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बिहार की नई सरकार में सहयोगी दलों में RLM सबसे भारी, LJP+HAM से दुगना बजट खर्चेंगे दीपक

दीपक प्रकाश का नाम आते ही विपक्षी खेमे और आमलोगों ने उपेंद्र कुशवाहा पर कई सवाल उठाए थे. उपेंद्र कुशवाहा ने इन सवालों का आज सोशल मीडिया पर जवाब दिया. उन्होंने इस फैसले को अपनी विवशता बताया है.

बिहार की नई सरकार में सहयोगी दलों में RLM सबसे भारी, LJP+HAM से दुगना बजट खर्चेंगे दीपक
बिहार सरकार की नई कैबिनेट में विभागों का हुआ बंटवारा
पटना:

बिहार में नई सरकार के शपथ ग्रहण के साथ सबसे ज्यादा जिस नाम की चर्चा हुई है, वह था दीपक प्रकाश का. दीपक RLM के कोटे से मंत्री बने हैं औऱ फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. पहले उनकी मां स्नेहलता कुशवाहा का नाम चर्चा में था लेकिन आखिरी वक्त पर पार्टी ने दीपक प्रकाश का नाम तय किया.  नियमों के मुताबिक उन्हें 6 महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य होना होगा. दीपक का नाम आते ही उन्हें परिवारवाद को लेकर घेरा जाने लगा. बाद में इस पर उपेंद्र कुशवाहा ने जवाब भी दिया. आज जब बिहार की नई कैबिनेट के विभागों का बंटवारा हुआ तो उसमें भी अब दीपक का दम दिखाई दिया है. 

सहयोगी दलों में सबसे हैवीवेट RLM 

बिहार सरकार के 2025-26 के बजट के अनुसार पंचायती राज विभाग का बजट 11 हजार 302 करोड़ का था. वहीं, लोजपा को मिले PHE विभाग का बजट 2702 करोड़ और गन्ना विभाग का बजट 192 करोड़ था. यानी लोजपा कोटे के विभागों का कुल बजट 2894 करोड़ रुपए है. HAM कोटे से मंत्री बने संतोष सुमन को लघु जल संसाधन विभाग मिला है. इस विभाग का बजट 1839 करोड़ ही है. इस हिसाब से देखें तो RLM को HAM और LJP के मुकाबले कहीं बड़ा विभाग मिला है. 

परिवारवाद के आरोपों पर कुशवाहा ने दिया था जवाब

दीपक प्रकाश का नाम आते ही विपक्षी खेमे और आमलोगों ने उपेंद्र कुशवाहा पर कई सवाल उठाए थे. उपेंद्र कुशवाहा ने इन सवालों का आज सोशल मीडिया पर जवाब दिया. उन्होंने इस फैसले को अपनी विवशता बताया है. साथ ही कहा कि पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरुरी ही नहीं अपरिहार्य था. मैं तमाम कारणों का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी जानते हैं कि पूर्व में पार्टी के विलय जैसा भी अलोकप्रिय और एक तरह से लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था. जिसकी तीखी आलोचना बिहार भर में हुई. उस वक्त भी बड़े संघर्ष के बाद आप सभी के आशीर्वाद से पार्टी ने सांसद, विधायक सब बनाए. लोग जीते और निकल लिए. झोली खाली की खाली रही. शुन्य पर पहूंच गए. पुनः ऐसी स्थिति न आए, सोचना ज़रूरी था."

कुशवाहा "हार्ड बार्गेनर" साबित हुए 

चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से नाराज हो गए थे. उन्होंने अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर भी कर दी थी. इसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनसे बातचीत की, तब कुशवाहा माने थे. अब यह साफ है कि अपने खाते में कम विधायकों के बावजूद सबसे बड़ा विभाग और विधान पार्षद भी ले लेने वाले कुशवाहा हार्ड बार्गेनर साबित हुए हैं.

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