बीजेपी नेता सुशील मोदी ने मांग की है कि बिहार के प्रश्न-पत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए (फाइल फोटो).
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                पटना: 
                                        बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के अध्यक्ष और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार के साथ मंगलवार को एक बार फिर पूछताछ की गई. यह दूसरा मौका है जब सुधीर कुमार से इस मामले में विशेष जांच टीम ने पूछताछ की. इससे पहले आयोग के सचिव परमेश्वर राम से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है.
इस बीच विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील मोदी ने मांग की है कि इस प्रश्न-पत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए. मोदी ने यह मांग इस आधार पर की है कि चूंकि इस मामले में सत्तारूढ़ दल के कई लोगों के नाम आ रहे हैं और राज्य पुलिस का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह हर मामले में राजनैतिक एंगल की जांच करने से बचती रही है, इसलिए जब मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है तो नीतीश कुमार इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करा रहे.
हालांकि मोदी की मांग से एक दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर इस मांग को खारिज कर दिया था कि राज्य पुलिस जांच कर रही है और इस मामले में न तो किसी को बचाया जाएगा न ही फंसाया जाएगा. इस मामले में कर्रवाई हो रही है और सख्त कर्रवाई हो रही है. नीतीश ने कहा कि किसी को किसी भी स्तर पर कोई विशेषता हासिल नहीं है. पुलिस को अनुसंधान करने दीजिए और सबको भरोसा करना चाहिए.
विपक्ष का कहना है कि इतने बड़े घोटाले की जांच पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज के नेतृत्व में बनी टीम कर रही है. अनुसंधानकर्ता राकेश दुबे पर भी मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा कि साढ़े सात साल, जब तक बीजेपी राज्य सरकार में शामिल थी तब तक उन्हें कोई जिम्मेदारी का पद उनके पूर्व के विवादास्पद ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनजर नहीं दिया गया. अब नीतीश कुमार ने इतनी संवेदनशील जांच का जिम्मा ऐसे लोगों को दे दिया है.
दरअसल इस मामले में फिलहाल जेल में बंद आयोग के सचिव परमेश्वर राम ने बताया था कि उन पर सत्तारूढ़ दल के कई लोगों का उनके लोगों को परीक्षा में पास करने का दबाव रहता था. इसके अलावा जिस परीक्षा केंद्र से यह पूरा प्रश्न पत्र लीक हुआ उसके मालिक रामाशीष राय एक जमाने में राजद के अध्यक्ष लालू यादव के जमानतदार रहे हैं. उनके स्कूल की मान्यता नहीं होने के बावजूद वहां परीक्षा केंद्र बनाया गया जो निश्चित रूप से राजनैतिक दबाव का परिणाम है.
हालांकि राज्य पुलिस का कहना है कि पूरी जांच की कमान पटना के आईजी नय्यर हसनैन खान के पास है, इसलिए मोदी के आरोप तथ्य से परे हैं. लेकिन सवाल है कि नीतीश कुमार इस मुद्दे पर हर दिन आने वाले तथ्यों के आलोक में आलोचना झेलते रहेंगे या सीबीआई को जांच का जिम्मा देकर विपक्ष का मुंह बंद कराएंगे.
                                                                        
                                    
                                इस बीच विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील मोदी ने मांग की है कि इस प्रश्न-पत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए. मोदी ने यह मांग इस आधार पर की है कि चूंकि इस मामले में सत्तारूढ़ दल के कई लोगों के नाम आ रहे हैं और राज्य पुलिस का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि वह हर मामले में राजनैतिक एंगल की जांच करने से बचती रही है, इसलिए जब मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है तो नीतीश कुमार इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करा रहे.
हालांकि मोदी की मांग से एक दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर इस मांग को खारिज कर दिया था कि राज्य पुलिस जांच कर रही है और इस मामले में न तो किसी को बचाया जाएगा न ही फंसाया जाएगा. इस मामले में कर्रवाई हो रही है और सख्त कर्रवाई हो रही है. नीतीश ने कहा कि किसी को किसी भी स्तर पर कोई विशेषता हासिल नहीं है. पुलिस को अनुसंधान करने दीजिए और सबको भरोसा करना चाहिए.
विपक्ष का कहना है कि इतने बड़े घोटाले की जांच पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज के नेतृत्व में बनी टीम कर रही है. अनुसंधानकर्ता राकेश दुबे पर भी मोदी ने सवाल उठाते हुए कहा कि साढ़े सात साल, जब तक बीजेपी राज्य सरकार में शामिल थी तब तक उन्हें कोई जिम्मेदारी का पद उनके पूर्व के विवादास्पद ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनजर नहीं दिया गया. अब नीतीश कुमार ने इतनी संवेदनशील जांच का जिम्मा ऐसे लोगों को दे दिया है.
दरअसल इस मामले में फिलहाल जेल में बंद आयोग के सचिव परमेश्वर राम ने बताया था कि उन पर सत्तारूढ़ दल के कई लोगों का उनके लोगों को परीक्षा में पास करने का दबाव रहता था. इसके अलावा जिस परीक्षा केंद्र से यह पूरा प्रश्न पत्र लीक हुआ उसके मालिक रामाशीष राय एक जमाने में राजद के अध्यक्ष लालू यादव के जमानतदार रहे हैं. उनके स्कूल की मान्यता नहीं होने के बावजूद वहां परीक्षा केंद्र बनाया गया जो निश्चित रूप से राजनैतिक दबाव का परिणाम है.
हालांकि राज्य पुलिस का कहना है कि पूरी जांच की कमान पटना के आईजी नय्यर हसनैन खान के पास है, इसलिए मोदी के आरोप तथ्य से परे हैं. लेकिन सवाल है कि नीतीश कुमार इस मुद्दे पर हर दिन आने वाले तथ्यों के आलोक में आलोचना झेलते रहेंगे या सीबीआई को जांच का जिम्मा देकर विपक्ष का मुंह बंद कराएंगे.
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