी यहां भाजपा का दबदबा रहा.
चुनाव आयोग के अनुसार, सिकटी में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 2,88,031 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें मुस्लिम मतदाता 32.10 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के 12.78 प्रतिशत मतदाता शामिल थे. ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद 2020 में 62.36 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. लोकसभा चुनाव 2024 तक मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ, जो बढ़कर 3,00,389 हो गई.
सिकटी की समस्याएं
सिकटी की भौगोलिक स्थिति और कनेक्टिविटी पर नजर डालें तो यह क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा के करीब है. यह क्षेत्र अररिया जिले के उत्तरी हिस्से में स्थित है और पटना से 330 किमी उत्तर-पूर्व में है. आसपास के प्रमुख कस्बों में फारबिसगंज (28 किमी), जोकीहाट (25 किमी), किशनगंज (60 किमी) और बहादुरगंज (45 किमी) शामिल हैं. यहां से नेपाल का बिराटनगर सिर्फ 35 किमी दूर है. सड़क मार्ग बिहार और नेपाल को जोड़ता है और रेल सुविधा अररिया व फारबिसगंज से उपलब्ध है.
सिकटी की जमीन उपजाऊ है, लेकिन मानसून में यहां जलभराव की समस्या आम बात है. यहां धान, गेहूं, मक्का और सरसों प्रमुख फसलें हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में दलहन और जूट की खेती भी होती है. कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और सीमित रोजगार के कारण सिकटी में विकास और रोजगार के मुद्दे अहम हैं.
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